ETV Bharat / state

बिहार दिवस विशेष: 112 साल का हुआ बिहार, 'मेरे भारत के कंठहार..' जानें किसने लिखा और गाया राज्यगीत - Bihar State Anthem - BIHAR STATE ANTHEM

Bihar Diwas 2024: बिहार आज अपना 112वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस मौके पर होने वाले हर कार्यक्रम में बिहार का राज्य गीत 'मेरे भारत के कंठ हार, तुझको सत सत वंदन बिहार' गाया जाता है. आज हम आपको बताएगें कि इस गाीत के रचयिता कौन हैं.

Bihar Diwas 2024
Bihar Diwas 2024
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 22, 2024, 9:33 AM IST

Updated : Mar 22, 2024, 11:20 AM IST

सत्यनारायण प्रसाद, साहित्यकार

पटनाः हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है. बिहार की पहचान कई मायनों में खास है. बिहार के सरकारी कार्यक्रमों में हर जगह पर राज्य गीत बजते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इस राज्य गीत के रचयिता कौन है. बिहार दिवस पर गाए जाने वाला राज्य गीत 'मेरे भारत के कंठ हार, तुझको सत सत वंदन बिहार' के रचयिता कवि सत्यनारायण प्रसाद हैं.

कंपटीशन से हुआ राज्य गीत का सेलेक्शनः सत्यनारायण प्रसाद का जन्म 13 सितंबर 1935 को भोजपुर जिला में हुआ है. 1974 के जेपी आंदोलन में इन्होंने सक्रिय भागीदारी दिखाई और फणीश्वर नाथ रेणु की अगुवाई में नुक्कड़ नाटक चौक चौराहा पर किया करते थे. उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, नागार्जुन पुरस्कार समेत कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सत्यनारायण प्रसाद ने बताया कि इस राज्य गीत के लिए कंपटीशन करके सेलेक्शन किया गया था.

ं

"बिहार गीत लिखने के लिए विज्ञापन निकाला गया था, संयोग ऐसा था कि उस समय मैंने ओपन हार्ट सर्जरी करवाया था और रांची में पुत्र के पास था. उस समय पटना से फोन आया हमारे मित्र अभय राज का उन्होंने मुझको खबर किया. फिर बच्चों ने भी हौसला बढ़ाया. उसके बाद हमने ये गीत लिखा. विज्ञापन में देखकर लगभग 2000 रचनाएं सरकार के पास आईं थीं, सरकार ने टीम गठित कर कई लेवल पर उसकी स्क्रीनिंग की. उसके बाद अंत में जो निर्णय आया वह हमारे गीत पर मुहर लगी"- सत्यनारायण प्रसाद, साहित्यकार

सीएम नीतीश कुमार के साथ सत्यनारायण प्रसाद
सीएम नीतीश कुमार के साथ सत्यनारायण प्रसाद

'बिहार का योगदान अतुलनीय है': सत्यनारायण प्रसाद ने कहा कि बिहार राज्य गीत के लिए कहा गया था कि गीत छोटा होना चाहिए. मेरा गीत छोटा होने के साथ-साथ बिहार का भविष्य ,अतीत और वर्तमान को मिलाकर लिखा गया था, इसी वजह से इसका चयन किया गया. बिहार गीत में इस राज्य के गौरवपूर्ण इतिहास का वर्णन किया गया, बिहार का योगदान अतुलनीय है और बिहार के महापुरुषों भगवान बुद्ध, महावीर, अशोक, गुरु गोबिंद सिंह, बाबू वीर कुंवर सिंह जैसे महापुरुषों की जन्म और कर्म भूमि बिहार से जुड़ी है.

गीत के लिए मिली थी 1 लाख की राशिः सत्यनारायण जी कहते हैं कि बिहार की भूमि आंदोलन की गवाह रही है, महात्मा गांधी ने बिहार के चंपारण से ही सत्याग्रह की शुरुआत की थी. इन तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए हमने राज्य गीत लिखने का काम किया और उसको लेकर के 21 मार्च 2012 को बिहार राज्य की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा बिहार के राज्य गीत का लोकार्पण किया गया था. राज्य सरकार द्वारा चयनित बिहार राज्य गीत को लेकर मुझे 1 लाख सम्मान राशि से पुरुस्कृत किया गया था.

सीएम नीतीश, सत्यनारायण प्रसाद व अन्य
सीएम नीतीश, सत्यनारायण प्रसाद व अन्य
सत्यनारायण को मिल चुके हैं कई सम्मान: सत्यनारायण प्रसाद बताते हैं कि एक कवि होने के नाते उन्हें कई सम्मान मिल चुके हैं और वो अपने आप को खुशनसीब समझते हैं कि उन्हें नागार्जुन सम्मान और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने बिहार के प्रति लोगों की कैसी सोच है, कैसी छवि है, इससे ऊपर उठकर बिहार के अपने ऐतिहासिक धरोहरों और संस्कृति परंपरा को लेकर को लोगों को आगे आना होगा. बिहारी के लिए यह गर्व की बात है की बिहार के बारे में जो लोग सोचते थे उनकी सोच बदल गई है.

ये भी पढ़ेंः

क्यों न गर्व करें कि हम बिहारी हैं? हमने ही तो दुनिया को सिखाया गणतंत्र का पाठ, हमने ही दिया शांति संदेश - Bihar Diwas 2024

बंगाल से अलग होने के बाद भी दो बार बंटा बिहार, उपेक्षा और लम्बे आंदोलन के बाद हुआ था बंगाल और बिहार का विभाजन - Bihar Diwas

सत्यनारायण प्रसाद, साहित्यकार

पटनाः हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है. बिहार की पहचान कई मायनों में खास है. बिहार के सरकारी कार्यक्रमों में हर जगह पर राज्य गीत बजते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इस राज्य गीत के रचयिता कौन है. बिहार दिवस पर गाए जाने वाला राज्य गीत 'मेरे भारत के कंठ हार, तुझको सत सत वंदन बिहार' के रचयिता कवि सत्यनारायण प्रसाद हैं.

कंपटीशन से हुआ राज्य गीत का सेलेक्शनः सत्यनारायण प्रसाद का जन्म 13 सितंबर 1935 को भोजपुर जिला में हुआ है. 1974 के जेपी आंदोलन में इन्होंने सक्रिय भागीदारी दिखाई और फणीश्वर नाथ रेणु की अगुवाई में नुक्कड़ नाटक चौक चौराहा पर किया करते थे. उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, नागार्जुन पुरस्कार समेत कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सत्यनारायण प्रसाद ने बताया कि इस राज्य गीत के लिए कंपटीशन करके सेलेक्शन किया गया था.

ं

"बिहार गीत लिखने के लिए विज्ञापन निकाला गया था, संयोग ऐसा था कि उस समय मैंने ओपन हार्ट सर्जरी करवाया था और रांची में पुत्र के पास था. उस समय पटना से फोन आया हमारे मित्र अभय राज का उन्होंने मुझको खबर किया. फिर बच्चों ने भी हौसला बढ़ाया. उसके बाद हमने ये गीत लिखा. विज्ञापन में देखकर लगभग 2000 रचनाएं सरकार के पास आईं थीं, सरकार ने टीम गठित कर कई लेवल पर उसकी स्क्रीनिंग की. उसके बाद अंत में जो निर्णय आया वह हमारे गीत पर मुहर लगी"- सत्यनारायण प्रसाद, साहित्यकार

सीएम नीतीश कुमार के साथ सत्यनारायण प्रसाद
सीएम नीतीश कुमार के साथ सत्यनारायण प्रसाद

'बिहार का योगदान अतुलनीय है': सत्यनारायण प्रसाद ने कहा कि बिहार राज्य गीत के लिए कहा गया था कि गीत छोटा होना चाहिए. मेरा गीत छोटा होने के साथ-साथ बिहार का भविष्य ,अतीत और वर्तमान को मिलाकर लिखा गया था, इसी वजह से इसका चयन किया गया. बिहार गीत में इस राज्य के गौरवपूर्ण इतिहास का वर्णन किया गया, बिहार का योगदान अतुलनीय है और बिहार के महापुरुषों भगवान बुद्ध, महावीर, अशोक, गुरु गोबिंद सिंह, बाबू वीर कुंवर सिंह जैसे महापुरुषों की जन्म और कर्म भूमि बिहार से जुड़ी है.

गीत के लिए मिली थी 1 लाख की राशिः सत्यनारायण जी कहते हैं कि बिहार की भूमि आंदोलन की गवाह रही है, महात्मा गांधी ने बिहार के चंपारण से ही सत्याग्रह की शुरुआत की थी. इन तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए हमने राज्य गीत लिखने का काम किया और उसको लेकर के 21 मार्च 2012 को बिहार राज्य की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा बिहार के राज्य गीत का लोकार्पण किया गया था. राज्य सरकार द्वारा चयनित बिहार राज्य गीत को लेकर मुझे 1 लाख सम्मान राशि से पुरुस्कृत किया गया था.

सीएम नीतीश, सत्यनारायण प्रसाद व अन्य
सीएम नीतीश, सत्यनारायण प्रसाद व अन्य
सत्यनारायण को मिल चुके हैं कई सम्मान: सत्यनारायण प्रसाद बताते हैं कि एक कवि होने के नाते उन्हें कई सम्मान मिल चुके हैं और वो अपने आप को खुशनसीब समझते हैं कि उन्हें नागार्जुन सम्मान और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने बिहार के प्रति लोगों की कैसी सोच है, कैसी छवि है, इससे ऊपर उठकर बिहार के अपने ऐतिहासिक धरोहरों और संस्कृति परंपरा को लेकर को लोगों को आगे आना होगा. बिहारी के लिए यह गर्व की बात है की बिहार के बारे में जो लोग सोचते थे उनकी सोच बदल गई है.

ये भी पढ़ेंः

क्यों न गर्व करें कि हम बिहारी हैं? हमने ही तो दुनिया को सिखाया गणतंत्र का पाठ, हमने ही दिया शांति संदेश - Bihar Diwas 2024

बंगाल से अलग होने के बाद भी दो बार बंटा बिहार, उपेक्षा और लम्बे आंदोलन के बाद हुआ था बंगाल और बिहार का विभाजन - Bihar Diwas

Last Updated : Mar 22, 2024, 11:20 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.