भरतपुर : मानसून की कृपा ने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना) को इस बार भरपूर पानी से नवाजा है. पांचना बांध से पर्याप्त मात्रा में पानी मिलने के कारण उद्यान में पक्षियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. इस वर्ष घना में पक्षियों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना अधिक हो गई है. विशेष रूप से पेंटेड स्टार्क की संख्या में बड़ा उछाल देखा गया है. इसके अलावा कई वर्षों बाद कुछ पक्षियों ने घना में नेस्टिंग शुरू की है. पानी के साथ-साथ मछलियों और अन्य जलीय भोजन की प्रचुरता ने पक्षियों और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण बढ़ाया है.
3,000 पेंटेड स्टार्क ने किया नेस्टिंग : उद्यान के निदेशक मानस सिंह के अनुसार इस बार घना में पक्षियों की बहुत अच्छी संख्या देखी गई है और धीरे-धीरे अन्य पक्षी भी यहां पहुंच रहे हैं. इस बार लगभग 3,000 पेंटेड स्टार्क ने घना में नेस्टिंग की है, जो पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना अधिक है. इनके घोंसलों से पक्षियों की चहचहाहट से उद्यान गूंजने लगा है.
20 साल बाद इन पक्षियों की नेस्टिंग : निदेशक मानस सिंह ने बताया कि पांचना बांध से पानी मिलने के बाद पक्षियों के व्यवहार में बड़ा बदलाव देखा गया है. इस बार लार्ज कार्मोरेंट और डार्टर ने भी घना में नेस्टिंग की है. यह लगभग 20 साल बाद हुआ है, जब इन पक्षियों ने यहां घोंसले बनाए हैं. इसके साथ ही कार्मोरेंट की संख्या भी पिछले साल की तुलना में तीन गुना बढ़ी है.
रीजनल और प्रवासी पक्षियों की आवक : उद्यान में रीजनल माइग्रेटरी बर्ड्स और अन्य प्रवासी पक्षियों की अच्छी संख्या देखी जा रही है. इनमें पेंटेड स्टार्क, लार्ज कार्मोरेंट, बार हेडेड गीज, यूरेशियन कूट और ग्रे लैग गीज प्रमुख हैं. जैसे-जैसे सर्दियां तेज होंगी, पक्षियों की संख्या और बढ़ने की संभावना है.
19 प्रजातियों की मछलियां पहुंचीं : पांचना बांध के पानी के साथ 19 प्रजातियों की मछलियां घना तक पहुंची हैं. निदेशक ने बताया कि पांचना बांध के पानी में किए गए सर्वेक्षण के दौरान इन मछलियों की मौजूदगी पाई गई. यह मछलियां घना की मछलियों के अलावा हैं. साथ ही जलीय वनस्पतियां और अन्य भोजन की उपलब्धता ने पक्षियों के लिए घना में आदर्श माहौल तैयार किया है.
90 के दशक के बाद मिला भरपूर पानी : उद्यान निदेशक मानस सिंह ने बताया कि इस बार पांचना बांध से 550 एमसीएफटी से अधिक पानी घना को मिला है. इससे उद्यान के वुडलैंड और ग्रासलैंड क्षेत्रों में भी पानी भर गया है. 90 के दशक के बाद यह पहली बार है जब पांचना से इतना पानी घना में पहुंचा है.