बड़वानी: मार्केट में टमाटर के दाम गिरने से किसान परेशान हो गए हैं. टमाटर की आई बंपर पैदावार के चलते टमाटर के भाव जमीन पर आ गए हैं. इससे किसानों को लागत और मेहनत के दाम भी नहीं मिल रहे हैं. किसान रोज टमाटर के अच्छे भाव मिलने की उम्मीद से मंडी आ रहे हैं, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है. किसान बताते हैं कि उनको मंडी आने-जाने का किराया तक निकालना भी मुश्किल हो रहा है.
पशुओं को खिला रहे टमाटर
जिला मुख्यालय के समीप स्थित करी गांव के किसान राधेश्याम गेहलोद बताते हैं कि उन्होंने काफी लागत लगाकर टमाटर की खेती की. टमाटर के भाव नहीं मिलने पर अब पशुओं को खिला रहे हैं. उन्होंने कहा "70 से 100 रुपए का एक कैरेट बिक रहा है. इससे तो लागत दूर, मजदूरी भी निकाल पाना मुश्किल है. वहीं, अब खेत में दूसरी फसल भी लगानी है. इसलिए खेत खाली करने अपने जानवरों को टमाटर खिला रहे हैं."
1 एकड़ में लाख रुपए की लागत
किसान दीप गेहलोद ने बताया कि उनका 21 एकड़ का खेत है, जिसमें 8 एकड़ में टमाटर लगाया है. टमाटर का उत्पादन तो इस बार अच्छा हुआ है, लेकिन भाव नहीं मिल रहे हैं. उन्होंने कहा "2-3 रुपए प्रति किलो व्यापारी टमाटर मांग रहे हैं. ऐसे में खर्च निकालना मुश्किल हो रहा है. कुछ समझ नहीं आ रहा, टमाटर निकालने की मजदूरी भी नहीं निकल पाएगी. इसलिए टमाटर खेत से तोड़कर पशुओं को खिला रहे हैं."
उन्होंने बताया कि 1 एकड़ में करीब 1 लाख रुपए का खर्च लगा है. जिसमें से अभी तक सिर्फ 50 से 60 हजार रुपए आए हैं. कभी मौसम की मार से फसल खराब हो जाती है. जब फसलों का उत्पादन अच्छा रहता है तो भाव कम आते हैं. किसान करे तो क्या करे. इस बार लाखों रुपए का नुकसान हुआ है."
थोक विक्रेताओं का कहना है कि किसानों से वे 1 कैरेट टमाटर 70 से 80 रुपये में खरीद रहे हैं. जबकि वह 40 रुपये भाड़ा लगाकर उसे मंडी तक ला रहे हैं. फुटकर टमाटर विक्रेताओं का भी वही हाल है. दिनभर पसीना बहाकर कड़ी धूप में 10 रुपये प्रति किलो बेचने को मजबूर हैं.
दर्जनों गांवों में बड़े पैमाने पर होती है टमाटर की खेती
किसान मंशाराम पंचोले ने बताया कि "दर्जनों गांवों में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है. इस बार उपज भी अच्छी है, लेकिन, खरीदार नहीं मिल रहे हैं. बाजार में काफी कम कीमत मिल रही है. जिले में कोल्ट स्टोरेज की व्यवस्था नहीं रहने के कारण खेत में ही टमाटर सड़ रहे हैं. किसानों ने कहा कि एक किलो टमाटर उगाने में कम से कम 8 से 10 रुपये का खर्च आता है. जबकि, वर्तमान में कीमत महज दो से तीन रुपए किलो है. लाचारी में तैयार टमाटरों को जानवरों को खिला रहे हैं."
मार्केट में 8-10 रुपये बिक रहे टमाटर
पाला बाजार पर सब्जी की दुकान चलाने वाले मधु भाई ने कहा "बड़े व्यापारियों से 5 से 6 रुपये की दर से खरीदकर टमाटर लाते हैं. दुकान तक लाने में एक रुपया प्रति किलो किराया खर्च हो जाता है. इसके बाद टमाटर की छंटाई करते हैं. अच्छे टमाटर 10 रुपये किलो तक बिक जाते हैं. जबकि क्वालिटी में जो थोड़ा खराब रहता है वह 8 रुपये किलो बिकता है." उन्होंने बताया कि टमाटर की मांग कम होने के कारण दाम और गिर सकते हैं.
सब्जियों का भी हो समर्थन मूल्य
किसानों ने कहा कि अनाज की तरह सब्जियों का भी समर्थन मूल्य घोषित किया जाना चाहिए, ताकि ऐसी स्थिति में किसानों को नुकसान न हो. उन्होंने बताया कि दरअसल किसान को जिस फसल में ज्यादा लाभ दिखाई देता है, वह उसे बहुतायत में लगा लेते हैं. इसकी पैदावार ज्यादा हो जाने के चलते यह स्थिति बनती है.
- सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने वेज थाली को किया महंगा, नॉन-वेज थाली का ये है प्राइस
- पिचक गया 200 वाला टमाटर, कुम्हला गई 100 वाली इठलाती गोभी, चिल्लर पैसों में बिकने को तैयार
केचप उद्योग लगा ले सकते हैं लाभ
जानकारी के अनुसार टमाटर की मार से बेहाल किसानों को सरकार की ओर से किसी तरह का अनुदान नहीं मिल पाएगा. कृषि विभाग की ओर से बताया गया कि बाजार की जो व्यवस्था है, उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता. फसल क्षति होने पर ही सरकारी मदद का प्रावधान है. अधिकारियों ने बताया कि टमाटर उत्पादक किसानों के लिए सरकार कैचअप उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. कैचअप उद्योग के लिए 50 फीसदी अनुदान मिलता है. टमाटर उत्पादकों को इसका लाभ लेना चाहिए.