पटना: बिहार के सरकारी विद्यालयों से कई ऐसे वीडियो सामने आते रहे हैं, जिससे शिक्षकों की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं. वीडियो में यह दिखा कि अचानक कोई यूट्यूब चैनल का आईडी लेकर क्लास में घुस जाते है और बच्चों और शिक्षकों से उल्टा-सीधा सवाल पूछने लगते है. ऐसे में सवाल का जवाब नहीं दे पाने पर शिक्षक और विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर पर कई प्रकार की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. इससे शिक्षा विभाग की सभी धूमिल हो रही है. ऐसे में शिक्षा विभाग ने संज्ञान ले लिया है. विभाग में स्पष्ट कर दिया है कि हाथ में माइक लेकर स्कूल में घुसते हुए सीधे क्लास में घुसे तो खैर नहीं है.
सरकारी स्कूलों में मीडिया की एंट्री बैन : शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन सुबोध कुमार चौधरी ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र जारी करके कहा है कि राज्य के सरकारी विद्यालयों में किसी भी व्यक्ति का माइक लेकर अनाधिकृत प्रवेश वर्जित है.
शिक्षा विभाग ने ये वजह बताई है?: निर्देश में कहा गया है कि विगत दिनों में यह देखा जा रहा है कि बिना विभागीय आदेश के कई संस्था के प्रतिनिधि विभिन्न उद्देश्यों और विभिन्न उपकरण जैसे की माइक और कैमरा के साथ सीधे विद्यालय परिसर में पहुंचकर शैक्षणिक कार्य में व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं. इससे छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को सुरक्षा के साथ-साथ कई अन्य प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसी गतिविधि विद्यालय के नियमित पठन-पाठन और गतिविधि को बाधित कर सकते हैं.
तो स्कूल में मीडिया से कौन बात करेगा? : शिक्षा विभाग के सह अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने अपने निर्देश में कहा कि यह व्यवधान विद्यार्थियों के सीखने और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को प्रभावित करता है. इससे विद्यार्थियों का सर्वांगिक विकास बाधित हो सकता है.
''इस आलोक में निर्देशित किया जाता है कि विद्यालय की सुरक्षा के ध्यान में रखते हुए विद्यालयों में केवल प्रधानाध्यापक ही प्रेस ब्रीफिंग के लिए अधिकृत होंगे. अन्य कोई शिक्षक प्रेस को ब्रीफ नहीं करेंगे. इस आदेश का स्पष्ट है कि प्रधानाध्यापक की अनुमति के बाद ही कोई रिपोर्टर माइक कैमरा के साथ क्लासरूम में प्रवेश कर सकता है.'' - सुबोध कुमार चौधरी, सह अपर सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार
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