पटना: सड़क, पुल, हवाई अड्डा, मेडिकल कॉलेज, बुलेट ट्रेन..ये सभी नया साल 2025 में बिहार के लिए मेगा प्रोजेक्ट है. आने वाले समय में सरकार बिहार की तस्वीर बदलने की तैयारी में है. नया साल में बिहार का मेगा प्रोजेक्ट धरातल पर उतरेगा. विशेषज्ञ मानते हैं कि ये सभी प्रोजेक्ट प्रदेश के विकास में मदद करेगा और काफी संख्या में रोजगार बढ़ेगा. इससे बिहार की आर्थिक स्थिति बदलेगी.
बिहार में 7 एक्सप्रेस-वे: देशभर में करीब 44 एक्सप्रेसवे बनना है. 10 से ज्यादा का निर्माण चल रहा है. 44 में बिहार में एक भी एक्सप्रेसवे अभी नहीं बन रहा है लेकिन आने वाले साल 2025 में एक्सप्रेसवे से दो दर्जन जिलों की स्थिति भी बदल जाएगी. केंद्र सरकार ने कई ऐसे एक्सप्रेस-वे की मंजूरी दी है. बिहार में 7 एक्सप्रेस-वे की मंजूरी मिल चुकी है. चार एक्सप्रेस-वे की लंबाई 1,063 किमी होगी और इस पर 59 हजार 173 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
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एक्सप्रेसवे का निर्माण: बिहार में केंद्र से मंजूर एक्सप्रेसवे में 189 किमी का आमस-दरभंगा, 650 किमी का रक्सौल-हल्दिया(बिहार से होकर गुजरेगी), 607 किमी का गोरखपुर-सिलीगुड़ी(बिहार से होकर गुजरेगी), 610 किमी का वाराणसी-कोलकाता(बिहार से होकर गुजरेगी), 275 किमी पटना-पूर्णिया, 308 किमी बक्सर-भागलपुर और 271 किमी बोधगया-राजगीर-वैशाली-दरभंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण होना है.
चर्चा में बुलेट ट्रेन: चर्चा है कि बिहार में वाराणसी-पटना-हावड़ा हाई स्पीड रेल (VPHHSR) कॉरिडोर परियोजना है. जमीन सर्वे का काम चल रहा है. कॉरिडोर लगभग 799 किलोमीटर लंबा होगा. अधिकतम गति 350 किमी प्रति घंटा, परिचालन गति 320, औसतन 250 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलेगी. बिहार के 4 स्टेशन बक्सर, आरा, जहानाबाद, पटना, गया, झारखंड के कोडरमा, धनबाद, पश्चिम बंगाल के आसनसोल, दुर्गापुर, वर्धमान, दानकुनी और कोलकाता में रूकेगी.
खर्च होने वाली राशि: बिहार में मेगा प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे. चार एक्सप्रेसवे पर 59173 करोड़, गंगा नदी पर सिक्स लेन ब्रिज में 6000 करोड़, पटना मरीन ड्राइव पर 6000 करोड़, पटना मेट्रो पर 13366 करोड़, एलिवेटेड रोड पर 2000 करोड़, डबल डेकर रोड पर 370 करोड़, एयरपोर्ट पर 4000 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी. पूर्णिया और बिहटा में एयरपोर्ट चालू होगा.
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अन्य प्रोजेक्ट पर खर्च: मोकामा-मुंगेर पुल पर 3750 करोड़, मुजफ्फरपुर-सोनबरसा पर 4000 करोड़, रामनगर-कच्ची दरगाह पर 1156 करोड़, पटना-आरा सासाराम पर 3897 करोड़, गंडक नदी चार लेन पुल पर 3600 करोड़, दरभंगा AIIMS निर्माण पर 1700 करोड़, PMCH के विस्तार पर 5000 करोड़, पटना रिंग रोड निर्माण में 5000 करोड़, कई स्थानों पर आरओबी पर 1400 करोड़ और पटना में दोनों म्यूजियम को जोड़ने के लिए टनल में निर्माण 500 करोड़ खर्च होंगे.
बिहटा एयरपोर्ट: बिहार में बिहटा एयरपोर्ट के लिए केंद्र सरकार सितंबर में 1413 करोड़ की मंजूरी दी. एक करोड़ यात्री की क्षमता वाले टर्मिनल के लिए एएआई मुख्यालय से टेंडर जारी हो गया है. टर्मिनल भवन जी प्लस टू (ग्राउंड और दो फ्लोर) होगा. इसकी लागत करीब 655.85 करोड़ होगी. टर्मिनल भवन, यूटिलिटी बिल्डिंग, एलिवेटेड रोड, एयरपोर्ट सिस्टम, आईटी सिस्टम और सिक्योरिटी सिस्टम का भवन, ऑपरेशन इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट और अन्य निर्माण होना है. इसके निर्माण में 613.76 करोड़ और 52.01 करोड़ रिपेयर में खर्च होंगे. टर्मिनल भवन 2 साल में बन जाएगा.
पूर्णिया एयरपोर्ट: साल 2025 में पूर्णिया एयरपोर्ट शुरू होने की चर्चा है. केंद्र सरकार ने पिछले साल 424 करोड़ की राशि दी. इससे सिविल एन्क्लेव को विकसित किया जा रहा है. दरभंगा एयरपोर्ट टर्मिनल, और अन्य सुविधाओं के विकास के लिए 918 करोड़ की राशि केंद्र सरकार ने दी है. पटना एयरपोर्ट पर 1200 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जा रही है. गया एयरपोर्ट में भी सुविधाओं का विस्तार किया गया है. यहां से अंतरराष्ट्रीय उड़ान भी शुरू हो गया है.
छह लेन पुल: गंगा नदी पर बिहार का पहला छह लेन पुल बनेगा. इसमें 6000 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी. अगले साल तैयार हो जाने की उम्मीद है. इसके अलावे पटना में गंगा मरीन ड्राइव का निर्माण अंतिम दौर में है, लेकिन इसका आगे और विस्तार करने की तैयारी है. आरा से मोकामा तक इसे विस्तार किया जाएगा. इसमें 6000 करोड़ की राशि खर्च हो चुकी है. यह बढ़कर 10000 करोड़ तक पहुंच सकता है. इससे उत्तर बिहार से आना-जाना आसान होगा.
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पटना में डबल डेकर रोड: पटना में डबल डेकर पुल निर्माण भी हो रहा है. बिहार में यह दूसरा डबल डेकर ब्रिज है जो अगले साल बनकर तैयार हो जाएगा. मेट्रो को लेकर काम तेजी से चल रहा है. 2025 में पहले फेज की शुरुआत हो जाएगी. पटना के अलावा बिहार के चार अन्य शहरों दरभंगा, मुजफ्फरपुर , भागलपुर और गया में भी मेट्रो का निर्माण कराने का सरकार ने फैसला लिया है. जल्द ही डीपीआर बनेगा.
कितना सफल होगा प्रोजेक्ट: बिहार के अर्थशास्त्री प्रोफेसर एनके चौधरी का कहना है बिहार में इससे पहले इतने प्रोजेक्ट पर कभी चर्चा भी नहीं हुई है. हालांकि इसमें से कई मेगा प्रोजेक्ट पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है. आने वाले दिनों में उस पर काम शुरू हो जाएगा, लेकिन सबसे बड़ी समस्या जमीन की है. समय पर प्रोजेक्ट को पूरा करना भी बड़ी चुनौती है. केंद्र सरकार के तरफ से जिस प्रकार से बिहार को लेकर दिलचस्पी दिखाई जा रही है, ऐसे में राशि की कोई कमी नहीं होने वाली है.
"बिहार सरकार को आगे बढ़कर काम करना होगा. बिहार कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति में पीछे रह गया. आर्थिक विकास का कई राज्य ने भरपूर लाभ उठाया लेकिन बिहार पीछे रह गया. अब नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2047 में विकसित भारत का लक्ष्य रखा है. ऐसे में बिहार को छोड़कर देश को विकसित बनाना संभव नहीं है. बिहार पर केंद्र सरकार का फोकस है, लेकिन जिन प्रोजेक्ट्स की मंजूरी मिली है, उन सबको जमीन पर उतरना सबसे बड़ी चुनौती है." -प्रोफेसर एनके चौधरी, अर्थशास्त्री
'विकास की ललक जगी': विद्यार्थी विकास बिहार में इंफ्रास्ट्रक्चर के जानकार और एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर हैं. इनका कहना है शुरुआत में बिहार पीछे जरूर रह गया है लेकिन अब विकास की ललक जगी है. यही कारण है कि कई मेगा प्रोजेक्ट्स बिहार ने केंद्र से लिए हैं. एक्सप्रेसवे के मामले में बिहार अभी पीछे है लेकिन आने वाले समय में इसमें स्थिति बेहतर होने वाली है. नदियों पर भी कनेक्टिविटी नीतीश सरकार ने काफी बढ़ाया है.
"कई मेगा प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहे हैं. आने वाले दिनों में बिहार की आर्थिक प्रगति का यह एक बड़ा कारण बनेगा. जिससे बिहार में व्यापक रोजगार पैदा होने की संभावना है. कई पर काम चल रहा है. कई प्रोजेक्ट 2025 में शुरू भी हो जाएगा. बड़े प्रोजेक्ट के जमीन पर उतरने के बाद बिहार की सूरत बदल जाएगी." -प्रोफेसर विद्यार्थी विकास, एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट
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