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शक्लों में गुंथी माटी...सुनो तो ये बेजान चेहरे बोलते भी हैं, भारत भवन की वर्षगांठ का हिस्सा भगवान रामपुरे की कृतियां - bhagwan rampure sculptures

Sculptures Exhibition in Bharat Bhawan Bhopal: कला का केंद्र कहा जाने वाला भोपाल का भारत भवन अपनी 42वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस मौके पर शिल्पकार भगवान रामपुरे की मूर्तियों की प्रदर्शनी लगाई गई है. जो कलाप्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.

Sculptures Exhibition in Bharat bhawan Bhopal
शिल्पकार भगवान रामपुरे की अनोखी कलाकृति
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 16, 2024, 8:06 PM IST

Updated : Feb 16, 2024, 9:50 PM IST

भारत भवन में मूर्तियों की प्रदर्शनी

भोपाल। छू मंतर जैसा तो कुछ नहीं होता....लेकिन जादू ही कहा जाए इसे कि माटी का लौंदा उनके हाथों से गुजर कर शक्ल में ढल जाता है. ऐसी शक्ल जो बोलती मालूम पड़ती है. मध्यप्रदेश के बहुकला केन्द्र भारत भवन के वर्षगाँठ समारोह का हिस्सा है शिल्पकार भगवान रामपुरे की मूर्तियों की प्रदर्शनी. एक एक शिल्प की अपनी कहानी तो है ही, मुखर होकर बोलती ये मूर्तियां आंखों से भावों से संवाद करती हैं. इनमें प्रतिमाओं में अपने हाथों से कागज पर मन उकेरती गौरी भी है और ओंठो में ऊंगली दिए गुलजार भी, वो एतिहासिक आदि शंकराचार्य की प्रतिमा भी. जो इतिहास इसी शिल्पकार ने मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में आदिशंकराचार्य की अद्भुत मूर्ति की स्थापना के साथ रचा है.

Sculptures Exhibition in Bharat bhawan Bhopal
भगवान गणेश की प्रतिमा

गौरी की मूर्ति केवल शिल्प नहीं

शिल्पकार भगवान रामपुरे ने अपनी हर कलाकृति के साथ उसकी कहानी भी बयां की है. गौरी की मूर्ति की भी कहानी है. गौरी असल में उनके लिए केवल एक शिल्प नहीं उनके अंतस की यात्रा की शुरुआत है. बैचेनी का वो मोड जो किसी भी कलाकार की जिंदगी में आना जरुरी होता है. वे कहते हैं ''जब 1997 में इस शिल्प को राज्य कला प्रदर्शनी में पुरस्कार हासिल हुआ तो उनकी शिल्प यात्रा नई दिशा में शुरु हुई.''

Sculptures Exhibition in Bharat bhawan Bhopal
शिल्पकार भगवान रामपुरे की बनाई हुई बुद्ध की मूर्ति

बुद्ध निराकार में कैसे हुए साकार

बुद्ध पर बहुत काम है शिल्पकार रामपुरे का, लेकिन हर कृति में आकार के साथ निराकार को भी जगह दी गई है. वे कहते हैं मैंने कितने ही आकार बनाए लेकिन निराकार के लिए मेरा खिंचाव उतना ही तीव्र है. वे अपने शिल्प की व्याख्या कहते हैं इस शिल्प में प्रज्ञा चक्षु को दिखने वाला है और अंत चक्षु को महसूस होने वाला है.

Sculptures Exhibition in Bharat bhawan Bhopal
शिल्पकार भगवान रामपुरे की अनोखी कलाकृति

प्रतीक नहीं प्रमाण भी कला का अहम हिस्सा

भगवान रामपुरे ने मशहूर गीतकार शायर फिल्मकार गुलजार को अपने सामने बिठाकर माटी से उनका चेहरा गढ़ा. मशहूर शायर मिर्जा गालिब को भी अपनी ऊंगलियों से आकार दिया और हमारी ही दुनिया के विजय तेंडुलकर चंद्रकांत गोखले गौरी कार्णिक को मिट्टी के लौंदे से शक्लो में ढाल दिया. ये प्रतिमाएँ भी इस प्रदर्शनी का हिस्सा हैं.

https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16-02-2024/20768735_tds.jpeg
मीरा की प्रतिमा

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मशहूर शायर गुलजार

आदिशंकराचार्य कलाकार के शिल्प में इतिहास का रच जाना

लेकिन शिल्पकार भगवा रामपुरे के जीवन में जो इतिहास रचा गया वो आदि शंकराचार्य की ओंकारेश्वर की 108 फुट की प्रतिमा है. वे इसे भाग्य का हिस्सा मानते हैं कि आदिशंकराचार्य को शिल्प में उतारने का सौभाग्य उन्हें मिला. आदिशंकराचार्य की मूर्ति भी इस प्रदर्शनी में स्थापित है. भारत भवन के अधिकारी प्रेम शंकर शुक्ल कहते हैं ''ये जो आदिशंकराचार्य की विराट प्रतिमा भगवान रामपुरे जी ने उकेरी है ओंकारेश्वर के कट पर. असल में ये प्रदर्शनी उनके उस एतिहासिक कार्य के लिए हमारा आभार भी तो है. और कोशिश भी कि शिल्पों के इस भवन में भारत के इस श्रेष्ठ शिल्पकार की कलारुपों से रुबरु हो सकें.''

भारत भवन में मूर्तियों की प्रदर्शनी

भोपाल। छू मंतर जैसा तो कुछ नहीं होता....लेकिन जादू ही कहा जाए इसे कि माटी का लौंदा उनके हाथों से गुजर कर शक्ल में ढल जाता है. ऐसी शक्ल जो बोलती मालूम पड़ती है. मध्यप्रदेश के बहुकला केन्द्र भारत भवन के वर्षगाँठ समारोह का हिस्सा है शिल्पकार भगवान रामपुरे की मूर्तियों की प्रदर्शनी. एक एक शिल्प की अपनी कहानी तो है ही, मुखर होकर बोलती ये मूर्तियां आंखों से भावों से संवाद करती हैं. इनमें प्रतिमाओं में अपने हाथों से कागज पर मन उकेरती गौरी भी है और ओंठो में ऊंगली दिए गुलजार भी, वो एतिहासिक आदि शंकराचार्य की प्रतिमा भी. जो इतिहास इसी शिल्पकार ने मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में आदिशंकराचार्य की अद्भुत मूर्ति की स्थापना के साथ रचा है.

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भगवान गणेश की प्रतिमा

गौरी की मूर्ति केवल शिल्प नहीं

शिल्पकार भगवान रामपुरे ने अपनी हर कलाकृति के साथ उसकी कहानी भी बयां की है. गौरी की मूर्ति की भी कहानी है. गौरी असल में उनके लिए केवल एक शिल्प नहीं उनके अंतस की यात्रा की शुरुआत है. बैचेनी का वो मोड जो किसी भी कलाकार की जिंदगी में आना जरुरी होता है. वे कहते हैं ''जब 1997 में इस शिल्प को राज्य कला प्रदर्शनी में पुरस्कार हासिल हुआ तो उनकी शिल्प यात्रा नई दिशा में शुरु हुई.''

Sculptures Exhibition in Bharat bhawan Bhopal
शिल्पकार भगवान रामपुरे की बनाई हुई बुद्ध की मूर्ति

बुद्ध निराकार में कैसे हुए साकार

बुद्ध पर बहुत काम है शिल्पकार रामपुरे का, लेकिन हर कृति में आकार के साथ निराकार को भी जगह दी गई है. वे कहते हैं मैंने कितने ही आकार बनाए लेकिन निराकार के लिए मेरा खिंचाव उतना ही तीव्र है. वे अपने शिल्प की व्याख्या कहते हैं इस शिल्प में प्रज्ञा चक्षु को दिखने वाला है और अंत चक्षु को महसूस होने वाला है.

Sculptures Exhibition in Bharat bhawan Bhopal
शिल्पकार भगवान रामपुरे की अनोखी कलाकृति

प्रतीक नहीं प्रमाण भी कला का अहम हिस्सा

भगवान रामपुरे ने मशहूर गीतकार शायर फिल्मकार गुलजार को अपने सामने बिठाकर माटी से उनका चेहरा गढ़ा. मशहूर शायर मिर्जा गालिब को भी अपनी ऊंगलियों से आकार दिया और हमारी ही दुनिया के विजय तेंडुलकर चंद्रकांत गोखले गौरी कार्णिक को मिट्टी के लौंदे से शक्लो में ढाल दिया. ये प्रतिमाएँ भी इस प्रदर्शनी का हिस्सा हैं.

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मीरा की प्रतिमा

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मशहूर शायर गुलजार

आदिशंकराचार्य कलाकार के शिल्प में इतिहास का रच जाना

लेकिन शिल्पकार भगवा रामपुरे के जीवन में जो इतिहास रचा गया वो आदि शंकराचार्य की ओंकारेश्वर की 108 फुट की प्रतिमा है. वे इसे भाग्य का हिस्सा मानते हैं कि आदिशंकराचार्य को शिल्प में उतारने का सौभाग्य उन्हें मिला. आदिशंकराचार्य की मूर्ति भी इस प्रदर्शनी में स्थापित है. भारत भवन के अधिकारी प्रेम शंकर शुक्ल कहते हैं ''ये जो आदिशंकराचार्य की विराट प्रतिमा भगवान रामपुरे जी ने उकेरी है ओंकारेश्वर के कट पर. असल में ये प्रदर्शनी उनके उस एतिहासिक कार्य के लिए हमारा आभार भी तो है. और कोशिश भी कि शिल्पों के इस भवन में भारत के इस श्रेष्ठ शिल्पकार की कलारुपों से रुबरु हो सकें.''

Last Updated : Feb 16, 2024, 9:50 PM IST
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