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बाबा बेहिलनाथ शिव मंदिर की अद्भुत कहानी, शिवलिंग की खोदाई करने पर निकलने लगे थे सांप और बिच्छू - श्रीराम मंदिर अयोध्या

बस्ती के बाबा बेहिलनाथ शिव मंदिर (Basti Baba Behil Nath Shiv Temple) की महिमा और आस्था पुरातनकाल से है. फिलवक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 5, 2024, 9:00 AM IST

बस्ती : अयोध्या में भगवान राम का भव्य और दिव्य मंदिर बनकर तैयार है. इसके बाद से लोगों में ईश्वर, मंदिर और पूजा पाठ में आस्था बढ़ रही है. आम लोग भी मंदिरों में दान देने पहुंच रहे हैं. बस्ती के बनकटी में स्थित 150 साल पुराने शिव मंदिर में एक क्विंटल चांदी का दान किया गया. इसके बाद बाबा महाकाल की तर्ज पर शिवलिंग को सजाया गया है. दूर-दूर से लोग इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ का दर्शन के लिए आ रहे हैं.

बस्ती जिले के महुली मार्ग पर विकासखंड बनकटी के बेहिल गांव में लगभग 150 वर्ष पुराना बाबा बेहिलनाथ का मंदिर अपने आप में सैकड़ों वर्षों का इतिहास समेटे है. यहां ईसा पूर्व पांचवीं सदी के मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) के टुकड़े मिल चुके हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मंदिर कई सदी पुराना है.

मंदिर में चांदी दान करने वाले पूर्व ब्लॉक प्रमुख रहे रमेश बहादुर सिंह बताते हैं कि वर्षों पूर्व यहां बहुत पतली आकार में शिवलिंग मिट्टी से निकला था. बस्ती गजेटियर के अनुसार बाबा बेहिलनाथ स्वयं में अनूठा शिवलिंग है. बाबा बेहिलनाथ मिट्टी के अष्टकोणीय अर्घें से प्राप्त हुए थे.

उस समय के तत्कालीन जमींदार वजीर सिंह शिवलिंग को खोदवा कर अपने गांव ले जाना चाहते थे, लेकिन 10 फीट खोदाई करने के बावजूद शिवलिंग के जड़ का पता नहीं चला सका. इस बीच खोदाई के दौरान मिट्टी से अधिसंख्य बिच्छू, सांप और अन्य जहरीले जीव निकलने लगे. इससे भयभीत होकर जमींदार ने खोदाई बंद करवा दी. इससे स्थानीय और क्षेत्र के जनता की आस्था व विश्वास और बढ़ गया.


सर्वप्रथम मंदिर इस सिद्ध स्थान का जीर्णोद्धार अमोढ़ा निवासी ब्राह्मण बाबा रामदेव ने कराया था. इनकी भोलेनाथ में इतनी आस्था थी कि ब्रह्ममुहूर्त से सायं तक एक पांव पर खड़े होकर यह आराधना किया करते थे. इस दौरान यहां कुछ ऐसे चमत्कार हुए कि लोग दूर-दूर से अपनी मुरादें मांगने यहां आने लगे.

बाबा बनारसी दास तथा भूरे यादव की अगुवाई में मंदिर का निर्माण हुआ. इसके बाद अमरडोभा निवासी स्व. चंद्रिका सिंह व उनके पुत्र रमेश बहादुर सिंह की ओर से मंदिर का भव्य विस्तार हुआ. बेहिलनाथ मंदिर पर श्रद्धालुओं की ओर से प्रतिदिन जलाभिषेक किया जाता है. इसके साथ-साथ प्रत्येक सोमवार को यहां मेले जैसा दृश्य हो जाता है.

सैकड़ों लोग कथा, रामायण, रुद्राभिषेक आदि तो करते ही हैं. भंडारा भी चलता रहता है. महाशिवरात्रि के अवसर पर तथा श्रावण मास में तो यहां विशाल मेला लगता है. जिसमें श्रद्धालुओं की ओर से मुंडन व जनेऊ संस्कार के साथ अन्य धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं.

चांदी से शिवलिंग को सजाने के बाद वह काफी आकर्षक हो गया है. पूर्व ब्लॉक प्रमुख रमेश बहादुर सिंह बताते हैं कि उनकी बहू को कोई संतान नहीं हो रहा था तो उन्होंने इस मंदिर में आकर मनौती मांगी. इसके बाद डॉक्टर भी हैरान हो गए कि ये चमत्कार कैसे हो गया. बड़े से बड़े डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे.

उन्होंने बताया कि भगवान ने मुराद पूरी कर दी है. इस पर उन्होंने एक क्विंटल चांदी का दान देकर मंदिर को सुशोभित कराया है. जिससे इसकी मान्यता केवल बस्ती ही नहीं पूरे देश में फैल सके.

यह भी पढ़ें : डीएम का अनोखा अभियान बना सूबे के लिए रोल मॉडल, तीन महीने में 42000 मुकदमों का कराया निस्तारण

यह भी पढ़ें : अमरमणि त्रिपाठी की संपत्ति होगी कुर्क, 22 साल पुराने अपहरण के मामले में फिर नहीं हुए पेश

बस्ती : अयोध्या में भगवान राम का भव्य और दिव्य मंदिर बनकर तैयार है. इसके बाद से लोगों में ईश्वर, मंदिर और पूजा पाठ में आस्था बढ़ रही है. आम लोग भी मंदिरों में दान देने पहुंच रहे हैं. बस्ती के बनकटी में स्थित 150 साल पुराने शिव मंदिर में एक क्विंटल चांदी का दान किया गया. इसके बाद बाबा महाकाल की तर्ज पर शिवलिंग को सजाया गया है. दूर-दूर से लोग इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ का दर्शन के लिए आ रहे हैं.

बस्ती जिले के महुली मार्ग पर विकासखंड बनकटी के बेहिल गांव में लगभग 150 वर्ष पुराना बाबा बेहिलनाथ का मंदिर अपने आप में सैकड़ों वर्षों का इतिहास समेटे है. यहां ईसा पूर्व पांचवीं सदी के मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) के टुकड़े मिल चुके हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मंदिर कई सदी पुराना है.

मंदिर में चांदी दान करने वाले पूर्व ब्लॉक प्रमुख रहे रमेश बहादुर सिंह बताते हैं कि वर्षों पूर्व यहां बहुत पतली आकार में शिवलिंग मिट्टी से निकला था. बस्ती गजेटियर के अनुसार बाबा बेहिलनाथ स्वयं में अनूठा शिवलिंग है. बाबा बेहिलनाथ मिट्टी के अष्टकोणीय अर्घें से प्राप्त हुए थे.

उस समय के तत्कालीन जमींदार वजीर सिंह शिवलिंग को खोदवा कर अपने गांव ले जाना चाहते थे, लेकिन 10 फीट खोदाई करने के बावजूद शिवलिंग के जड़ का पता नहीं चला सका. इस बीच खोदाई के दौरान मिट्टी से अधिसंख्य बिच्छू, सांप और अन्य जहरीले जीव निकलने लगे. इससे भयभीत होकर जमींदार ने खोदाई बंद करवा दी. इससे स्थानीय और क्षेत्र के जनता की आस्था व विश्वास और बढ़ गया.


सर्वप्रथम मंदिर इस सिद्ध स्थान का जीर्णोद्धार अमोढ़ा निवासी ब्राह्मण बाबा रामदेव ने कराया था. इनकी भोलेनाथ में इतनी आस्था थी कि ब्रह्ममुहूर्त से सायं तक एक पांव पर खड़े होकर यह आराधना किया करते थे. इस दौरान यहां कुछ ऐसे चमत्कार हुए कि लोग दूर-दूर से अपनी मुरादें मांगने यहां आने लगे.

बाबा बनारसी दास तथा भूरे यादव की अगुवाई में मंदिर का निर्माण हुआ. इसके बाद अमरडोभा निवासी स्व. चंद्रिका सिंह व उनके पुत्र रमेश बहादुर सिंह की ओर से मंदिर का भव्य विस्तार हुआ. बेहिलनाथ मंदिर पर श्रद्धालुओं की ओर से प्रतिदिन जलाभिषेक किया जाता है. इसके साथ-साथ प्रत्येक सोमवार को यहां मेले जैसा दृश्य हो जाता है.

सैकड़ों लोग कथा, रामायण, रुद्राभिषेक आदि तो करते ही हैं. भंडारा भी चलता रहता है. महाशिवरात्रि के अवसर पर तथा श्रावण मास में तो यहां विशाल मेला लगता है. जिसमें श्रद्धालुओं की ओर से मुंडन व जनेऊ संस्कार के साथ अन्य धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं.

चांदी से शिवलिंग को सजाने के बाद वह काफी आकर्षक हो गया है. पूर्व ब्लॉक प्रमुख रमेश बहादुर सिंह बताते हैं कि उनकी बहू को कोई संतान नहीं हो रहा था तो उन्होंने इस मंदिर में आकर मनौती मांगी. इसके बाद डॉक्टर भी हैरान हो गए कि ये चमत्कार कैसे हो गया. बड़े से बड़े डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे.

उन्होंने बताया कि भगवान ने मुराद पूरी कर दी है. इस पर उन्होंने एक क्विंटल चांदी का दान देकर मंदिर को सुशोभित कराया है. जिससे इसकी मान्यता केवल बस्ती ही नहीं पूरे देश में फैल सके.

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