भोपाल। एमपी में राज्यसभा चुनाव का कार्यक्रम जारी हो चुका है. एमपी से खाली हो रहीं राज्यसभा की 5 सीटों के लिए 27 फरवरी को चुनाव होना है. इन 5 सीटों में से 4 सीटें बीजेपी के खाते में जाएंगी जबकि 1 सीट कांग्रेस को मिलेगी. कांग्रेस पार्टी में इस एक सीट को लेकर एक अनार सौ बीमार का मामला है.पूर्व सीएम कमलनाथ से लेकर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव तक कई दिग्गजों के नाम इस एक सीट के लिए चल रहे हैं, हालांकि कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग कार्ड के चलते इन नामों में अरुण यादव का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है.
अरुण यादव का दावा मजबूत
बीते लंबे समय से कांग्रेस में उपेक्षा के शिकार चल रहे अरुण यादव इस बार राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. इसकी एकमात्र वजह ये है कि अरुण यादव पिछड़ा वर्ग से आते हैं. कांग्रेस हमेशा से पिछड़ा वर्ग को आगे रखने की पैरवी करती रही है. विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने 230 में से 62 टिकट ओबीसी वर्ग को दिए थे. खंडवा उपचुनाव से लेकर अब तक अरुण यादव ने उपेक्षा के बाद भी अपने तेवर नहीं दिखाए. यहां तक कि उन्हें लेकर लगातार अटकलों का दौर चलता रहा कि वे बीजेपी की सदस्यता ले सकते हैं.
'एक को मौका देकर पार्टी देगी कई संदेश'
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते हैं कि "अरुण यादव का नाम अगर आगे बढ़ाया जाता है तो एक को मौका देकर पार्टी कई संदेश देगी. ये संदेश दिया जाएगा कि पार्टी ने एक पिछड़े वर्ग से आने वाले एक उपेक्षित नेता की आखिरकार सुध ली. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर खासकर निमाड़ में संदेश दिया जाएगा."
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एमपी में राज्यसभा की 11 सीटें
एमपी में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं. जिनमें से 8 सीटें बीजेपी के हिस्से में हैं जबकि 3 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. इन ग्यारह सीटों में से पांच सीटें इसी अप्रैल महीने में खाली हो रही हैं. इनमें बीजेपी की ओर से कैलाश सोनी, अजय प्रताप सिंह, धर्मेन्द्र प्रधान, एल मुरुगन एमपी के खाते से राज्यसभा सदस्य हैं. कांग्रेस के खाते वाली तीन सीटों में से राजमणि पटेल की एक सीट खाली हो रही है.