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बांधवगढ़ नेशनल पार्क में कैसे बढ़ी हाथियों की संख्या, ठिकाने बदलने को क्यों मजबूर हो रहे हैं बाघ - tiger attack on villagers

Bandhavgarh Elephants : बांधवगढ़ नेशनल पार्क में अब हाथियों की संख्या बढ़ रही है. इस कारण यहां रहने वाले बाघों को अपना ठिकाना बार-बार बदलना पड़ रहा है. हाथियों के उत्पात से गावों में भी दहशत है. बाघ भी बस्तियों की ओर मूवमेंट बढ़ा रहे हैं.

badhavgarh national park number of elephants increase
बांधवगढ़ नेशनल पार्क में कैसे बढ़ी हाथियों की संख्या
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 31, 2024, 1:15 PM IST

उमरिया। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान कुछ समय से अशांत हो चला है. बाघ जंगल छोड़कर बस्तियों मे लोगों की जान-माल के लिये खतरा बन रहे हैं तो दूसरी ओर जंगली हाथियों का उत्पात बढ़ता जा रहा है. बता दें कि गत वर्ष बाघों ने सात लोगों को मौत के घाट उतारा है. नये साल मे अभी तक दो ग्रामीणों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. इन घटनाओं में कई ग्रामीण गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं. ये सारे मामले नेशनल पार्क से सटे गावों तथा उनके आसपास के हैं. जानकार इसके लिये जंगली हाथियों को जिम्मेदार ठहराते हैं. उनका मानना है कि शांतिप्रिय बाघों को हाथियों की उपस्थिति असहज कर देती है. उनके द्वारा पेड़, पौधे और घास के मैदानो को बुरी तरह रौंदा जाता है.

बांधवगढ़ में कैसे पहुंचे हाथी

इसी कारण हिरण, चीतल आदि जीव अपना पेट भरने खेतों कीओर चल पड़ते हैं. इन्हीं के पीछे-पीछे बाघ भी गावों की ओर आ जाते हैं. वहीं, नेशनल पार्क में हाथियों के आने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. कहा जाता है कि कुछ साल पहले एक हाथी छत्तीसगढ़ से भटक कर संजय धुबरी के जंगल मे पहुंच गया था. जिसे रेस्क्यू कर बांधवगढ़ लाया गया. प्रबंधन इस बात से खुश था कि उसे एक हाथी मुफ्त में मिल गया है, जिसका इस्तेमाल पार्क के कामों मे किया जायेगा, परंतु उन्हें पता नहीं था यह गलती आगे जाकर भारी पड़ने वाली है. कुछ ही दिनों मे अपने सदस्यों को खोजते-खोजते कुछ और हाथी आ गये. फिर तो उनके झुण्ड पहुंचने लगे. धीरे-धीरे इनकी तादाद 35 से 40 हो गई.

हाथियों को पसंद आए यहां के जंगल

यहां के घने जंगल और भोजन का विशाल भंडार हाथियों को इतना भाया कि वे फिर कभी वापस ही नहीं लौटे. वर्तमान में हाथियों की संख्या बढ़कर करीब 55-60 हो गई है. बीते गुरुवार को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मानपुर रेंज के ग्राम बिरहुलिया में स्थित पलास कोठी रिसोर्ट में जंगली हाथियों ने हमला कर दिया. यह घटना शाम 7 बजे के बाद की है. इस घटना में किसी पर्यटक को तो कोई नुकसान नहीं पहुंचा लेकिन रिसोर्ट के मैनेजर को चोट आई. बताया गया है कि पलास कोठी रिसोर्ट के मैनेजर बाल्मीकि द्विवेदी के ऊपर जंगली हाथी ने हमला किया. रिसोर्ट के आसपास पिछले क़ई दिनों से जंगली हाथियों की मूवमेंट है.

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बांधवगढ़ में पहले हाथी नहीं थे

मानपुर के अलावा पतौर, पनपथा, खतौली में भी जंगली हाथी दिखाई पड़ रहे हैं. जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं वन्यजीव विशेषज्ञ लाल केके सिंह का दावा है कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क मे कभी भी हाथियों की मौजूदगी के साक्ष्य नहीं पाये गये. इनका आना अन्य जीवों के लिये बेहद हानिकारक है. जंगली हाथी उद्यान के जंगलों को नष्ट करने के साथ जनहानि कर रहे हैं. इनकी की वजह से बाघों को बार-बार अपना ठिकाना बदलना पड़ रहा है. यदि जल्दी ही हाथियों को बाहर नहीं किया गया तो टाइगर यहां से पूरी तरह समाप्त हो सकते हैं. वहीं बांधवगढ़ के उप संचालक पीकेवर्मा का कहना है कि राष्ट्रीय उद्यान में जान-माल की सुरक्षा के साथ बाघों और हाथियों के संरक्षण हेतु उच्च स्तरीय पर विमर्श चल रहा है.

उमरिया। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान कुछ समय से अशांत हो चला है. बाघ जंगल छोड़कर बस्तियों मे लोगों की जान-माल के लिये खतरा बन रहे हैं तो दूसरी ओर जंगली हाथियों का उत्पात बढ़ता जा रहा है. बता दें कि गत वर्ष बाघों ने सात लोगों को मौत के घाट उतारा है. नये साल मे अभी तक दो ग्रामीणों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. इन घटनाओं में कई ग्रामीण गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं. ये सारे मामले नेशनल पार्क से सटे गावों तथा उनके आसपास के हैं. जानकार इसके लिये जंगली हाथियों को जिम्मेदार ठहराते हैं. उनका मानना है कि शांतिप्रिय बाघों को हाथियों की उपस्थिति असहज कर देती है. उनके द्वारा पेड़, पौधे और घास के मैदानो को बुरी तरह रौंदा जाता है.

बांधवगढ़ में कैसे पहुंचे हाथी

इसी कारण हिरण, चीतल आदि जीव अपना पेट भरने खेतों कीओर चल पड़ते हैं. इन्हीं के पीछे-पीछे बाघ भी गावों की ओर आ जाते हैं. वहीं, नेशनल पार्क में हाथियों के आने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. कहा जाता है कि कुछ साल पहले एक हाथी छत्तीसगढ़ से भटक कर संजय धुबरी के जंगल मे पहुंच गया था. जिसे रेस्क्यू कर बांधवगढ़ लाया गया. प्रबंधन इस बात से खुश था कि उसे एक हाथी मुफ्त में मिल गया है, जिसका इस्तेमाल पार्क के कामों मे किया जायेगा, परंतु उन्हें पता नहीं था यह गलती आगे जाकर भारी पड़ने वाली है. कुछ ही दिनों मे अपने सदस्यों को खोजते-खोजते कुछ और हाथी आ गये. फिर तो उनके झुण्ड पहुंचने लगे. धीरे-धीरे इनकी तादाद 35 से 40 हो गई.

हाथियों को पसंद आए यहां के जंगल

यहां के घने जंगल और भोजन का विशाल भंडार हाथियों को इतना भाया कि वे फिर कभी वापस ही नहीं लौटे. वर्तमान में हाथियों की संख्या बढ़कर करीब 55-60 हो गई है. बीते गुरुवार को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के मानपुर रेंज के ग्राम बिरहुलिया में स्थित पलास कोठी रिसोर्ट में जंगली हाथियों ने हमला कर दिया. यह घटना शाम 7 बजे के बाद की है. इस घटना में किसी पर्यटक को तो कोई नुकसान नहीं पहुंचा लेकिन रिसोर्ट के मैनेजर को चोट आई. बताया गया है कि पलास कोठी रिसोर्ट के मैनेजर बाल्मीकि द्विवेदी के ऊपर जंगली हाथी ने हमला किया. रिसोर्ट के आसपास पिछले क़ई दिनों से जंगली हाथियों की मूवमेंट है.

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मानपुर के अलावा पतौर, पनपथा, खतौली में भी जंगली हाथी दिखाई पड़ रहे हैं. जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं वन्यजीव विशेषज्ञ लाल केके सिंह का दावा है कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क मे कभी भी हाथियों की मौजूदगी के साक्ष्य नहीं पाये गये. इनका आना अन्य जीवों के लिये बेहद हानिकारक है. जंगली हाथी उद्यान के जंगलों को नष्ट करने के साथ जनहानि कर रहे हैं. इनकी की वजह से बाघों को बार-बार अपना ठिकाना बदलना पड़ रहा है. यदि जल्दी ही हाथियों को बाहर नहीं किया गया तो टाइगर यहां से पूरी तरह समाप्त हो सकते हैं. वहीं बांधवगढ़ के उप संचालक पीकेवर्मा का कहना है कि राष्ट्रीय उद्यान में जान-माल की सुरक्षा के साथ बाघों और हाथियों के संरक्षण हेतु उच्च स्तरीय पर विमर्श चल रहा है.

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