सिवान : यूपी से बिहार आकर जरायम की दुनिया में कदम रखने वाला शहाबुद्दीन का कुख्यात शूटर चवन्नी एनकाउंटर में ढेर हो गया. एक दौर था जब उसने यूपी से आकर बिहार में अपराध की दुनिया में अपना पैर जमाया. चवन्नी यूपी-बिहार पर खौफ का पर्याय बन चुका था. शहाबुद्दीन से हाथ मिलाकर वह बिहार के बॉर्डर वाले इलाकों में अपराध करता और यूपी में दहशत फैलाता. यूपी के मऊ जिले का रहने वाला चवन्नी ने सिवान में शहाबुद्दीन के सहारे भय का कारोबार यूपी तक फैलाया.
शहाबुद्दीन के शार्प शूटर का एनकाउंटर : बिहार में जब चवन्नी की एंट्री हुई तो उस वक्त शहाबुद्दीन का दबदबा था. राजनीति से लेकर अपराध की दुनिया में शहाबुद्दीन की पैठ काफी गहरी हो चुकी थी. चवन्नी ने शहाबुद्दीन का हाथ पकड़कर बिहार में अपना पांव फैलाया. बिहार में क्राइम करके वह यूपी में आसानी से फरार हो जाता, तो यूपी में हत्याएं करके शहाबुद्दीन की सरपरस्ती में बिहार के अंदर अपनी दहशतगर्दी का आलम दिखाता.
चवन्नी का चैप्टर क्लोज : बिहार पुलिस और यूपी पुलिस चवन्नी के कारनामों से परेशान थी. पुलिस ने उसपर 1 लाख रुपए का इनाम भी घोषित किया. लेकिन हर बार ये पुलिस की पहुंच से दूर ही रहा. लेकिन यूपी में योगी सरकार बनते ही इसके दुर्दिन शुरू हो गए. आखिरकार उसकी मौत भी यूपी में हुई, उसकी मुलाकात यूपी एसटीएफ की एक गोली से जौनपुर में हो गई और वह वहीं ढेर हो गया.
कैसे हुआ एनकाउंटर? : दरअसल, यूपी पुलिस को सूचना मिली कि कुछ अपराधी प्रवत्ति के लोग जौनपुर के शाहगंज की तरफ से आ रहे हैं. इसी इनपुट पर एसपी अजय पाल शर्मा ने पुलिस को निर्देश देकर भेजा. पीली नदी पुल के पास पुलिस की टीम खड़ी थी. बोलेरो को रुकने का इशारा हुआ लेकिन अंदर से दनादन फायरिंग शुरू हो गई. पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की जिसमें एक गोली गाड़ी में बैठे मोनू ऊर्फ चवन्नी को लगी. यह देख बोलेरो सवार मौके से भाग निकले. इधर पुलिस उसे लेकर अस्पताल पहुंची जहां डॉक्टरों ने चवन्नी को मृत घोषित कर दिया. तलाशी में आरोपी की जीप में AK-47 भी बरामद हुई.
चवन्नी का खौफ : माफिया शहाबुद्दीन की गैंग में चवन्नी अपनी गहरी पैठ बना चुका था. किसी भी बड़े मिशन पर इसे ही लगाया जाने लगा. सिवान में तत्कालीन बीजेपी सांसद ओम प्रकाश यादव के प्रवक्ता श्रीकांत भारतीय की हत्या 2014 में हुई थी. श्रीकांत भारतीय के बेटे ने बताया कि ''ये वो दौर था जब बिहार में लोग भाजपा का नाम लेने से डरते थे. सिवान में जंगलराज कायम था, पिता की हत्या की जांच के लिए सीबीआई जांच की भी मांग की लेकिन तब सफेद पोश के इशारे पर आरोपियों को बचा लिया गया. आज चवन्नी के मारे जाने से हमें इंसाफ मिला है.''
रईस खान पर फायरिंग : सिवान के पूर्व MLC प्रत्याशी रईस खान के काफिले पर 4 अप्रैल 2022 को चुनाव के दिन माहुल गांव के पास AK-47 से ताबड़तोड़ गोलियां बरसने लगीं. गोलीबारी में गांव का एक अज्ञात शख्स चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई. रईस खान ने अपने ऊपर हुए हमले में चवन्नी का नाम भी दर्ज करवाया, AK-47 से हमले का आवेदन दिया लेकिन तब तक चवन्नी बिहार से यूपी की ओर भाग चुका था.
''चवन्नी बिहार के बाहुबली शहाबुद्दीन के गैंग का शार्प शूटर बताया जा रहा है. मोनू चवन्नी बिहार के भाजपा सांसद के प्रतिनिधि की हत्या के मामले में वांछित चल रहा था. इसके अलावा बलिया जनपद के परशुराम तिवारी और उसके बेटे की हत्या के मामले में भी वांछित था. मोनू चवन्नी पर पूर्वांचल में दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं.''- डॉ अजय पाल शर्मा, एसपी, जौनपुर
AK-47 का सस्पेंस : किसी भी घटना को आसानी से अंजाम देकर बिहार से उत्तर प्रदेश भागने में चवन्नी काफी माहिर खिलाड़ी था. सवाल यह है कि आखिर सिवान में AK47 से रईस खान पर हमला हुआ तो AK47 कहां से आई? आज जब चवन्नी सिंह का इनकाउंटर हुआ है तो उसमें भी पुलिस को AK47 बरामद हुई है.