भोपाल : पुलिस की लगातार एडवाइजरी जारी करने के बाद भी लोग सायबर जालसाजों के झांसे में फंसकर लुट रहे हैं. भोपाल में फिर एक युवक को डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास किया गया, लेकिन वह साइबर ठगों को चकमा देने में सफल रहा. वहीं, 72 साल की महिला को 10 दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके ठगों ने 44 लाख रुपए वसूल लिए. खास बात ये है कि ठगों ने वृद्ध महिला को डिजिटल अरेस्ट करने के बाद डिजिटल तरीके से फर्जी तरीके से कोर्ट में पेश किया और उस महिला को कथित रूप से सजा भी हुई. इसके बाद जेल जाने से बचने के लिए वृद्धा ने 44 लाख रुपए ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दिए. भोपाल साइबर क्राइम इस मामले की जांच में जुटी है.
मनी लांड्रिंग का केस बताकर बुजुर्ग महिला को ठगा
भोपाल के श्यामला हिल्स इलाके में रहने वाली 72 साल की बुजुर्ग महिला नागेश खट्टर व्यापारिक परिवार से हैं. सायबर ठगों ने उन्हें मनी लांड्रिंग के मामले में डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट किया. डिजिटल अरेस्ट में रखते हुए उन्हें बाकायदा फर्जी ऑनलाइन कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट रूम में बैठे फर्जी जज ने आरोपी पक्ष और फरियादी पक्ष की दलीलें सुनी और फिर 5 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई. इसके बाद जालसाजों ने उन्हें जेल जाने से बचने के नाम पर सेटलमेंट करते हुए 44 लाख रुपए की डिमांड की.
ठगी का शिकार होने के 10 दिन बाद हुआ अहसास
ठगों ने महिला को झांसा दिया कि कि उन्हें 44 लाख रुपए वापस कर दिए जाएंगे. इसके बाद महिला ने अपने परिवार में किसी को इस बारे में कुछ नहीं बताया और जब जालसाजों से उनका संपर्क नहीं हुआ, तब उन्हें अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ. इसके बाद 5 दिसंबर को भोपाल सायबर क्राइम ब्रांच में शिकायत की. पुलिस अब अज्ञात फोन नंबर के आधार पर आरोपियों की तलाश कर रही है. वहीं, एक अन्य मामले में भोपाल के शाहपुर निवासी अनिरुद्ध नाम के युवक को भी ठगने का प्रयास किया गया. पहले उसे टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बताकर नंबर का मिसयूज का आरोप लगाया. अनिरुद्ध ने वीडियो कॉल को दूसरे फोन से रिकॉर्ड कर लिया. अनिरुद्ध ने जैसे ही कहा कि आप लोग यह पूरा सेटअप कैसे बनाते हैं, काफी मेहनत लगती होगी. ये सुनते ही जालसाजों ने फोन काट दिया.
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डिजिटल अरेस्ट और सायबर जालसाजों से कैसे बचें
सायबर के जानकार बताते हैं कि जालसाज अपने व्हाट्सएप की डीपी पर सीबीआई या पुलिस अधिकारी की डीपी लगाकर आपको कॉल करता है और आपको किसी भी तरह की अनैतिक या अवैध गतिविधि में शामिल होने के आरोप में कार्रवाई और गिरफ्तारी का डर बताकर घर में ही कैद कर लेता है. साइबर फ्रॉड करने वाले व्यक्ति द्वारा किए गए वीडियो कॉल में लोगों को ऐसा प्रतीत होता है, जैसे किसी पुलिस थाने का माहौल है और आपको ऑनलाइन स्काइप के थ्रू मॉनिटरिंग किया जाता है. ऐसे डिजिटल अरेस्ट के फ्रॉड से सावधान रहें. अगर इस तरह के फ्रॉड होते हैं तो 1930 पर काल करके रिपोर्ट करें. कोई भी वीडियो कॉल किसी अनजान नंबर से या +92 नंबर से आ रहा है या इंटरनेट से जेनरेट किसी भी नंबर से आ रहा है तो उसे अटेंड न करें.