बैतूल। बैतूल जिला हमेशा सांप्रदायिक सद्भावना के लिए जाना जाता है. यहां सभी धर्मों के त्योहार सभी समाज के लोग पूर्ण उत्साह के साथ मनाते हैं. मुस्लिम समाज इस समय मोहर्रम मना रहा है. वहीं, बैतूल में एक ऐसा हिंदू परिवार भी है, जिनकी 7 पुश्तें मुहर्रम ठीक उसी तरह मनाते आ रही हैं जैसा मुस्लिम समुदाय मनाता है. बैतूल बाजार का ढोके परिवार पूर्ण आस्था के साथ प्रतिवर्ष मुहर्रम पर सुंदर ताजिया बनाकर तैयार करता है.
हिंदू परिवार 9 दिन में तैयार करता है ताजिया
परिवार के सभी सदस्य मिलकर मुहर्रम की पहली तारीख से ताजिया बनाना शुरू करते हैं और 9 दिन में ताजिया बनकर तैयार हो जाता है. पूरा परिवार मिलकर ताजिया को ससम्मान मुहर्रम के मुख्य जुलूस में लेकर पहुंचते हैं. इस दौरान सैकड़ों मुस्लिम धर्मावलंबियों का भी उनके घर आना-जाना लगा रहता है. ढोके परिवार के मुखिया शंकर राव बताते हैं "कई पीढ़ियों से उनके पूर्वज एक अजीबोगरीब अभिशाप से पीड़ित थे. उनके घर मे किसी भी शिशु की जन्म के बाद उसकी अज्ञात कारण से मौत हो जाती थी."
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मन्नत के बाद बच्चों की मौत का सिलसिला थमा
शंकर राव बताते हैं "बच्चों की मौत से उनके पूर्वज काफी चिंतित रहते थे. फिर किसी पीर फकीर की सलाह पर पूर्वजों ने मन्नत मांगी कि यदि परिवार इस अभिशाप से मुक्त हो जाए तो वे हर साल मुहर्रम पर ताजिया बनाएंगे." बताते हैं कि मन्नत मांगने के कुछ दिनों बाद ढोके परिवार में खुशियां लौटने लगीं और जन्म लेने वाले शिशुओं की मौत का सिलसिला रुक गया. इस प्रकार उनके वंश पर लगा दाग भी मिट गया. इसी के बाद से ये परिवार मोहर्रम मनाता आ रहा है. अब तक लगभग 200 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं, ढोके परिवार हर साल ताजिया बनाकर मुहर्रम के जुलूस में शामिल होता है.