मुजफ्फरपुर: बिहार एसटीएफ की टीम ने विजय सिंह उर्फ रंजन ओंकार सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. वह लंबे समय से आशुतोष शाही हत्याकांड में फरार चल रहा था. उसके ऊपर तीन लाख का इनाम भी रखा गया था. वह आशुतोष शाही और उनके तीन बॉडीगार्ड के हत्या मामले में आरोपित था.
बेगूसराय का रहने वाला है ओंकार: मिली जानकारी के अनुसार, ओंकार सिंह मूल रूप से बेगूसराय के मझौल थाना के चिरैया बरियारपुर का रहने वाला है. वर्तमान में शहर के मिठनपुरा स्तिथ पीएनटी कॉलोनी इलाके में छिपकर रहता था. आशुतोष शाही हत्याकांड में मंटू शर्मा और शूटर गोविंद को पुलिस पहले जी जेल भेज चुकी है. लेकिन, ओंकार फरार हो गया था. उसकी गिरफ्तारी नहीं होने पर कुर्की को लेकर घर पर इस्तेहार भी चसपाया गया था. उसके बावजूद वह पकड़ पुलिस के पकड़ में नहीं आ रहा था. वहीं, बिहार एसटीएफ की टीम ने उसे धर दबोचा है.
कौन थे आशुतोष शाही: मुजफ्फरपुर नगर निगम के पहले मेयर समीर कुमार हत्याकांड के बाद मिठनपुरा इलाके के बड़े जमीन माफिया के रूप में आशुतोष शाही सुर्खियों में आए थे. पुलिस ने समीर कुमार हत्याकांड में उन्हें चार्जशीटेड में भी शामिल किया था. लेकिन आशुतोष शाही ने समय रहते हाईकोर्ट से जमानत ले लिया था. इसके बाद बीते विधानसभा चुनाव में भी अपना भाग्य आजमाया था. लेकिन, नामांकन पर्चा गलत होने से चुनाव नहीं लड़ सके थे.
क्या हुआ था शाही के साथ: बताते चलें कि बीते वर्ष जुलाई में आशुतोष शाही और उनके तीन बॉडीगार्ड की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 21 जुलाई की रात साढ़े नौ बजे चार की संख्या में पहुंचे अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया था. वारदात की रात वे अपने अधिवक्ता डॉलर से मिलने के लिए गए थे. इसी दौरान अपराधी अंधाधुंध फायरिंग करने लगे. इस घटना में पांच लोगों को गोली लगी थी.
पूर्व मेयर की भी हुई थी हत्या: 23 सितंबर 2018 को मुजफ्फरपुर नगर निगम के पहले मेयर समीर कुमार को बाइक सवार अपराधियों ने एके-47 से उनकी कार में ही हत्या कर दी थी. उनका चालक रोहित भी उसमें मारा गया था. उनकी हत्या भी चंदवारा माड़वाडी हाइस्कूल रोड में ही हुई थी. जमीन कारोबारी आशुतोष शाही की भी हत्या अधिवक्ता डॉलर के घर में हुई. डॉलर का घर भी चंदवारा माड़वाड़ी हाइस्कूल रोड में ही है. बता दें कि जहां पूर्व मेयर की हत्या हुई थी, उससे 50 मीटर पहले आशुतोष शाही की हत्या हुई थी.
हत्या में ऑटोमैटिक पिस्टल: मुजफ्फरपुर में प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही व उनके बॉडीगार्ड की हत्या में तीन बोर की ऑटोमेटिक पिस्टल का प्रयोग किया गया था. जब्त गोली व खोखे के बोर अत्याधुनिक पिस्टल गोल्ट, जिगना, ग्लॉक आदि श्रेणी के पिस्टल में उपयोग होते हैं. विदेशी निर्मित इन पिस्टलों की कीमत सात से आठ लाख रुपये होती है. इस पिस्टल से ही अतीक अहमद की हत्या हुई थी.
छोटे शूटर नहीं करते इसका उपयोग: इस बोर की पिस्टल छोटे-मोटे शूटर के पास नहीं होती है. पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि 9x19 एमएम पारा बेलम वैरिएंट पिस्टल असामान्य श्रेणी की है. इसकी मारक क्षमता काफी घातक है. पुलिस को सप्लाई 9 एमएम बोर की गोलियों से इसकी साइज अधिक मोटी और मीटर बड़ी होती है. प्रति सेकंड 1230 की गति से लगती है. 50 मीटर के रेंज में इसकी मार प्राणघातक है. इस गोली के उपयोग से स्पष्ट हो रहा था कि शूटर ने ऐसे पिस्टल से गोली चलाई कि कमर से ऊपर लगने के बाद बचना मुश्किल होता है.