प्रयागराज: महाकुम्भ 2025 से पहले संगम नगरी प्रयागराज में साहित्यकारों और कलाकारों का कुंभ शुरू हो गया है. कुंभ नगरी की विरासत को संजोए रखने के लिए शहर में बज्म-ए-विरासत की शुरुआत शुक्रवार को हुई. जिसका उदघाटन प्रयागराज में जन्मे विश्व विख्यात बांसुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया ने किया. इस मौके पर उन्होंने प्रयागराज से जुड़ी अपनी पुरानी यादों को भी कार्यक्रम में मौजूद दर्शकों के साथ साझा किया.
पंडित हरि प्रसाद चौरसिया ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि उस वक्त के इलाहाबाद से आज का प्रयागराज काफी बदला हुआ और सजा संवरा हुआ दिख रहा है. उन्होंने कहा कि आज शहर में लाइटें लग गई हैं बड़ी बड़ी इमारतें खड़ी हो गई हैं. जब वो इस शहर में रहते थे तब इस शहर में ऐसा कुछ नहीं था. मशहूर बांसुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया ने कहा कि बांसुरी वादन में स्वर के उतार चढ़ाव से धुन निकलती है. इसलिए ये कला एक योग की तरह है और पहले जहां इस क्षेत्र में पुरुष ही थे वहीं अब इस क्षेत्र में बेटियां भी आगे आ गयी हैं, जिसको देखकर उन्हें भी खुशी होती है.
दरअसल तीन दिवसीय बज्म-ए-विरासत कार्यक्रम की शुरुआत प्रयागराज में जन्में बॉलीवुड के मशहूर फिल्म डायरेक्टर प्रोड्यूसर तिग्मांशु धूलिया और उनके साथियों ने की है. वहीं तिग्मांशु धूलिया ने बज्म ए विरासत कार्यक्रम को महाकुंभ की शुरुआत करने वाला कार्यक्रम बताया है. तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में कुल 15 सेशन आयोजित किये जा रहे हैं. तीन दिनों के इस कार्यक्रम में फिल्म और साहित्य जगत की कई नामचीन हस्तियां शामिल हो रही हैं. जिसमें सिने जगत के मशहूर एक्टर और एक्ट्रेस के साथ ही लेखन से जुड़े लोग भी आएंगे.
वहीं कार्यक्रम के पहले दिन पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के इंटरव्यू और इलाहाबाद की लंतरानी ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. पहले दिन उद्घाटन कार्यक्रम में भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य रहे और वर्तमान में कमेंटेटर मोहम्मद कैफ भी शामिल हुए. जबकि बज्म-ए-विरासत में दूसरे दिन संगीतकार शुभा मुद्गल और शायर वसीम बरेलवी का कार्यक्रम भी होगा.
आखरी दिन मशहूर फिल्म एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नंदिता दास और संजय मिश्रा पहुंचेंगे और प्रयागराज के लोगों के सामने अपनी बात रखेंगे. बज्म ए विरासत कार्यक्रम के जरिये प्रयागराज की परंपरा को आगे बढ़ाने और उसे जीवित रखना है. इसके साथ ही प्रयागराज की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं से नई पीढ़ी को रूबरू कराने का कार्य भी ये कार्यक्रम करेगा. इस मौके पर बज्म ए विरासत कार्यक्रम के आयोजक तिग्मांशु धूलिया का कहना है कि, इस कार्यक्रम के सफल होने पर अगले साल से ये कार्यक्रम हर साल आयोजित किया जाएगा.
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