पटना: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल तैयारी में जुट गए हैं. बिहार भी चुनावी मोड में है. बिहार में दो धारा की राजनीति होती है, एक तरफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए है तो दूसरी तरफ महागठबंधन है. कुछ छोटे राजनीतिक दल इन दोनों गठबंधन की सियासत के भंवर में फंसे हैं. दलों को अब भी आशियाने की तलाश है. ऐसे में इन दलों ने गठबंधन पर अपनी बात रखी है.
गठबंधन को लेकर भंवर में फंसे छोटे दल: बता दें कि एनडीए में बिहार के अंदर 6 घटक दल हैं, जबकि महागठबंधन के साथ पांच घटक दल हैं. दोनों गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले कुनबे को बढ़ाना चाहते हैं. वहीं छोटे दल जैसे मुकेश सहनी की पार्टी VIP, पप्पू यादव की पार्टी JAP, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM और कुशवाहा सियासत करने वाले नागमणि की शोषित समाज पार्टी को भी किसी गठबंधन में जगह मिलने का इंतजार है.
4-5 सीट पर चुनाव लड़ेगी AIMIM: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने पिछले विधानसभा चुनाव में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराते हुए पांच विधानसभा सीट जीती थी. यह बात अलग है कि चार विधायक बाद में राजद में शामिल हो गए थे. इस बार भी लोकसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने चार-पांच लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है और किशनगंज से बकायदा अख्तरुल ईमान के नाम की घोषणा भी कर दी गई है.
"हम भी सेकुलर सियासत करने वाले दलों के साथ जाना चाहते हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक दल हमें अछूत मानते हैं. समान विचारधारा वाले दलों से हमारी बातचीत चल रही है. राजद नेताओं से पूछिए कि हमारे साथ गठबंधन क्यों नहीं करना चाहते."- अख्तरुल ईमान, प्रदेश अध्यक्ष, AIMIM
24 फरवरी तक आएगा VIP का स्टैंड: वीआईपी का राजनीतिक स्टैंड भी अब तक क्लियर नहीं है. मुकेश सहनी ने अब तक किसी भी गठबंधन में जाने को लेकर फैसला नहीं लिया है. उन्होंने फिलहाल सभी विकल्प खुले रखे हैं. निषाद आरक्षण मुकेश सहनी के लिए प्राथमिकता है, पिछले विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी के चार विधायक चुनाव जीते थे. हालांकि बाद में चारों विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे. ऐसे में पार्टी प्रवक्ता देव ज्योति ने भी गठबंधन को लेकर बात रखी है.
"हम निषाद आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हमारे नेता मुकेश सहनी लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं. हम उस दल या गठबंधन के साथ समझौता करेंगे, जो निषाद आरक्षण की बात करेगा. फिलहाल हमारे सभी विकल्प खुले हैं और आगामी 24 फरवरी तक कोई फैसला ले लिया जाएगा."- देव ज्योति, राष्ट्रीय प्रवक्ता, वीआईपी
गठबंधन में जाना चाहते हैं पप्पू यादव: वहीं पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी लंबे अरसे से बिहार में संघर्ष कर रही है. पप्पू यादव भी किसी गठबंधन में जगह चाहते हैं, लेकिन बात नहीं बन पाई है. पिछले कुछ दिनों से पप्पू यादव पूर्णिया में कैंप कर रहे हैं और वहीं से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया है. पिछले विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. खुद भी मधेपुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन मजबूत उपस्थिति दर्ज करने के बावजूद जीत नहीं सके.
'राजद पप्पू यादव पर नेतृत्व लेगा निर्णय': राष्ट्रीय जनता दल विधायक और पार्टी प्रवक्ता रामानुज प्रसाद ने कहा है कि पार्टी किसी भी ऐसे दल से गठबंधन नहीं करना चाहती, जो जाति धर्म या संप्रदाय की राजनीति करता हो. असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम परस्ती की राजनीति करते हैं, तो आरएसएस हिंदू परस्ती की. ऐसे दलों से हमारा कोई गठबंधन नहीं हो सकता है, जहां तक सवाल पप्पू यादव का है तो उस पर नेतृत्व को निर्णय लेना है.
CPM पार्टी ने भी रखी अपनी राय: वहीं सीपीएम विधायक सत्येंद्र यादव ने कहा है कि वो लोग असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कोई अंतर नहीं समझते हैं. दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं दोनों एक दूसरे को मदद भी करते हैं. दोनों दल सांप्रदायिक राजनीति करते हैं. महागठबंधन जो समाजवादी राजनीति करती है, वह ऐसे दलों से समझौता नहीं कर सकती.
गठबंधन पर वरिष्ठ पत्रकार की राय: बिहार की राजनीति को नजदीक से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का कहना है कि बिहार में दो धारा की राजनीति हो रही है. छोटे दलों को किनारे लगने के लिए किसी एक धारा के साथ जाना पड़ेगा, जहां तक सवाल असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का है, तो वह किसी गठबंधन में नहीं जाएगी. AIMIM एकला चलो की राह पर चलेगी, लेकिन मुकेश सहनी को किसी गठबंधन में जगह मिल सकती है.
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