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सरकार खोज रही है बेतिया राज की जमीन, किसानों ने खोल दिया मोर्चा कहा-'जान दे देंगे, लेकिन..' - BETTIAH RAJ LAND DISPUTE

चंपारण किसान-मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने तुरकौलिया अंचल कार्यालय पर धरना दिया. किसानों ने कहा-'जान दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे.'

protest in turkaulia
तुरकौलिया में धरना. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 30, 2024, 4:44 PM IST

Updated : Dec 30, 2024, 6:17 PM IST

मोतिहारीः एक तरफ बिहार सरकार बेतिया राज की जमीन को खोजकर उसे अतिक्रमणमुक्त करने में लगी है, वहीं पूर्वी चंपारण जिला में ब्रिटिश काल में बेतिया राज की मिली जमीन के रैयतों का आन्दोलन एकबार फिर से शुरु हो गया है. चंपारण किसान-मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने तुरकौलिया अंचल कार्यालय पर धरना दिया. किसानों ने कहा-'जान दे देंगे,लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे.'

क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन: धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे चंपारण किसान-मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुभाष सिंह कुशवाहा ने बताया कि यहां के लोगों को ब्रिटिश काल में जमीन मिली थी. ब्रिटिश शासन के समय रैयत घोषित किया गया था. आजादी के बाद मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने भी रैयत घोषित किया था. अब बिहार सरकार ने बेतिया राज की 15 सौ एकड़ जमीन को सरकारी भूमि घोषित कर दिया है. इसी निर्णय के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

protest in turkaulia
तुरकौलिया में धरना. (ETV Bharat)

"चंपारण में सांसद, मंत्री और कई विधायक का घर बेतिया राज की जमीन पर है. इसलिए बेतिया राज की जमीन को बिहार सरकार द्वारा खाली कराये जाने से खाली होने वाला नहीं है. हम किसानों को सिर्फ परेशान करने के लिए सरकार ऐसा कर रही है."- सुभाष सिंह कुशवाहा, चंपारण किसान-मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष

आंदोलन की चेतावनीः सुभाष सिंह कुशवाहा ने कहा कि उनकी जमीन की खरीद बिक्री,दाखिल खारिज और जमाबंदी पर रोक लगायी गयी है. उनका कहना था कि जमीन पर लगी रोक को हटाने के लिए वे लोग यहां धरना दे रहे हैं. साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर एक महीने के अंदर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो दोनों चंपारण के सभी 46 प्रखंडों के लोग गांधी मैदान में इकट्ठा होंगे.

protest in turkaulia
तुरकौलिया में धरना. (ETV Bharat)

क्या है मामला: पूर्वी और पश्चिमी चंपारण के लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के समय बेतिया राज की जमीन दी गई है. जिन लोगों को जमीन दी गई थी, उन्हें ब्रिटिश राज में रैयत घोषित किए जाने की बात बतायी जा रही है. चंपारण के किसानों की यह लड़ाई दशकों पुरानी है. जिसे लेकर समय-समय पर किसान आंदोलन करते रहते हैं. इधर बिहार सरकार ने बेतिया राज की संपत्ति को निहित करने वाला विधेयक-2024 की मंजूरी दे दी.

इसे भी पढ़ेंः बेतिया राज की जमीन पर जो लोग घर बनाए हैं उनके लिए महत्वपूर्ण सूचना, सरकार का ये फरमान जानिए

मोतिहारीः एक तरफ बिहार सरकार बेतिया राज की जमीन को खोजकर उसे अतिक्रमणमुक्त करने में लगी है, वहीं पूर्वी चंपारण जिला में ब्रिटिश काल में बेतिया राज की मिली जमीन के रैयतों का आन्दोलन एकबार फिर से शुरु हो गया है. चंपारण किसान-मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने तुरकौलिया अंचल कार्यालय पर धरना दिया. किसानों ने कहा-'जान दे देंगे,लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे.'

क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन: धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे चंपारण किसान-मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुभाष सिंह कुशवाहा ने बताया कि यहां के लोगों को ब्रिटिश काल में जमीन मिली थी. ब्रिटिश शासन के समय रैयत घोषित किया गया था. आजादी के बाद मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने भी रैयत घोषित किया था. अब बिहार सरकार ने बेतिया राज की 15 सौ एकड़ जमीन को सरकारी भूमि घोषित कर दिया है. इसी निर्णय के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

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तुरकौलिया में धरना. (ETV Bharat)

"चंपारण में सांसद, मंत्री और कई विधायक का घर बेतिया राज की जमीन पर है. इसलिए बेतिया राज की जमीन को बिहार सरकार द्वारा खाली कराये जाने से खाली होने वाला नहीं है. हम किसानों को सिर्फ परेशान करने के लिए सरकार ऐसा कर रही है."- सुभाष सिंह कुशवाहा, चंपारण किसान-मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष

आंदोलन की चेतावनीः सुभाष सिंह कुशवाहा ने कहा कि उनकी जमीन की खरीद बिक्री,दाखिल खारिज और जमाबंदी पर रोक लगायी गयी है. उनका कहना था कि जमीन पर लगी रोक को हटाने के लिए वे लोग यहां धरना दे रहे हैं. साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर एक महीने के अंदर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो दोनों चंपारण के सभी 46 प्रखंडों के लोग गांधी मैदान में इकट्ठा होंगे.

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तुरकौलिया में धरना. (ETV Bharat)

क्या है मामला: पूर्वी और पश्चिमी चंपारण के लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के समय बेतिया राज की जमीन दी गई है. जिन लोगों को जमीन दी गई थी, उन्हें ब्रिटिश राज में रैयत घोषित किए जाने की बात बतायी जा रही है. चंपारण के किसानों की यह लड़ाई दशकों पुरानी है. जिसे लेकर समय-समय पर किसान आंदोलन करते रहते हैं. इधर बिहार सरकार ने बेतिया राज की संपत्ति को निहित करने वाला विधेयक-2024 की मंजूरी दे दी.

इसे भी पढ़ेंः बेतिया राज की जमीन पर जो लोग घर बनाए हैं उनके लिए महत्वपूर्ण सूचना, सरकार का ये फरमान जानिए

Last Updated : Dec 30, 2024, 6:17 PM IST
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