बाड़मेर : भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर के रहने वाले 26 साल के निलेश मेहता ने करोड़ों की संपत्ति छोड़कर अब खुद के लिए संयम का मार्ग चुना है. सबसे खास बात यह है कि निलेश अपने परिवार का इकलौता बेटा है. बावजूद इसके उसने करोड़ों की संपत्ति और आलीशान मकान को छोड़ संयम का पथ चुना.
वहीं, बाड़मेर निवासी 26 वर्षीय निलेश मेहता के पिता पुरुषोत्तम दास का साल 2003 में निधन हो गया था. बीकॉम करने के बाद निलेश बतौर चार्टर्ड अकाउंटेंट बहुत अच्छा काम कर रहा था, लेकिन एक दिन अचानक सांसारिक जीवन से उसका मोह भंग हो गया. ऐसे में उसने अपने मन के भाव से उसकी मां उषा देवी को अवगत कराया. इस पर मां भी खुशी-खुशी बेटे की इच्छा को पूरा करने को तैयार हो गई. वहीं, अब शुक्रवार को निलेश दीक्षा ग्रहण करके संयम की राह पर अग्रसर होगा.
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पैसे और संपत्ति से बढ़कर जीवन धर्म : मुमुक्षु निलेश मेहता ने कहा कि संसार नश्वर है. आत्मिक सुख संयम जीवन से मिलता है और जीवन में संयम से बढ़कर कुछ नहीं है. विरति धर्म की सब जगह जय-जयकार होती है. हम सब जीवों को कल्याण और उपकार करते हुए संयम जीवन की ओर आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि जीवन में पैसे और संपत्ति से बढ़कर धर्म है.
छत्तीसगढ़ के रायपुर में होगी दीक्षा : उन्होंने कहा कि 24 तीर्थंकरों की वाणी को हर एक तक पहुंचाना ही उनकी जिंदगी का अब प्रथम और आखिरी ध्येय है. उन्होंने कहा कि 23 नवंबर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में परम पूज्य गणाधिश पन्याश प्रवर श्री विनयकुशल मुनि श्री म.सा. के द्वारा रजोहरण प्राप्त कर वो दीक्षा ग्रहण करेंगे.