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जमानत भी नहीं बचा पाए 'लालू यादव', जानें बिहार उपचुनाव में हारने वाले प्रत्याशी का क्या है हाल?

बेलागंज उपचुनाव से चर्चा में आए निर्दलीय प्रत्याशी लालू यादव अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए. 1 हजार से भी कम वोट पड़े हैं.

निर्दलीय प्रत्याशी लालू यादव
निर्दलीय प्रत्याशी लालू यादव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 25, 2024, 11:30 AM IST

गयाः बिहार उपचुनाव का रिजल्ट आने के बाद राजनीतिक पार्टियां गुणा-भाग में जुटी है. चार सीटों के लिए हुए इस उपचुनाव में बेलागंज में जदयू से मनोरमा देवी, इमामगंज में हम पार्टी से दीपा मांझी, रामगढ़ में बीजेपी से अशोक सिंह और तरारी में बीजेपी से विशाल प्रशांत की जीत हुई. राजद, माले और बसपा के प्रत्याशी को हार मिली. इनके अलावे अन्य प्रत्याशी हैं जो जमानत भी नहीं बचा पाए.

लालू यादव की जमानत जब्तः बेलागंज से निर्दलीय प्रत्याशी लालू यादव की खूब चर्चा हुई थी. इनके मैदान में उतरने के बाद ऐसा लगा था कि मतदाता कंफ्यूजन में लालू यादव को जीत दिला सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लालू यादव की जमानत जब्त हो गयी. एक हजार से भी कम मत प्राप्त हुए. लालू यादव को मात्र 913 मत मिले. दरअसल, जिस लालू यादव की बात हो रही है वह राजद के नेता नहीं बल्कि बेलागंज उपचुनाव में लालू यादव निर्दलीय प्रत्याशी थे.

निर्दलीय प्रत्याशी लालू यादव
निर्दलीय प्रत्याशी लालू यादव (ETV Bharat)

नोटा से भी कम वोट मिलेः दरअसल, बेलागंज उपचुनाव में गया के लालू यादव और विश्वनाथ यादव निर्दलीय प्रत्याशी थे. राजद के प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह थे. राजद के प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह अपने नाम में यादव नहीं लिखते हैं लेकिन वह विश्वनाथ यादव के नाम से ही प्रसिद्ध हैं. विश्वनाथ यादव को 2191 वोट मिले. लालू यादव और विश्वनाथ यादव से अधिक वोट नोटा को मिले हैं. नोटा को 5819 वोट मिले हैं.

एक का नामांकन रद्द हुआ थाः बेलागंज में लालू यादव, विश्वनाथन यादव और सुरेंद्र यादव निर्दलीय प्रत्याशी थे. इसमें सुरेंद्र यादव का नामांकन रद्द हो गया था, लेकिन दो प्रत्याशी लालू यादव और विश्वनाथ यादव चुनावी मैदान में थे. चुनाव के दौरान चर्चा थी कि राजद की प्रतिद्वंद्वी पार्टियां इस सीट को हासिल करने की जुगाड़ में इन्हें खड़ा किया है, लेकिन अब परिणाम आने के बाद सब साफ हो गया.

'नामों का प्रभाव नहीं हुआ': राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इनको खड़ा करने का चुनावी राणनीति हो सकती थी लेकिन इस तरह मिलते जुलते नामों का प्रभाव नहीं हुआ. राजनीतिक जानकार असिस्टेंट प्रोफेसर तनवीर अहमद ने कहा कि नाम से ज्यादा चुनाव चिह्न को वोटर देख कर वोट करते हैं. प्रचार भी इतना बढ़ गया है कि वोटरों के दरम्यान प्रत्याशी और चुनाव चिह्न स्पष्ट हो जाता है.

"किसी को फायदा पहुंचाने या किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए मिलता जुलता नाम प्रभाव डालेगा यह सही नहीं है. चुनावी राजनीति का हिस्सा हो सकती है लेकिन प्रभावशाली नहीं. बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में जीत और हार का अंतर बहुत बड़ा हुआ. नाम से फर्क नहीं पड़ा है. बेलागंज विधानसभा उपचुनाव में 14 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे जिसमें लालू यादव और विश्वनाथ यादव भी जमानत भी नहीं बचा सके." - तनवीर अहमद, असिस्टेंट प्रोफेसर

किसे कितना वोट मिला, देखने के लिए यहां क्लिक करें- बेलागंज, इमामगंज, तरारी, रामगढ़

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गयाः बिहार उपचुनाव का रिजल्ट आने के बाद राजनीतिक पार्टियां गुणा-भाग में जुटी है. चार सीटों के लिए हुए इस उपचुनाव में बेलागंज में जदयू से मनोरमा देवी, इमामगंज में हम पार्टी से दीपा मांझी, रामगढ़ में बीजेपी से अशोक सिंह और तरारी में बीजेपी से विशाल प्रशांत की जीत हुई. राजद, माले और बसपा के प्रत्याशी को हार मिली. इनके अलावे अन्य प्रत्याशी हैं जो जमानत भी नहीं बचा पाए.

लालू यादव की जमानत जब्तः बेलागंज से निर्दलीय प्रत्याशी लालू यादव की खूब चर्चा हुई थी. इनके मैदान में उतरने के बाद ऐसा लगा था कि मतदाता कंफ्यूजन में लालू यादव को जीत दिला सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लालू यादव की जमानत जब्त हो गयी. एक हजार से भी कम मत प्राप्त हुए. लालू यादव को मात्र 913 मत मिले. दरअसल, जिस लालू यादव की बात हो रही है वह राजद के नेता नहीं बल्कि बेलागंज उपचुनाव में लालू यादव निर्दलीय प्रत्याशी थे.

निर्दलीय प्रत्याशी लालू यादव
निर्दलीय प्रत्याशी लालू यादव (ETV Bharat)

नोटा से भी कम वोट मिलेः दरअसल, बेलागंज उपचुनाव में गया के लालू यादव और विश्वनाथ यादव निर्दलीय प्रत्याशी थे. राजद के प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह थे. राजद के प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह अपने नाम में यादव नहीं लिखते हैं लेकिन वह विश्वनाथ यादव के नाम से ही प्रसिद्ध हैं. विश्वनाथ यादव को 2191 वोट मिले. लालू यादव और विश्वनाथ यादव से अधिक वोट नोटा को मिले हैं. नोटा को 5819 वोट मिले हैं.

एक का नामांकन रद्द हुआ थाः बेलागंज में लालू यादव, विश्वनाथन यादव और सुरेंद्र यादव निर्दलीय प्रत्याशी थे. इसमें सुरेंद्र यादव का नामांकन रद्द हो गया था, लेकिन दो प्रत्याशी लालू यादव और विश्वनाथ यादव चुनावी मैदान में थे. चुनाव के दौरान चर्चा थी कि राजद की प्रतिद्वंद्वी पार्टियां इस सीट को हासिल करने की जुगाड़ में इन्हें खड़ा किया है, लेकिन अब परिणाम आने के बाद सब साफ हो गया.

'नामों का प्रभाव नहीं हुआ': राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इनको खड़ा करने का चुनावी राणनीति हो सकती थी लेकिन इस तरह मिलते जुलते नामों का प्रभाव नहीं हुआ. राजनीतिक जानकार असिस्टेंट प्रोफेसर तनवीर अहमद ने कहा कि नाम से ज्यादा चुनाव चिह्न को वोटर देख कर वोट करते हैं. प्रचार भी इतना बढ़ गया है कि वोटरों के दरम्यान प्रत्याशी और चुनाव चिह्न स्पष्ट हो जाता है.

"किसी को फायदा पहुंचाने या किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए मिलता जुलता नाम प्रभाव डालेगा यह सही नहीं है. चुनावी राजनीति का हिस्सा हो सकती है लेकिन प्रभावशाली नहीं. बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में जीत और हार का अंतर बहुत बड़ा हुआ. नाम से फर्क नहीं पड़ा है. बेलागंज विधानसभा उपचुनाव में 14 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे जिसमें लालू यादव और विश्वनाथ यादव भी जमानत भी नहीं बचा सके." - तनवीर अहमद, असिस्टेंट प्रोफेसर

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