भोपाल/बालाघाट। बालाघाट लोकसभा सीट पर घर में घमासान मच गया है. बीएसपी से बालाघाट सीट पर उम्मीदवारी कर रहे नेता कंकर मुंजारे ने अपनी पत्नि व बालाघाट से कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे के सामने शर्त रख दी है. शर्त ये है कि अनुभा मुंजारे कांग्रेस का प्रचार करती रहें, लेकिन चुनाव तक उन्हें फिर मेरा घर छोड़ना होगा. कंकर मुंजारे का कहना है कि 'ये 19 अप्रैल मतदान की तारीख तक वो कहीं और जाकर रहें. जिस घर से में बीएसपी का प्रचार कर रहा हूं, उस जगह से कांग्रेस का प्रचार नहीं हो सकता. उनका कहना है कि एक ही घर से दो विरोधी पार्टी के नेता जो एक दूसरे के लिए बुरा बोलते हैं, एक साथ नहीं रह सकते.'
कांग्रेस का प्रचार करना है तो करो, मेरे घर में मत रहो
बीएसपी से बालाघाट सीट पर उम्मीदवार कंकर मुंजारे का कहना है कि 'अनुभा मुंजारे कांग्रेस का प्रचार कर रही हैं. मैंने उनको बोला हुआ है. कांग्रेस का प्रचार करना है खूब करो, लेकिन आप यहां से प्रचार मत करो, मैं बसपा का कैंडिडेट हूं, घर में हम दोनों रहेंगे. आप मेरे खिलाफ बोलोगी. हमारे खिलाफ बोलना मतलब आप हमारी विरोधी हो. चुनाव तक आप इस घर में मत रहो. 19 अप्रैल तक आप कहीं रहो, अपनी बहन के यहां जाकर रहो, ये मैंने सजेशन दिया है. अगर आप नहीं रहोगी, मैं खाली कर दूंगा, लेकिन यहीं रहकर मैं प्रचार करूं, वो प्रचार करें ये सिद्धांत के खिलाफ है. इस तरह की चीजें बर्दाश्त नहीं होगी. हम सिद्धातों की राजनति करते हैं. ये बर्दाश्त नहीं करेंगे चाहे जो हो जाए.'
मैं कांग्रेस का प्रचार भी करूंगी पर घर नहीं छोड़ूंगी
इसके जवाब में कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे ने कहा कि 'कंकर मुंजारे बीएसपी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं. मुझे पता चला उन्होंने कुछ बयान दिया है. मैं उस पर टिप्पणी नहीं कर सकती.. लेकिन मैं इतना जरुर करूंगी कि मैं अपने घर में रह रही हूं. जब मैंने विधानसभा चुनाव नहीं छोड़ा तो अभी घर छोड़के चुनाव प्रचार में क्यों जाऊंगी. मैं मुंजारे जी की धर्मपत्नि हूं और अपने इकलौते बेटे शांतनु की मां हूं, लेकिन जब मैं चुनाव की रणभूमि में उतरती हूं. तो कांग्रेस पार्टी की सिपाही हूं. अगर पार्टी के लिए समर्पण का भाव रखकर चुनाव प्रचार में भाग लेती हूं, तो किसी को तकलीफ नहीं होना चाहिए. घर छोड़ने का तो सवाल उठता ही नहीं.
अनुभा मुंजारे ने कहा मैं घर पर ही रहूंगी और जैसा कि आप जानते है कि कंकर मुंजारे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव लडे़ थे, वे परसवाड़ा से प्रत्याशी थे. मैं बालाघाट से कांग्रेस की उम्मीदवार थी. हम लोग अपना अपना प्रचार करते थी. मैं परिवार के लिए समर्पण का भाव रखती हूं. अपने बेटे की ममता से जुड़ी हूं. अपने पति का सम्मान करती हूं. मुझे पता नहीं कंकर मुंजारे ऐसा क्यों कह रहे हैं.'
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क्या राजनीति से आई परिवार में दरार
बालाघाट की सियासत में मुंजारे परिवार का दबदबा रहा है, लेकिन अब राजनीति ही इस परिवार में दरार की वजह बन गई है. प्रचार से विचार तक पहुंची ये लड़ाई घर में गहरी होती दरार तक पहुंच गई है.