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एमपी में 5 साल में वन्य प्राणियों के हमलों में 292 लोगों की मौत, घटनाएं रोकने कॉरिडोर बनाने की मांग

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 10, 2024, 6:07 PM IST

Tigers Leopards Attack in MP : खुले जंगल में बाघ और दूसरे जंगली जानवरों को देखना किसी रोमांच से कम नहीं है लेकिन जगंल के पास रहने वाले ग्रामीणों के लिए यह उतना ही डरावना है. हर साल कई ग्रामीण जगंली जानवरों के हमले में जान गंवा रहे हैं.

292 people died in MP in 5 years
वन्य प्राणियों के हमलों में 292 लोगों की मौत

भोपाल। देश में सबसे ज्यादा बाघों और तेंदुओं का घर मध्यप्रदेश ही है. यहां बाघों का दीदार करने के लिए दूरदराज से टाइगर रिजर्व में हजारों की संख्या में लोग हर साल पहुंचते हैं. खुले जंगल में बाघों को देखना पर्यटकों के लिए के लिए भले ही रोमांच हो लेकिन जंगल के किनारे रहने वालों के लिए यह किसी खौफ से कम नहीं. प्रदेश में वन्यजीवों और मानव के बीच संघर्ष में हर साल कई लोग अपनी जान गवां देते हैं तो बड़ी संख्या में लोग घायल भी होते हैं. पिछले 5 सालों में वन्यप्राणियों के हमलों में 292 लोगों की मौत हो चुकी है. वन्यप्राणी विशेषज्ञ इन घटनाओं को लेकर चिंता जताते हैं और टाइगर रिजर्व के बीच सुरक्षित कॉरिडोर बनाने की बात कह रहे हैं.

बाघ और इंसानों के बीच संघर्ष की कई कहानियां

मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व से सटे ग्रामीण इलाकों में बाघों के हमलों में लोगों के घायल होने की कई घटनाएं आम हैं. खौफ की ये कहानियां वे ही लोग सुना पाते हैं जो मौत के मुंह से वापस लौटकर आ गए. बाघ और इंसान का आमना सामना होने की बात सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं तो फिर कल्पना कीजिए कि यदि किसी का बाघ या दूसरे जंगली जानवरों से सामना होता होगा तो अपनी आपबीती सुनाते हुए भी उसकी रूह कांप जाती है.

tigers leopards attack in mp
एमपी में बाघों के हमले में कई लोगों की मौत

चरवाहे पन्ना लाल की कहानी जानिए

2 मार्च को पन्ना जिले की ग्राम पंचायत जसवंतपुरा के तमगढ़ गांव में रहने वाले चरवाहे पन्ना लाल बाघ के हमले में घायल हो गए. वे बताते हैं कि "मौत के मुंह से लौटकर वापस आया हूं. घटना के दिन वे बकरियां चराने जंगल गए थे तभी अचानक बाघ के दहाड़ने की आवाज आई. बकरियां बाघ की दहाड़ सुनकर बाड़े की ओर भागी, मैं भी भागा लेकिन तभी पीछे से बाघ ने मुझे पंजा मार दिया और मैं जमीन पर नीचे गिर गया. बाघ गुस्से में गुर्राते हुए मेरे पास आया और कुछ देर घूरने के बाद वापस लौट गया". पन्ना लाल किस्मत वाले थे कि बच गए लेकिन ऐसी किस्मत हर किसी की नहीं होती.

'मेरी साथी महिला को बाघ ने मार डाला'

ऐसी ही कहानी 27 जनवरी को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में घटी घटना की है. पनपथा रेंज में 35 साल की तिरासी बाई एक अन्य महिला के साथ जंगल में लकड़ी बीनने गई थीं. इसी दौरान एक बाघिन ने अपने दो शावकों के साथ उन पर हमला कर दिया. हमले में तिरासी बाई घायल हो गई.

तिरासी बाई बताती हैं कि "हमले के बाद मेरे चिल्लाने की आवाज सुनकर ग्रामीण चिल्लाते हुए आए तो बाघिन भाग तो गई लेकिन मेरी साथी महिला को बाघिन मौत के घाट उतार चुकी थी". कल्पना कीजिए उस पल की जब उसके सामने ही उसकी साथी को मार डाला और वह घायल होकर बच गई.

5 साल में 292 से ज्यादा लोगों की मौत

टाइगर रिजर्व से सटे ग्रामीण इलाकों में टाइगर और अन्य वन्य प्राणियों के इंसानों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. एमपी में बीते 5 साल में वन्यप्राणियों के हमलों में 292 से ज्यादा लोगों की मौते हुई हैं, जबकि 11 हजार 182 लोग घायल हुए हैं. मध्यप्रदेश में टाइगर और तेंदुओं की संख्या देश में सबसे ज्यादा है. देश में पिछले 9 साल में 2014 से 2022 के बीच 497 लोगों की मौत टाइगर अटैक में हुई है. यानि औसतन हर साल 55 लोगों की मौत.

'जंगल के अंदर हमलावर होते हैं बाघ'

रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी और वन्यजीव विशेषज्ञ सुदेश बाघमारे कहते हैं कि "आमतौर पर टाइगर या लैपर्ड हमले तब करते हैं, जब इंसानों द्वारा बाघ और तेंदुओं के घर यानी जंगल में प्रवेश किया जाता है. प्रदेश के टाइगर रिजर्व में टाइगर और लैपर्ड के शिकार के लिए पर्याप्त शिकार मौजूद होता है लेकिन जब लोग यहां लकड़ियां बीनने, तेंदू पत्ता तोड़ने, महुआ बीनने या जब जानवरों को चराने पहुंचते हैं तो टाइगर या तेंदुआ के आमने-सामने की स्थिति में यह हमलावर हो जाते हैं. कई बार गर्मियों के मौसम में पानी की तलाश में यह ग्रामीण इलाकों के नजदीक पहुंच जाते हैं".

'सुरक्षित कॉरीडोर बनाना जरुरी'

वन्यजीव विशेषज्ञ अजय दुबे कहते हैं कि "मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे रातापानी अभ्यारण्य की बात करें तो यह अपने आप में एक उदाहरण है कि शहर के नजदीक जंगल में दर्जनों बाघ और तेंदुए घूमते हैं. इसके बाद भी यहां बाघ और इंसानों के बीच संघर्ष की घटनाएं कमोवेश ना के बराबर हैं. हालांकि वन क्षेत्र में लगातार निर्माण कार्य चिंता का कारण बने हुए हैं. घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर बाघ प्रबंधन करना होगा. सरकार दो जंगलों के बीच सुरक्षित कॉरीडोर बनाए और जंगलों में इंसानी दखलंदाजी खत्म करे".

राहत राशि बढ़ाने की तैयारी

प्रदेश में 7 टाइगर रिजर्व, 5 नेशनल पार्क और 10 सेंचुरी हैं. इनमें 785 बाघ मौजूद हैं. इसके अलावा देश में सबसे ज्यादा 3907 तेंदुए भी यहीं हैं. बाघ और तेंदुए के हमले में लोगों के घायल होने और मौत होने के मामले में राज्य सरकार मुआवजा देती है. अभी मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपए का मुआवजा देती है. उधर राज्य सरकार अब ऐसे मामलों में राहत राशि को बढ़ाने की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार अब वन्यजीव के हमले में परिवार के मुखिया की मौत होने पर मुआवजे के अलावा पेंशन के रूप में हर माह निश्चित राशि देने पर भी विचार कर रही है. इसके अलावा मुआवजा राशि को बढ़ाकर 8 लाख रुपए करने की तैयारी की जा रही है.

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वन विभाग दे चुका है प्रस्ताव

राहत राशि बढ़ाने के संबंध में वन विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने प्रस्ताव रखा था. पूर्व मुख्यमंत्री ने इसकी बढ़ोत्तरी का ऐलान भी किया था. इसके अलावा वन विभाग ऐसी घटनाएं रोकने के लिए भी लांग टर्म की योजना तैयार कर रहा है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

भोपाल। देश में सबसे ज्यादा बाघों और तेंदुओं का घर मध्यप्रदेश ही है. यहां बाघों का दीदार करने के लिए दूरदराज से टाइगर रिजर्व में हजारों की संख्या में लोग हर साल पहुंचते हैं. खुले जंगल में बाघों को देखना पर्यटकों के लिए के लिए भले ही रोमांच हो लेकिन जंगल के किनारे रहने वालों के लिए यह किसी खौफ से कम नहीं. प्रदेश में वन्यजीवों और मानव के बीच संघर्ष में हर साल कई लोग अपनी जान गवां देते हैं तो बड़ी संख्या में लोग घायल भी होते हैं. पिछले 5 सालों में वन्यप्राणियों के हमलों में 292 लोगों की मौत हो चुकी है. वन्यप्राणी विशेषज्ञ इन घटनाओं को लेकर चिंता जताते हैं और टाइगर रिजर्व के बीच सुरक्षित कॉरिडोर बनाने की बात कह रहे हैं.

बाघ और इंसानों के बीच संघर्ष की कई कहानियां

मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व से सटे ग्रामीण इलाकों में बाघों के हमलों में लोगों के घायल होने की कई घटनाएं आम हैं. खौफ की ये कहानियां वे ही लोग सुना पाते हैं जो मौत के मुंह से वापस लौटकर आ गए. बाघ और इंसान का आमना सामना होने की बात सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं तो फिर कल्पना कीजिए कि यदि किसी का बाघ या दूसरे जंगली जानवरों से सामना होता होगा तो अपनी आपबीती सुनाते हुए भी उसकी रूह कांप जाती है.

tigers leopards attack in mp
एमपी में बाघों के हमले में कई लोगों की मौत

चरवाहे पन्ना लाल की कहानी जानिए

2 मार्च को पन्ना जिले की ग्राम पंचायत जसवंतपुरा के तमगढ़ गांव में रहने वाले चरवाहे पन्ना लाल बाघ के हमले में घायल हो गए. वे बताते हैं कि "मौत के मुंह से लौटकर वापस आया हूं. घटना के दिन वे बकरियां चराने जंगल गए थे तभी अचानक बाघ के दहाड़ने की आवाज आई. बकरियां बाघ की दहाड़ सुनकर बाड़े की ओर भागी, मैं भी भागा लेकिन तभी पीछे से बाघ ने मुझे पंजा मार दिया और मैं जमीन पर नीचे गिर गया. बाघ गुस्से में गुर्राते हुए मेरे पास आया और कुछ देर घूरने के बाद वापस लौट गया". पन्ना लाल किस्मत वाले थे कि बच गए लेकिन ऐसी किस्मत हर किसी की नहीं होती.

'मेरी साथी महिला को बाघ ने मार डाला'

ऐसी ही कहानी 27 जनवरी को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में घटी घटना की है. पनपथा रेंज में 35 साल की तिरासी बाई एक अन्य महिला के साथ जंगल में लकड़ी बीनने गई थीं. इसी दौरान एक बाघिन ने अपने दो शावकों के साथ उन पर हमला कर दिया. हमले में तिरासी बाई घायल हो गई.

तिरासी बाई बताती हैं कि "हमले के बाद मेरे चिल्लाने की आवाज सुनकर ग्रामीण चिल्लाते हुए आए तो बाघिन भाग तो गई लेकिन मेरी साथी महिला को बाघिन मौत के घाट उतार चुकी थी". कल्पना कीजिए उस पल की जब उसके सामने ही उसकी साथी को मार डाला और वह घायल होकर बच गई.

5 साल में 292 से ज्यादा लोगों की मौत

टाइगर रिजर्व से सटे ग्रामीण इलाकों में टाइगर और अन्य वन्य प्राणियों के इंसानों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. एमपी में बीते 5 साल में वन्यप्राणियों के हमलों में 292 से ज्यादा लोगों की मौते हुई हैं, जबकि 11 हजार 182 लोग घायल हुए हैं. मध्यप्रदेश में टाइगर और तेंदुओं की संख्या देश में सबसे ज्यादा है. देश में पिछले 9 साल में 2014 से 2022 के बीच 497 लोगों की मौत टाइगर अटैक में हुई है. यानि औसतन हर साल 55 लोगों की मौत.

'जंगल के अंदर हमलावर होते हैं बाघ'

रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी और वन्यजीव विशेषज्ञ सुदेश बाघमारे कहते हैं कि "आमतौर पर टाइगर या लैपर्ड हमले तब करते हैं, जब इंसानों द्वारा बाघ और तेंदुओं के घर यानी जंगल में प्रवेश किया जाता है. प्रदेश के टाइगर रिजर्व में टाइगर और लैपर्ड के शिकार के लिए पर्याप्त शिकार मौजूद होता है लेकिन जब लोग यहां लकड़ियां बीनने, तेंदू पत्ता तोड़ने, महुआ बीनने या जब जानवरों को चराने पहुंचते हैं तो टाइगर या तेंदुआ के आमने-सामने की स्थिति में यह हमलावर हो जाते हैं. कई बार गर्मियों के मौसम में पानी की तलाश में यह ग्रामीण इलाकों के नजदीक पहुंच जाते हैं".

'सुरक्षित कॉरीडोर बनाना जरुरी'

वन्यजीव विशेषज्ञ अजय दुबे कहते हैं कि "मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे रातापानी अभ्यारण्य की बात करें तो यह अपने आप में एक उदाहरण है कि शहर के नजदीक जंगल में दर्जनों बाघ और तेंदुए घूमते हैं. इसके बाद भी यहां बाघ और इंसानों के बीच संघर्ष की घटनाएं कमोवेश ना के बराबर हैं. हालांकि वन क्षेत्र में लगातार निर्माण कार्य चिंता का कारण बने हुए हैं. घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर बाघ प्रबंधन करना होगा. सरकार दो जंगलों के बीच सुरक्षित कॉरीडोर बनाए और जंगलों में इंसानी दखलंदाजी खत्म करे".

राहत राशि बढ़ाने की तैयारी

प्रदेश में 7 टाइगर रिजर्व, 5 नेशनल पार्क और 10 सेंचुरी हैं. इनमें 785 बाघ मौजूद हैं. इसके अलावा देश में सबसे ज्यादा 3907 तेंदुए भी यहीं हैं. बाघ और तेंदुए के हमले में लोगों के घायल होने और मौत होने के मामले में राज्य सरकार मुआवजा देती है. अभी मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपए का मुआवजा देती है. उधर राज्य सरकार अब ऐसे मामलों में राहत राशि को बढ़ाने की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार अब वन्यजीव के हमले में परिवार के मुखिया की मौत होने पर मुआवजे के अलावा पेंशन के रूप में हर माह निश्चित राशि देने पर भी विचार कर रही है. इसके अलावा मुआवजा राशि को बढ़ाकर 8 लाख रुपए करने की तैयारी की जा रही है.

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MP: मां तुझे सलाम! अपने बच्चे को बाघ के जबड़े में देखकर महिला ने रखा 'काली' का रूप

वन विभाग दे चुका है प्रस्ताव

राहत राशि बढ़ाने के संबंध में वन विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने प्रस्ताव रखा था. पूर्व मुख्यमंत्री ने इसकी बढ़ोत्तरी का ऐलान भी किया था. इसके अलावा वन विभाग ऐसी घटनाएं रोकने के लिए भी लांग टर्म की योजना तैयार कर रहा है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

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