बड़वानी: जिले का मुंडियापुरा गांव शराब की लत से बर्बादी की कगार पर है. दावा किया जाता है कि यहां हर घर में शराब पी जाती है. गांव के युवक नशे के कारण आत्महत्या कर रहे हैं. महिलाएं अपने ही परिवार से लड़ने को मजबूर हैं. कई घरों में राशन और अनाज तक बेचकर शराब खरीदी जाती है. गांव की बोरा बाई बताती हैं कि करीब 350 की आबादी वाले मुंडियापुर गांव में 150 से ज्यादा महिलाएं विधवा हो चुकी हैं. उनके पति शराब की वजह से या तो मर चुके हैं या खुदकुशी कर चुके हैं. कई महिलाएं मजदूरी कर परिवार चला रही हैं.
शिकायतों के बाद भी सुनवाई नहीं
मंडियापुरा गांव के लोगों ने कई बार थाना, एसडीएम और जनसुनवाई में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्हें हर बार सिर्फ आश्वासन मिला. ग्रामीण शेखर मुजाल्दे बताते हैं, "एक व्यक्ति की शराब पीने से मौत के बाद चक्का जाम भी किया गया था, लेकिन प्रशासन ने कुछ नहीं किया. गांव में शराब की बिक्री रोकने के लिए पंचायत ने एक सख्त फैसला लिया, अगर कोई शराब बेचेगा तो उस पर 1 लाख रुपए जुर्माना लगेगा. इसके बावजूद शराब की बिक्री नहीं रुकी."
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शराब के चलते गांव की हालत बदतर
गांव की रामकौर बाई ने बताया, " मेरे पति शराब खरीदने के लिए घर में खाने के लिए रखा राशन तक बेच देते थे. जब मैं शराब की दुकान पति को बुलाने गईं, तो दुकानदार ने मेरे साथ मारपीट कर दी.'' वहीं शांताबाई के पति की भी शराब पानी से मौत हो चुकी है. ग्रामीण महिला गंगा बाई बताती हैं, "मेरे पति शराब पीकर अक्सर मारपीट करते थे. गांव की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है. अगर जल्द ही शराब पर रोक नहीं लगी, तो आने वाले समय में यहां सिर्फ विधवाएं बचेंगी. गांव वालों की बस एक ही मांग है शराबबंदी."
ऐसा कोई घर नहीं जहां कोई नहीं पीता शराब
नर्मदा बचाओ आंदोलन के सदस्य राहुल यादव ने बताया, " जिले के मुंडियापुरा गांव में ऐसा कोई घर नहीं जहां कोई शराब नहीं पीता है. शराबबंदी की मांग को लेकर गांव के लोगों ने कई बार शासन प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. शराब के चलते 150 से ज्यादा महिलाएं विधवा हो चुकी हैं. नशे की लत में युवा पीढ़ी भी पूरी तरह डूब चुकी है. वहीं महिलाएं मजदूरी कर के घर परिवार चलाती हैं और शाम को आदमी की मारपीट गाली गलौज खाती है."
घरों में विवाद की वजह है शराब
गांव के घर-घर में लड़ाई झगड़े आम बात है. ऐसा कोई घर व परिवार नहीं जो इस शराब की गिरफ्त में नहीं हैं. क्या बच्चे क्या बूढ़े और क्या युवा वर्ग सभी लोग कच्ची शराब और बाहर से लाकर बेची जाने वाली शराब से काफी नरकीय जिंदगी जीने को विवश हैं. दावा है कि पुरुष घर के अनाज राशन आदि को बेच कर शराब की लत पूरी करते हैं, जिससे आए दिन विवाद होता है.
शराब पर लगना चाहिए प्रतिबंध
बड़वानी शहर के समाजसेवी अजीत जैन ने कहा, "शासन प्रशासन से यही मांग है कि शराब पर प्रतिबंध लगना चाहिए. शराब शरीर के लिए हानिकारक है. आज चाहे कोई भी हो हर दूसरे व्यक्ति शराब का आदि हो रहा है. इसलिए शासन से हम सभी समाजसेवी यही चाहते है कि शराब बंद करने के लिए सरकार कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले ताकि ऐसे मामले और ना सुनने को मिले."
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इस मामले की मुझे जानकारी नहीं
फोन पर चर्चा में जिला आबकारी अधिकारी आर सी बरोड़ ने कहा, " यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है. थाने या जनसुनवाई में शिकायत की होगी, हमारे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है. पहले कभी आई हो तो इस बारे में मुझे पता नहीं है."