जयपुर : यदि आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं और लगातार दवाएं लेने के बाद भी आपका मर्ज ठीक नहीं हो रहा है, तो एक बार अपनी दवाओं को चेक जरूर कर लीजिए. हाल ही में ड्रग डिपार्टमेंट ने एक अलर्ट जारी करते हुए सात कंपनियों की 9 दवाइयों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी. विभाग की ओर से बताया गया था कि इनमें से चार दवाइयां नकली पाई गई और 5 दवाइयों के सैंपल फेल हो गए हैं. इन दवाइयों में सर्दी, खांसी, जुकाम और एलर्जी के साथ-साथ विटामिन डी-3, कैल्शियम और मानसिक रोगों में उपयोग में आने वाली दवाइयां शामिल थी.
औषधि नियंत्रण संगठन द्वारा पिछले एक साल के दौरान लिए गए सैंपल की जांच में 35 दवाओं में कंटेंट ही नहीं मिले, तो 100 से ज्यादा दवाएं सब स्टैंडर्ड की पाई गई. खैर, ये जांच रिपोर्ट चौंकाने वाली है. ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि समय-समय पर दवाओं के सैंपल लेकर जांच की जाती है. नकली या सब स्टैंडर्ड पाए जाने पर दवाओं के उपयोग पर रोक लगाने के साथ ही स्टॉक वापस ले लिया जाता है. साथ ही दवा निर्माता कंपनी के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई की जाती है.
इसे भी पढ़ें - औषधि नियंत्रक विभाग को मिलेगा पुलिस का साथ...नकली दवा पर कार्रवाई का लक्ष्य रखा दोगुना - औषधि नियंत्रक विभाग
दवाओं में कंटेंट पाए गए निल : पिछले पांच सालों के आंकड़ों की बात करें, तो औषधि नियंत्रण संगठन की ओर से जारी किए गए आंकड़ों में जिन दवाओं के सैंपल लिए गए उसमें कंटेंट निल पाए गए हैं. सालवार बात करें तो साल 2020 में 29 दवाएं, साल 2021 में 14, साल 2022 में 4, साल 2023 में 9, साल 2024 में 35 दवाओं में कंटेंट निल पाए गए. इसके अलावा सालवार जांच में कई दवाएं नॉट स्टैंडर्ड पाई गई. इनमें साल 2021 में 171 दवाएं, साल 2022 में 135 दवाएं, साल 2023 में 192 और साल 2024 में 100 दवाएं नॉट स्टैंडर्ड पाई गई.
शरीर के लिए घातक : मामले को लेकर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मनीष अग्रवाल का कहना है कि कई बार बाजार में ऐसी दवाइयां बेची जाती हैं, जिनमें बीमारी ठीक करने के घटक ही नहीं होते हैं. साथ ही कई बार बाजार में एक्सपायर हुई दवाइयों को नए बैच के साथ बेचा जाता है. आमतौर पर यह दवाइयां शरीर के लिए काफी घातक साबित होती हैं.
इसे भी पढ़ें - medicines real or fake अब QR Code स्कैन करते ही सामने आएगी सच्चाई, 300 से ज्यादा दवाएं होंगी शामिल
ये दवाएं जांच में हुई फेल : हाल ही में औषधि नियंत्रण संगठन ने एक अलर्ट जारी किया था, जिनमें कुछ दवाइयां जांच में फेल हो गई थी. इसमें सिस्टोल रेमडीज कंपनी की टेल्मिसर्टन और एम्लोडिपिन सॉल्ट वाली सुपाटेल-ट्रियो के तीन बैच हैं. सनोफी इंडिया लिमिटेड के एविल इंजेक्शन का बैच. ये इंजेक्शन मानसिक तौर पर बीमार मरीजों को नींद के लिए दिए जाते हैं, मैसर्स एपल फॉर्म्यूलेशन प्रा. लि. की कैल्शियम कार्बोनेट और विटामिन डी-3 की टैबलेट. सिस्टोल रेमडीज कंपनी की टेल्मिसर्टन और एम्लोडिपिन सॉल्ट वाली सुपाटेल-ट्रियो.
मैसर्स प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर प्रा. लि. की अल्प्राजोलम टैबलेट,मैसर्स एस्पर फार्मास्युटिकल्स की निमोस्लाइड पेरासिटामोल टैबलेट अमानक मिलीं, मैसर्स एडविन फार्मा एलसीमास्क-एम (लिवोसिट्राजिन, मोंटेलुकास्ट) की दवाई के सैंपल भी अमानक निकले हैं. इनके अलावा मैसर्स स्कॉट-एडिल फार्मासिया लि. का खून पतला करने का हेपारिन सोडियम इंजेक्शन और मैसर्स एथिकेयर लैबोरेट्रीज का संक्रमण कंट्रोल करने वाला सल्फामेथोक्साजोल और ट्राइमेथोप्रिम का इंजेक्शन शामिल है.