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डॉक्टर बने 'भगवान', गंभीर बीमारियों से ग्रसित था 13 महीने का मासूम, डॉक्टरों ने दिया नया जीवन - BHOPAL DOCTORS SAVED 13MONTH CHILD - BHOPAL DOCTORS SAVED 13MONTH CHILD

8 दिसंबर 2023 को भोपाल के एम्स में कुपोषण और टीबी रोग से पीड़ित एक 13 माह के बच्चे को भर्ती किया गया था. 15 दिनों तक स्मार्ट यूनिट में भर्ती रहने के बाद पीड़ित बच्चे में काफी सुधार हुआ और अब उस बच्चे का वजन 8.200 किलोग्राम है जो कि भर्ती करने के दौरान महज 5 किलो था.

AIIMS BHOPAL DOCTORS TREATED CHILD
कुपोषण और टीबी से ग्रसित 13 महीने के बच्चे को भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने दिया नया जीवन
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 23, 2024, 10:29 AM IST

भोपाल। ईश्वर के बाद डॉक्टर ही है जो किसी व्यक्ति को जिंदगी देता है, इसलिए डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है. भोपाल के कुछ डॉक्टरों ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जहां कुपोषण और टीबी रोग से पीड़ित एक बच्चे को डॉक्टरों ने इलाज करके नया जीवन दिया है. इलाज के बाद बच्चे का वजन बढ़ रहा है और अभी भी उस बच्चे का इलाज जारी है. AIIMS ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से इस सफलता के बारे में बताया है.

सही इलाज न मिलता तो हो सकती थी मौत

दरअसल, कुपोषण और टीबी रोग से पीड़ित एक 13 माह के बच्चे को उसके परिजन 8 दिसंबर 2023 को भोपाल के एम्स में इलाज कराने लाए थे. उस समय बच्चे की लंबाई 73 सेंटीमीटर और वजन मात्र पांच किलो था, जिसे देखते ही डॉक्टरों ने तत्काल स्मार्ट यूनिट में भर्ती कर लिया. यहां जांच के दौरान उसमें गंभीर कुपोषण, फेफड़ों की टीबी और खून की कमी जैसी समस्याएं देखने को मिलीं. स्थिति इतनी गंभीर थी यदि बच्चे को सही इलाज न मिलता तो उसकी मौत तक हो सकती थी.

सबसे पहले किया गया टीबी का इलाज

बच्चे को सबसे पहले फेफड़ों की टीबी कंट्रोल करने के लिए दवा दी गई. करीब 15 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद बच्चे का वजन 5 किलो 939 ग्राम हो गया था. साथ ही हीमोग्लोबिन का स्तर भी पहले से बेहतर था. जिससे यह साफ हुआ कि बच्चे में फेफड़ों की टीबी बीमारी का प्रमुख कारण थी. स्मार्ट यूनिट में इलाज से बच्चे की हालत में धीरे-धीरे सुधार हुआ और उसने 15 दिनों के भीतर अपना लक्ष्य वजन 5.939 किलोग्राम प्राप्त कर लिया. इस दौरान उसके परिवार के सदस्यों को भी उचित भोजन आदतों और साफ सफाई की जानकारी दी गई. 15 दिन के बाद जब बच्चे को डिस्चार्ज किया गया तब उसका वजन 6.10 किलोग्राम और एमयूएसी 8.9 सेमी था.

ये भी पढ़ें:

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वाहन खराब होने पर न करें चिंता, सिर्फ एक कॉल पर हाजिर हो जाएंगे मैकेनिक

एम्स के पीडियाट्रिक विभाग के डॉक्टरों ने बच्चे के कठिन इलाज की चुनौती को सफलतापूर्वक पार किया. जिससे न केवल बच्चे के जीवन को बचाया जा सका, बल्कि तीन माह में ही उसके वजन और लंबाई में भी बढ़ोतरी हुई है. अब सामान्य बच्चों की तरह उसका विकास हो रहा है. परिवार द्वारा पोषण संबंधी देखभाल के सख्त पालन से बच्चे में काफी सुधार हुए. जब वह पहली बार फॉलोअप के लिए आया तब उसका वजन 7.040 किलोग्राम था और वह पहले से काफी चंचल था. इसी तरह दूसरे फॉलोअप में आने पर उसका वजन 7.500 किलोग्राम, तीसरी बार में 8 किलोग्राम और चौथी बार में 8.200 किलोग्राम था.

भोपाल। ईश्वर के बाद डॉक्टर ही है जो किसी व्यक्ति को जिंदगी देता है, इसलिए डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है. भोपाल के कुछ डॉक्टरों ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जहां कुपोषण और टीबी रोग से पीड़ित एक बच्चे को डॉक्टरों ने इलाज करके नया जीवन दिया है. इलाज के बाद बच्चे का वजन बढ़ रहा है और अभी भी उस बच्चे का इलाज जारी है. AIIMS ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से इस सफलता के बारे में बताया है.

सही इलाज न मिलता तो हो सकती थी मौत

दरअसल, कुपोषण और टीबी रोग से पीड़ित एक 13 माह के बच्चे को उसके परिजन 8 दिसंबर 2023 को भोपाल के एम्स में इलाज कराने लाए थे. उस समय बच्चे की लंबाई 73 सेंटीमीटर और वजन मात्र पांच किलो था, जिसे देखते ही डॉक्टरों ने तत्काल स्मार्ट यूनिट में भर्ती कर लिया. यहां जांच के दौरान उसमें गंभीर कुपोषण, फेफड़ों की टीबी और खून की कमी जैसी समस्याएं देखने को मिलीं. स्थिति इतनी गंभीर थी यदि बच्चे को सही इलाज न मिलता तो उसकी मौत तक हो सकती थी.

सबसे पहले किया गया टीबी का इलाज

बच्चे को सबसे पहले फेफड़ों की टीबी कंट्रोल करने के लिए दवा दी गई. करीब 15 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद बच्चे का वजन 5 किलो 939 ग्राम हो गया था. साथ ही हीमोग्लोबिन का स्तर भी पहले से बेहतर था. जिससे यह साफ हुआ कि बच्चे में फेफड़ों की टीबी बीमारी का प्रमुख कारण थी. स्मार्ट यूनिट में इलाज से बच्चे की हालत में धीरे-धीरे सुधार हुआ और उसने 15 दिनों के भीतर अपना लक्ष्य वजन 5.939 किलोग्राम प्राप्त कर लिया. इस दौरान उसके परिवार के सदस्यों को भी उचित भोजन आदतों और साफ सफाई की जानकारी दी गई. 15 दिन के बाद जब बच्चे को डिस्चार्ज किया गया तब उसका वजन 6.10 किलोग्राम और एमयूएसी 8.9 सेमी था.

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एम्स के पीडियाट्रिक विभाग के डॉक्टरों ने बच्चे के कठिन इलाज की चुनौती को सफलतापूर्वक पार किया. जिससे न केवल बच्चे के जीवन को बचाया जा सका, बल्कि तीन माह में ही उसके वजन और लंबाई में भी बढ़ोतरी हुई है. अब सामान्य बच्चों की तरह उसका विकास हो रहा है. परिवार द्वारा पोषण संबंधी देखभाल के सख्त पालन से बच्चे में काफी सुधार हुए. जब वह पहली बार फॉलोअप के लिए आया तब उसका वजन 7.040 किलोग्राम था और वह पहले से काफी चंचल था. इसी तरह दूसरे फॉलोअप में आने पर उसका वजन 7.500 किलोग्राम, तीसरी बार में 8 किलोग्राम और चौथी बार में 8.200 किलोग्राम था.

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