बालाघाट: खैरलांजी विकासखंड के टेकाड़ीघाट में शासकीय प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षिका सकून प्रधान द्वारा काफी सराहनीय कार्य किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने निजी खर्च से स्कूल की सूरत बदल डाली है. इन्होंने बच्चों के बीच अलग अदांज में शिक्षा की अलख जगाई है. टेक्नोलॉजी से परिपूर्ण और कबाड़ से शिक्षा के जुगाड़ ने स्कूल के परीक्षा परिणाम को 93 प्रतिशत तक पहुंचाया है. सरकारी शिक्षिका की इस अनोखी पहल की शिक्षक दिवस के मौके पर हर कोई विशेष तारीफ कर रहा है.
सरकारी स्कूल में भेज रहे हैं बच्चे
शासकीय प्राथमिक शाला टेकाड़ीघाट में पहली से पांचवी तक की कक्षाएं संचालित हैं. इस विद्यालय में सकून प्रधान और निर्दोष चौधरी 2 ही शिक्षक पदस्थ हैं. इन दोनों की मेहनत ने आज अभिभावकों को सरकारी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित कर दिया है. इनकी पहल के कारण इस विद्यालय में 64 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. जिसमें 29 बालक और 34 बालिकाएं अध्ययनरत हैं. सत्र 2023-2024 के परीक्षा परिणाम में उनकी मेहनत रंग लाई है. कक्षा पांचवी के बच्चों का 93 प्रतिशत तक परीक्षा परिणाम रहा, जो ब्लॉक में प्राइवेट स्कूल को पीछे छोड़ते हुए प्रथम स्थान पाई थी. जिसके बाद लोगों ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल न भेज सरकारी स्कूल में बच्चों को भेजना शुरू कर दिया है.
एलईडी स्क्रीन से होती है पढ़ाई
प्रधान शिक्षिका सकून प्रधान ने बताया कि "आज कल तो बच्चे आधुनिकता की ओर बढ़ चले हैं. इसी के चलते गांव के ही एक व्यक्ति ने स्कूल को एक बड़ी एलईडी स्क्रीन दान की है. उसी स्क्रीन से बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ कार्टून दिखाए जाते हैं. जिससे बच्चों का मन स्कूल के प्रति लगा रहे. इस वजह से बच्चे प्रतिदिन स्कूल भी आते हैं. वहीं, बच्चों को कंप्यूटर में भी पढ़ाया जाता है, स्कूल में निजी खर्च पर 2 कंप्यूटर लगाए गए हैं."
कबाड़ से पढ़ाई का जुगाड़
शिक्षिका ने घरेलू कबाड़ से पढ़ाई का जुगाड़ बनाकर बच्चों के लिए पढ़ाई आसान बनाने की कोशिश की है. इसके लिए स्कूल में आयरन की गोली बच्चों को देने के बाद दवाइयों के खाली बॉक्स को अंग्रेजी अल्फाबेट में बदल दिया है. वहीं, फटके और बांस से हिंदी वर्णमाला और हिंदी गिनती बनाई गई है. पुराने टेलीफोन, वन्य प्राणी के कार्टून, खड्डा से चित्रांकन, कार्टून के चार्ट, हिंदी वर्णमाला में दर्शाए गए शब्द के चित्रांकन व्यवस्था सहित अन्य बच्चों की पढ़ाई के लिए कबाड़ से जुगाड़ तैयार किया गया है.
गांव वालों का है भरपूर सहयोग
शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए शिक्षिका ने जो मेहनत की है उसके लिए लोग सराहना कर रहे हैं और ग्रामीणों की ओर से भी सहयोग किया जा रहा है. गांव के व्यक्तियों ने वाटर फिल्टर और एलईडी स्क्रीन दान की है. जिससे बच्चों को शुद्ध जल मिल रहा है और एलईडी स्क्रीन से पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं, स्कूल परिसर को भी अच्छे से सजाया गया है. परिसर में चारों तरफ फूल और पौधे लगाए गए हैं, जिससे हर तरफ हरियाली नजर आती है. शौचालय की भी अच्छी व्यवस्था है और गर्मी से निजात दिलाने के लिए पंखे की व्यवस्था की गई है.
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जिले में प्रथम स्थान पर लाने की कोशिश
प्रधान शिक्षिका सकून प्रधान ने कहा कि "हजारों रुपए खर्च कर बच्चों को सुविधा के साथ पढ़ाई कराने के लिए हर पालक सक्षम नहीं होता है. जिससे वे अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ा पाता है. इसलिए हमने सोचा है कि बच्चों को जो सुविधा प्राइवेट स्कूल में मिलती हैं, वह सुविधा हम यहां भी उपलब्ध कराएंगे. आगे अब हमारा प्रयास है कि आने वाले समय में हमारे स्कूल का परीक्षा परिणाम जिले में प्रथम स्थान पर आए. इसके लिए बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि "इस स्कूल में पिछले 1 साल से 2 ही शिक्षक हैं, अगर शासन हमें और शिक्षक दे, तो हमें पढ़ाई कराने में मदद मिलेगी.''