गया: बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. 13 नवंबर को मतदान है. नामांकन की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर है. गया जिले में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. आज नामांकन की आखिरी तिथि से एक दिन पहले 24 अक्टूबर को कई अभ्यर्थी नामांकन के लिए डीआरडीए भवन पहुंचे थे. बेलागंज से राजद प्रत्याशी डॉ विश्वनाथ यादव, टोटो से नामांकन करने पहुंचे. इस दौरान ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम विकास के मुद्दे पर चुनाव मैदान में हैं.
सभी का समर्थन हासिलः राजद प्रत्याशी ने कहा कि उसके पिता बेलागंज के पूर्व विधायक सुरेंद्र यादव ने 30 वर्षों से बेलागंज क्षेत्र को संजो कर रखा है. आज उनके आदर्श और कार्यों को लेकर क्षेत्र में हैं. चुनौती इसलिए नहीं है कि क्षेत्र की जनता का आशीर्वाद हमारे साथ है. डॉ विश्वनाथ यादव ने पूछे जाने पर की उनका किस प्रत्याशी से चुनावी क्षेत्र में संघर्ष होगा, उन्होंने कहा कि बेलागंज में रहने वाले सभी जाति धर्म के लोगों का समर्थन हासिल है.
"बेलागंज मेरी बगिया है, अपनी बगिया में अपना आम, अपना अमरूद, अपना गुलाब, गेंदा फूल लगाया है. लेग मेरी बगिया से आम, अमरूद फूल चुराने आ रहे हैं. हम तो अपनी बगिया की सुरक्षा के लिए खड़े हैं. हम विकास के मुद्दे पर चुनाव मैदान में हैं."- डॉ विश्वनाथ यादव, राजद प्रत्याशी, बेलागंज
प्रशांत किशोर का प्रभाव नहींः डॉ विश्वनाथ यादव ने कहा कि प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज का अभी उदय हुआ है, क्षेत्र में उनका कोई प्रभाव नहीं है. वह एक समुदाय में ही लड़ाई लगाने का कार्य किया है. उनको और उनके पिता को अल्पसंख्यकों का आशीर्वाद शुरू से प्राप्त है. राजद प्रत्याशी ने कहा कि वो सभी के दुख दर्द में पहुंचते हैं. अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हमारे गार्जियन हैं. विश्वनाथ यादव ने कहा कि बेलागंज क्षेत्र राजद का मजबूत किला है और उस किले की मजबूती क्षेत्र की जनता है.
परिवारवाद नहीं मानते राजद प्रत्याशी: बता दें कि राजद प्रत्याशी विश्वनाथ यादव, जहानाबाद सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव के पुत्र हैं. पहले सुरेंद्र यादव यहां से विधायक थे. जहानाबाद से सांसद चुने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद यहां उपचुनाव हो रहा है. राजद ने इस सीट पर सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव को टिकट दिया है. विश्वनाथ यादव उन्हें टिकट मिलने पर परिवारवाद नहीं मानते हैं. उन्होंने कहा कि किसान का बेटा अगर किसानी कर सकता है तो फिर नेता का बेटा जो समर्पित कार्यकर्ता हो वह क्यों नहीं चुनाव लड़ सकता है.
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