सारणः बिहार में जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. सबसे ज्यादा सिवान में 48 है. इसके बाद छपरा में 15 और गोपालगंज में 2 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि सरकारी आंकड़ा इससे अलग है. प्रशासन के मुताबिक सिवान में 28, छपरा में 7 और गोपालगंज में 2 लोगों की मौत हुई है. वहीं, इस बीच लोग शराबबंदी पर सरकार के रवैये से नाराज दिख रहे हैं. उनका कहना है कि इस घटना के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है.
मरने वालों की संख्या में वृद्धिः जानकारी मुताबिक शनिवार को सारण में दो लोगों की मौत हुई है. कई लोगों का इलाज जिले में और पीएमसीएच में चल रहा है. शनिवार को मरने वालों में मढ़ौरा के स्टेशन चौक निवासी शत्रुघ्न साह(45) और मशरख के गनौली निवासी हीरालाल महतो(50) शामिल हैं. शत्रुघ्न शाह दो दिन पहले शराब का सेवन किया था जिसका इलाज चल रहा था.
इनकी हुई मौतः अब तक हुई मौत में मशरक थाना के ब्राहिमपुर निवासी इस्लामुद्दीन अंसारी (30), शमशाद अंसारी(26), पिलखी निवासी प्रदीप साह(40), गंडामन निवासी शिवजी ठाकुर(65), शंभू नारायण सिंह(50), धर्मेंद्र राम (40), पानापुर थाना क्षेत्र के रजौली बिंद टोली निवासी अनिल रावत उर्फ पंडोल(45), मढौरा थाना क्षेत्र के स्टेशन चौक निवासी शत्रुघ्न साह हीरालाल महतो सहित कई लोग शामिल हैं.
'नीतीश कुमार की विफलता': छपरा में शराब से मौत पहली बार नहीं हुई है. पिछली बार भी जहीरीली शराब से मौत हुई थी. एक बार फिर घटना सामने आने के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. लोग कह रहे हैं कि शराबबंदी के बावजूद इस तरह की घटना नीतीश सरकार की विफलता है. इसी घटना को लेकर ईटीवी भारत लोगों की राय लेने के लिए छपरा के उन इलाकों में गयी, जहां मौत अपना पैर पसार रही है.
इब्राहिमपुर में तीन की मौतः इब्राहिमपुर एक ऐसा गांव है चार व्यक्ति जहरीले शराब पीने से बीमार पड़े. इसमें से तीन की मौत हो गई है. एक व्यक्ति अभी भी पटना में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है. मृतक शमशाद के घर में मातम पसरा हुआ है. अबोध बच्चे को शायद यह नहीं मालूम कि उसका पिता इस दुनिया में नहीं है. पिता की तस्वीर देखकर पापा-पापा कह रहा है. उसका दादा दहाड़ मारकर रो रहा है.
'कब तक जाएगी जान?': इसी गांव के शंभू नाथ सिंह की मौत से परिवार के ऊपर गम का पहाड़ टूट पड़ा है. अभी तक इन पीड़ित परिवारों को जिला प्रशासन के द्वारा कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया गया है. जिनके घर के चिराग बुझ गए वे एक ही सवाल कर रहे हैं कि आखिर जहरीली शराब से कब तक निर्दोषों की जान जाएगी?
'गंडामन में मिलती है शराब': पूछने पर शमशाद के पिता ने कहा कि अब मेरा बेटा मर गया, हम क्या कहेंगे? सरकार हमलोगों की मदद करे ताकि उसके बच्चे का भरण पोषण हो सके. शमशाद के पिता खुद हार्ट के मरीज हैं. उन्होंने बताया कि उनका बेटा ड्राइवरी में काम करता था और खुद जूट मिल में काम करते हैं. घटना से पहले इनका बेटा गंडामन में जाकर शराब पी थी. इसके बाद उनकी तबियत बिड़ने लगी और इलाज के दौरान मौत हो गयी.
"मेरा सबसे बड़ा बेटा था. चालक का काम करता था. गंडामन में जाकर शराब पी थी जिस कारण उसकी मौत हो गयी. सरकार हमलोगों को मदद करें ताकि बच्चों का भरण पोषण किया जा सके. और हमें कुछ नहीं कहना है." -शामशाद के पिता
गर्भ में पल रहे बच्चा का क्या दोषः मशरख के इब्राहिमपुर निवासी मुकताज अंसारी की भी मौत शराब पीने से हुई है. मुकताज इंसारी के भाई ने बताया कि उसका भाई बाजार गया था और वहीं से शराब पीकर आया था. बताया कि दिव्यांग होने के कारण घर से बाहर नहीं जाता था लेकिन खेती करता था. सबसे हैरानी की बात है कि मुकताज अंसारी की एक तीन साल की बेटी है और दूसरा बच्चा अभी मां के गर्भ में ही है. यह घटना ने घर वालों को झकझोर दिया है.
'पूर्ण बंद करो या शराब चालू करो': ग्रामीण बताते हैं कि अगर कहीं शराब मिल रही है तो इसमें सरकार और स्थानीय प्रशासन की गलती है. इसमें नीतीश कुमार की पूरी विफलता है. लोगों ने मांग की है कि या तो पूर्ण रूप से शराब बंद करे अगर सफल नहीं होते हैं तो पूर्ण रूप से शराब चालू करें. लोगों ने बताया कि शराब चालू होने से लोग नकली शराब का सेवन नहीं करेंगे तो मौत भी नहीं होगी. बंद होने के कारण ही धंधेबाज रुपये कमाने के लिए नकली शराब बनाते हैं.
मौत का आकड़ा स्पष्ट नहींः मशरख के इब्राहिमपुर के स्थानीय डॉक्टर ने बताया कि इस घटना से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है. घटना को लेकर उन्होंने बताया कि शराब पीने से बीमार लोगों की संख्या करीब 100 के करीब पहुंच गयी है. लोगों का तो दावा है कि छपरा में 50 लोगों की मौत चुकी है लेकिन प्रशासन आंकड़ा को छिपा रही है. कई लोग पुलिस प्रशासन के डर से शव का अंतिम संस्कार कर दिया. यही कारण है कि आंकड़ा स्पष्ट नहीं है.
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