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बैतूल का MTech मजदूर: लोकसभा का नामांकन भरने थैले में हजारों चिल्लर लाया, गिनने में कमर्चारी पस्त - betul Laborer filed nomination

बैतूल लोकसभा सीट से बारस्कर सुभाष ने किसान स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया. सुभाष नामांकन राशि चिल्लर के रूप में जमा करने के लिए पहुंचे. इसे गिनने के लिए निर्वाचन कार्यालय में अतिरिक्त कर्मचारी बुलाने पड़े.

betul loksabha seat Laborer filed nomination
बैतूल में जमानत राशि के लिए थैले में लेकर चिल्लर लेकर पहुंचा प्रत्याशी
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 5, 2024, 10:33 AM IST

Updated : Apr 5, 2024, 3:00 PM IST

बैतूल निर्वाचन कार्यालय में चिल्लर गिनने में परेशान हुए कर्मचारी

बैतूल। बैतूल लोकसभा सीट से एक प्रत्याशी के नामांकन का अनोखा मामला सामने आया है. चुनाव के लिए किसान स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी और पेशे से मजदूर बारस्कर सुभाष ने अपना नामांकन जमा कराया. नामांकन की राशि जमा करने के लिए बारस्कर 9200 रुपए की चिल्लर थैले में लेकर पहुंचे. बारस्कर ने 12 हजार 500 रुपए की राशि में से 9200 की चिल्लर और शेष राशि नोट के रूप में जमा कराई. इस कारण रिटर्निंग ऑफिसर को चिल्लर गिनने के लिए अतिरिक्त कर्मचारी बुलाने पड़े. बता दें कि सुभाष एमटेक पास हैं और एक मजदूर हैं.

एमटेक की पढ़ाई के बाद कर रहे मजदूरी

किसान स्वतंत्र पार्टी के बैतूल लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी सुभाष बारस्कर ने एमटेक की पढ़ाई की है. उन्होंने इंदौर की एक निजी कंपनी में करीब 1 साल तक काम भी किया. लेकिन पारिवारिक कारणों के चलते वे नौकरी छोड़कर गांव आ गए. गांव में खेती बाड़ी, मजदूरी और हम्माली का काम कर अपना परिवार चला रहे हैं. सुभाष की पत्नी का करीब 3 साल पहले निधन हो गया था, उनकी 3 साल की एक बेटी भी है. बेटी की देखभाल करने के लिए वह गांव में ही रहकर मजदूरी कर अपना परिवार चला रहे हैं.

लोकसभा का नामांकन भरने थैले में हजारों चिल्लर लाया

प्रत्याशी का दावा- लोगों से चंदा मांगकर जमा किए सिक्के

बैतूल जिला निर्वाचन कार्यालय में ड्यूटी पर तैनात अधिकारी-कर्मचारियों के होश तब उड़ गए, जब किसान स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी सुभाष बारस्कर जमानत राशि के तौर पर 9200 रुपए की राशि एक और दो रुपये के सिक्कों के रूप लेकर पहुंचे. इसे गिनते-गिनते कर्मचारियों के पसीने छूट गए. सुभाष का कहना है कि ये राशि लोगों से चंदा मांगकर जमा की है. हर एक सिक्का एक व्यक्ति का समर्थन है. गौरतलब है कि सुभाष पेशे से मजदूर हैं. वह इससे पहले ग्राम पंचायत से लेकर विधानसभा तक का चुनाव लड़ चुके हैं.

चुनाव लड़ने के लिए दोस्तों की लेते हैं मदद

सभाष का कहना है "वह हर चुनाव में इसी तरह से लोगों से चंदा मांगकर जमानत राशि जमा करते हैं. चुनाव लड़ने के लिए दोस्तों से मदद लेते हैं. हर चुनाव में वह आम जनता से चंदा इकट्ठा करते हैं. इसलिए कोई एक का सिक्का देता है तो कोई दो का सिक्का. यही हमारा वोट बैंक है. जनता खुले मन से मुझे सिक्के देती है. इसलिए मजबूरी में नामांकन भरने के दौरान वह सिक्के लेकर पहुंचते हैं."

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पंचायत से लेकर लोकसभा तक का चुनाव लड़ते हैं सुभाष

बता दें कि लोकसभा चुनाव के पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट से सुभाष निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे. लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. सुभाष को उम्मीद है कि वह एक न एक दिन चुनाव जीतेंगे और अपने स्तर पर कुछ परिवर्तन लाएंगे.

सुभााष कहते हैं "वह परिवर्तन लाने के लिए चुनाव लड़ते हैं. आगे भी वह सभी चुनाव लड़ेंगे. पंचायत स्तर से लेकर लोकसभा स्तर का चुनाव वह हर बार लड़ेंगे. एक न एक दिन जरूर जीत हासिल होगी. बैतूल लोकसभा क्षेत्र आदिवासी के लिए आरक्षित है इसलिए चुनाव लड़ने का मन बनाया. अपने आसपास की समस्याओं को हल करने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं. "

बैतूल निर्वाचन कार्यालय में चिल्लर गिनने में परेशान हुए कर्मचारी

बैतूल। बैतूल लोकसभा सीट से एक प्रत्याशी के नामांकन का अनोखा मामला सामने आया है. चुनाव के लिए किसान स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी और पेशे से मजदूर बारस्कर सुभाष ने अपना नामांकन जमा कराया. नामांकन की राशि जमा करने के लिए बारस्कर 9200 रुपए की चिल्लर थैले में लेकर पहुंचे. बारस्कर ने 12 हजार 500 रुपए की राशि में से 9200 की चिल्लर और शेष राशि नोट के रूप में जमा कराई. इस कारण रिटर्निंग ऑफिसर को चिल्लर गिनने के लिए अतिरिक्त कर्मचारी बुलाने पड़े. बता दें कि सुभाष एमटेक पास हैं और एक मजदूर हैं.

एमटेक की पढ़ाई के बाद कर रहे मजदूरी

किसान स्वतंत्र पार्टी के बैतूल लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी सुभाष बारस्कर ने एमटेक की पढ़ाई की है. उन्होंने इंदौर की एक निजी कंपनी में करीब 1 साल तक काम भी किया. लेकिन पारिवारिक कारणों के चलते वे नौकरी छोड़कर गांव आ गए. गांव में खेती बाड़ी, मजदूरी और हम्माली का काम कर अपना परिवार चला रहे हैं. सुभाष की पत्नी का करीब 3 साल पहले निधन हो गया था, उनकी 3 साल की एक बेटी भी है. बेटी की देखभाल करने के लिए वह गांव में ही रहकर मजदूरी कर अपना परिवार चला रहे हैं.

लोकसभा का नामांकन भरने थैले में हजारों चिल्लर लाया

प्रत्याशी का दावा- लोगों से चंदा मांगकर जमा किए सिक्के

बैतूल जिला निर्वाचन कार्यालय में ड्यूटी पर तैनात अधिकारी-कर्मचारियों के होश तब उड़ गए, जब किसान स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी सुभाष बारस्कर जमानत राशि के तौर पर 9200 रुपए की राशि एक और दो रुपये के सिक्कों के रूप लेकर पहुंचे. इसे गिनते-गिनते कर्मचारियों के पसीने छूट गए. सुभाष का कहना है कि ये राशि लोगों से चंदा मांगकर जमा की है. हर एक सिक्का एक व्यक्ति का समर्थन है. गौरतलब है कि सुभाष पेशे से मजदूर हैं. वह इससे पहले ग्राम पंचायत से लेकर विधानसभा तक का चुनाव लड़ चुके हैं.

चुनाव लड़ने के लिए दोस्तों की लेते हैं मदद

सभाष का कहना है "वह हर चुनाव में इसी तरह से लोगों से चंदा मांगकर जमानत राशि जमा करते हैं. चुनाव लड़ने के लिए दोस्तों से मदद लेते हैं. हर चुनाव में वह आम जनता से चंदा इकट्ठा करते हैं. इसलिए कोई एक का सिक्का देता है तो कोई दो का सिक्का. यही हमारा वोट बैंक है. जनता खुले मन से मुझे सिक्के देती है. इसलिए मजबूरी में नामांकन भरने के दौरान वह सिक्के लेकर पहुंचते हैं."

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पंचायत से लेकर लोकसभा तक का चुनाव लड़ते हैं सुभाष

बता दें कि लोकसभा चुनाव के पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट से सुभाष निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे. लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. सुभाष को उम्मीद है कि वह एक न एक दिन चुनाव जीतेंगे और अपने स्तर पर कुछ परिवर्तन लाएंगे.

सुभााष कहते हैं "वह परिवर्तन लाने के लिए चुनाव लड़ते हैं. आगे भी वह सभी चुनाव लड़ेंगे. पंचायत स्तर से लेकर लोकसभा स्तर का चुनाव वह हर बार लड़ेंगे. एक न एक दिन जरूर जीत हासिल होगी. बैतूल लोकसभा क्षेत्र आदिवासी के लिए आरक्षित है इसलिए चुनाव लड़ने का मन बनाया. अपने आसपास की समस्याओं को हल करने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं. "

Last Updated : Apr 5, 2024, 3:00 PM IST
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