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एमपी में अब सूचना के अधिकार के दायरे में होंगे निजी अस्पताल और क्लीनिक, 30 दिनों में देनी होगी जानकारी - mp state information commissioner

MP State Information Commissioner : एमपी के सभी निजी अस्पताल और क्लीनिक अब सूचना के अधिकार के दायरे में होंगे. आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी 30 दिनों में उपलब्ध करानी होगी. राज्य सूचना आयुक्त ने इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए हैं.

mp state information commissioner
सूचना के अधिकार के दायरे में निजी क्लीनिक और अस्पताल
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 14, 2024, 10:39 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के सभी निजी क्लीनिक और अस्पताल की जानकारी अब सूचना के अधिकार के दायरे में आ गई है. अब निजी अस्पतालों और क्लीनिकों को रजिस्ट्रेशन और अन्य मांगी गई सूचना 30 दिनों के अंदर देना होगी. राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इसके लिए संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं.

सूचना के अधिकार के दायरे में निजी क्लीनिक और अस्पताल

राज्य में सभी निजी अस्पताल एवं क्लीनिक की जानकारी को आरटीआई अधिनियम के अधीन लाने के आदेश दिए गए हैं. राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि " जबलपुर के निजी अस्पताल में भीषण अग्निकांड के चलते हुई जनहानि आयोग के संज्ञान में है. उस प्रकरण में भी निजी अस्पताल द्वारा नियम कानून को ताक पर रखकर अस्पताल संचालित किया जा रहा था. स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही इस तरह के अवैध रूप से संचालित चिकित्सालयों और अस्पतालों पर रोक लगाने की है, परन्तु जबलपुर अग्निकांड में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी मुख्य रूप से परिलक्षित हुई थी. अवैध रूप से संचालित चिकित्सालय एवं अस्पताल सीधे तौर पर आम जनता की जान से खिलवाड़ हैं, ऐसे में जनता को यह जानने का अधिकार है कि अस्पताल शासन द्वारा स्थापित मापदंड के अनुरूप चल रहा है या नहीं".

इस अपील प्रकरण में जानकारी मांगी थी

मध्यप्रदेश के जबलपुर की सुनीता तिवारी ने जबलपुर में मालवीय चौक स्थित स्टार हास्पिटल डॉ० राजीव जैन की साल 2020 से 2021 और साल 2022 के रजिस्ट्रेशन से संबंधित सम्पूर्ण दस्तावेज RTI में मांगे थे. सुनीता ने ऑनलाईन सुनवाई में बताया गया कि उन्हें आवेदन में चाही गई जानकारी अप्राप्त है. सुनीता का आरोप है कि चिकित्सा में लापरवाही से उनकी बच्ची की मृत्यु हो गई थी और स्टार चिकित्सालय डॉ० राजीव जैन द्वारा अवैधानिक रूप से चलाया जा रहा था. इस जानकारी को जबलपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने सुनीता तिवारी को उपलब्ध नहीं कराई. वहीं सुनीता तिवारी की प्रथम अपील पर संचालक स्वास्थ्य ने जानकारी देने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आदेशित किया लेकिन उसके बावजूद सुनीता तिवारी को कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई. सुनवाई के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य अधिकारी आयोग में ना तो उपस्थित हुए ना ही कोई जवाब प्रस्तुत किया.

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर आवेदक को हर्जाना

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर की लापरवाही को देखते हुए सूचना आयोग ने सुनीता तिवारी को ₹5000 का हर्जाना राशि देने के आदेश जारी किए हैं. राहुल सिंह ने आयुक्त, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं को निर्देशित किया कि वह आयोग के आदेश प्राप्ति के एक माह के भीतर क्षतिपूर्ति राशि पांच हजार रूपये का भुगतान सुनीता तिवारी को करवाना सुनिश्चित करे.

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निजी अस्पतालों की जानकारी को रोकना अवैध कदम

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने प्रमुख सचिव, मध्य प्रदेश शासन, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, को जारी निर्देश में कहा है कि " वे इस आदेश की प्रति राज्य के समस्त जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को उपलब्ध करवाते हुए, सभी अधिकारी को निर्देशित करें कि RTI आवेदन दायर होते ही 30 दिनों के भीतर अस्पताल और चिकित्सालय की जानकारी आवेदक को उपलब्ध करवाएं. सिंह ने जारी निर्देश में यह स्पष्ट किया कि इस तरह की जानकारी को अधिनियम की धारा 8 और 9 के तहत रोकना अधिनियम प्रावधानों के अनुरूप न होने से अवैध है".

भोपाल। मध्यप्रदेश के सभी निजी क्लीनिक और अस्पताल की जानकारी अब सूचना के अधिकार के दायरे में आ गई है. अब निजी अस्पतालों और क्लीनिकों को रजिस्ट्रेशन और अन्य मांगी गई सूचना 30 दिनों के अंदर देना होगी. राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इसके लिए संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं.

सूचना के अधिकार के दायरे में निजी क्लीनिक और अस्पताल

राज्य में सभी निजी अस्पताल एवं क्लीनिक की जानकारी को आरटीआई अधिनियम के अधीन लाने के आदेश दिए गए हैं. राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि " जबलपुर के निजी अस्पताल में भीषण अग्निकांड के चलते हुई जनहानि आयोग के संज्ञान में है. उस प्रकरण में भी निजी अस्पताल द्वारा नियम कानून को ताक पर रखकर अस्पताल संचालित किया जा रहा था. स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही इस तरह के अवैध रूप से संचालित चिकित्सालयों और अस्पतालों पर रोक लगाने की है, परन्तु जबलपुर अग्निकांड में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी मुख्य रूप से परिलक्षित हुई थी. अवैध रूप से संचालित चिकित्सालय एवं अस्पताल सीधे तौर पर आम जनता की जान से खिलवाड़ हैं, ऐसे में जनता को यह जानने का अधिकार है कि अस्पताल शासन द्वारा स्थापित मापदंड के अनुरूप चल रहा है या नहीं".

इस अपील प्रकरण में जानकारी मांगी थी

मध्यप्रदेश के जबलपुर की सुनीता तिवारी ने जबलपुर में मालवीय चौक स्थित स्टार हास्पिटल डॉ० राजीव जैन की साल 2020 से 2021 और साल 2022 के रजिस्ट्रेशन से संबंधित सम्पूर्ण दस्तावेज RTI में मांगे थे. सुनीता ने ऑनलाईन सुनवाई में बताया गया कि उन्हें आवेदन में चाही गई जानकारी अप्राप्त है. सुनीता का आरोप है कि चिकित्सा में लापरवाही से उनकी बच्ची की मृत्यु हो गई थी और स्टार चिकित्सालय डॉ० राजीव जैन द्वारा अवैधानिक रूप से चलाया जा रहा था. इस जानकारी को जबलपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने सुनीता तिवारी को उपलब्ध नहीं कराई. वहीं सुनीता तिवारी की प्रथम अपील पर संचालक स्वास्थ्य ने जानकारी देने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आदेशित किया लेकिन उसके बावजूद सुनीता तिवारी को कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई. सुनवाई के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य अधिकारी आयोग में ना तो उपस्थित हुए ना ही कोई जवाब प्रस्तुत किया.

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर आवेदक को हर्जाना

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर की लापरवाही को देखते हुए सूचना आयोग ने सुनीता तिवारी को ₹5000 का हर्जाना राशि देने के आदेश जारी किए हैं. राहुल सिंह ने आयुक्त, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं को निर्देशित किया कि वह आयोग के आदेश प्राप्ति के एक माह के भीतर क्षतिपूर्ति राशि पांच हजार रूपये का भुगतान सुनीता तिवारी को करवाना सुनिश्चित करे.

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