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भपंग वादक युसूफ को आज दिल्ली में मिलेगा उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार

अलवर के प्रसिद्ध भपंग वादक युसूफ खां को दिल्ली में प्रतिष्ठित उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 6 hours ago

Updated : 6 hours ago

अलवर. देश-विदेशों में भपंग की छाप छोड़ चुके अलवर के भपंग वादक युसूफ खां को आज दिल्ली में प्रतिष्ठित उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार से नवाजा जाएगा. यह पुरस्कार कला, नाट्य एवं लोक कलाओं में उनके अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें दिया जा रहा है. अलवर के किसी लोक कलाकार को पहली बार यह अवार्ड दिया जा रहा है. लोक कलाकार युसूफ खां अब तक 20 देशों में भपंग की प्रस्तुति दे चुके हैं. आगामी जनवरी में वे बांग्लादेश में प्रस्तुति देने जाएंगे.

भपंग वादक युसूफ खां मेवाती ने बताया कि यह राष्टीय पुरस्कार कला, नाट्य एवं लोक कलाओं में उल्लेखनीय उपलब्धि पर दिया जाता है. यह पुरस्कार 25 से 40 साल आयु वर्ग के लोक कलाकार को ही दिया जाता है. यह पुरस्कार दिल्ली में केन्द्रीय संगीत नाटक एकेडमी की ओर से अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में कला एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के हाथों दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि भपंग वादन उनके परिवार से विरासत में मिला है. उनके दादा 75 एवं पिता 44 देशों में भपंग वादन की प्रस्तुति दे चुके हैं.

भपंग वादक युसूफ खां (वीडियो ईटीवी भारत अलवर)

पढ़ें: सीएम भजनलाल ने मंत्रियों के संग देखी 'द साबरमती रिपोर्ट', कहा-पहले सच्चाई को गलत तरीके से परोसा गया

पिता ने भपंग की प्रस्तुति देते मंच पर छोड़े प्राण : भपंग वादक युसूफ ने बताया कि भपंग की यात्रा में उनके जीवन में कई अविस्मरणीय पल आए, लेकिन एक घटना उनके जहन में आज भी बनी हुई है, वह है नैनीताल में एक कार्यक्रम के दौरान मंच पर भपंग की प्रस्तुति देते हुए उनके पिता का प्राण छोड़ने की. पिता की मृत्यु के बाद अलवर वासियों को लगा कि संभवत: अब अलवर में भपंग की उम्र ही खत्म हो गई हो, लेकिन जब भी मैं यह बात याद करता हूं, तो अंतर्मन में यह बात उठती है कि नहीं ऐसा नहीं है. यही सोच कर उन्होंने भपंग की कला को आगे बढ़ाने का फैसला किया. इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके युसूफ खां कहा कि भपंग की कला को जीवित रखने के लिए उन्होंने इंजीनियरिंग व्यवसाय को छोड़ने का निर्णय किया. भपंग वादन की कला को बढ़ावा देने के लिए उनके अलावा चाचा, छोटा भाई और उनके छोटे-छोटे पुत्र भी इस कला में पारंगत हो चुके हैं.

चार साल की उम्र में सीखा भपंग वादन : युसूफ बताते हैं कि जब उनकी उम्र चार साल थी, तभी भपंग वादन सीखा. पिता भपंग वादन का अभ्यास कर रहे थे, तो वे भी वहां आकर बैठ गए और भपंग वादन सीखने लगे. वर्ष 2014—15 तक वह अपने पिता के साथ भपंग वादन करते रहे. 2016 से उन्होंने खुद का अलग से ग्रुप बना लिया. अब तक उन्हें भपंग वादन में अनेक पुरस्कार भी मिल चुके हैं. उन्होंने बताया कि वे टीवी सीरियल में भी कार्य कर चुके हैं, अब यदि मौका मिला तो वे फिल्मों में भी कार्य करना चाहेंगे.

अलवर. देश-विदेशों में भपंग की छाप छोड़ चुके अलवर के भपंग वादक युसूफ खां को आज दिल्ली में प्रतिष्ठित उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार से नवाजा जाएगा. यह पुरस्कार कला, नाट्य एवं लोक कलाओं में उनके अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें दिया जा रहा है. अलवर के किसी लोक कलाकार को पहली बार यह अवार्ड दिया जा रहा है. लोक कलाकार युसूफ खां अब तक 20 देशों में भपंग की प्रस्तुति दे चुके हैं. आगामी जनवरी में वे बांग्लादेश में प्रस्तुति देने जाएंगे.

भपंग वादक युसूफ खां मेवाती ने बताया कि यह राष्टीय पुरस्कार कला, नाट्य एवं लोक कलाओं में उल्लेखनीय उपलब्धि पर दिया जाता है. यह पुरस्कार 25 से 40 साल आयु वर्ग के लोक कलाकार को ही दिया जाता है. यह पुरस्कार दिल्ली में केन्द्रीय संगीत नाटक एकेडमी की ओर से अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में कला एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के हाथों दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि भपंग वादन उनके परिवार से विरासत में मिला है. उनके दादा 75 एवं पिता 44 देशों में भपंग वादन की प्रस्तुति दे चुके हैं.

भपंग वादक युसूफ खां (वीडियो ईटीवी भारत अलवर)

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पिता ने भपंग की प्रस्तुति देते मंच पर छोड़े प्राण : भपंग वादक युसूफ ने बताया कि भपंग की यात्रा में उनके जीवन में कई अविस्मरणीय पल आए, लेकिन एक घटना उनके जहन में आज भी बनी हुई है, वह है नैनीताल में एक कार्यक्रम के दौरान मंच पर भपंग की प्रस्तुति देते हुए उनके पिता का प्राण छोड़ने की. पिता की मृत्यु के बाद अलवर वासियों को लगा कि संभवत: अब अलवर में भपंग की उम्र ही खत्म हो गई हो, लेकिन जब भी मैं यह बात याद करता हूं, तो अंतर्मन में यह बात उठती है कि नहीं ऐसा नहीं है. यही सोच कर उन्होंने भपंग की कला को आगे बढ़ाने का फैसला किया. इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके युसूफ खां कहा कि भपंग की कला को जीवित रखने के लिए उन्होंने इंजीनियरिंग व्यवसाय को छोड़ने का निर्णय किया. भपंग वादन की कला को बढ़ावा देने के लिए उनके अलावा चाचा, छोटा भाई और उनके छोटे-छोटे पुत्र भी इस कला में पारंगत हो चुके हैं.

चार साल की उम्र में सीखा भपंग वादन : युसूफ बताते हैं कि जब उनकी उम्र चार साल थी, तभी भपंग वादन सीखा. पिता भपंग वादन का अभ्यास कर रहे थे, तो वे भी वहां आकर बैठ गए और भपंग वादन सीखने लगे. वर्ष 2014—15 तक वह अपने पिता के साथ भपंग वादन करते रहे. 2016 से उन्होंने खुद का अलग से ग्रुप बना लिया. अब तक उन्हें भपंग वादन में अनेक पुरस्कार भी मिल चुके हैं. उन्होंने बताया कि वे टीवी सीरियल में भी कार्य कर चुके हैं, अब यदि मौका मिला तो वे फिल्मों में भी कार्य करना चाहेंगे.

Last Updated : 6 hours ago
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