वाराणसी: धर्म नगरी काशी में हमेशा से ही सनातन को सही रास्ते पर चलने और व्याप्त विसंगतियों को दूर करने को लेकर समय-समय पर संत महात्माओं और सनातन से जुड़े अन्य धर्माचार्य के मंथन आयोजन होते रहते हैं. ऐसे ही एक बड़े और वृहद रूप के सनातन समागम का आयोजन काशी में दो दिनों के लिए किया गया है. वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में सेंटर फॉर सनातन रिसर्च की तरफ से शनिवार से 2 दिनों तक 51 शक्तिपीठ और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के प्रबंध, संतों और पीठाधीश्वरों के साथ ही देशभर से आये धर्माचार्यों की जुटान वाराणसी में हुई है.
शक्तिपीठों के कायाकल्प को लेकर मंथन: 51 शक्तिपीठों में बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल भी शामिल हैं. इन देशों के प्रतिनिधि भी वाराणसी के इस कार्यक्रम में आए हैं. हालांकि पाकिस्तान और बांग्लादेश के प्रतिनिधि कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके, लेकिन नेपाल समेत अन्य जगह से आए प्रतिनिधियों ने अपने हिस्सेदारी इस कार्यक्रम में दिखाई.
उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक की मौजूदगी में स्वामी प्रखर जी महाराज के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई. जिसमें 51 शक्ति पाइथन की वर्तमान स्थिति और उन शक्तिपीठों के कायाकल्प को लेकर मंथन शुरू हुआ है. फिलहाल, इस मंथन में हर राज्य की सरकारों के साथ केंद्र सरकार से अपील करते हुए धर्माचार्य और प्रबंध समिति से जुड़े लोग एकजुट होकर इस पर मंथन कर रहे हैं.
वाराणसी में दो दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में 51 शक्तिपीठों के साथ द्वादश ज्योतिर्लिंगों से जुड़े प्रबंध पुरोहित और पुजारी की समितियां के साथ ही देश के कई संत महात्मा, पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर भी पहुंचे हैं. लगभग 400 से ज्यादा संत और प्रबंध समिति से जुड़े लोगों के काशी में आगमन के साथ ही लगभग 800 से ज्यादा सनातन प्रेमियों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की है.
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शनिवार को कार्यक्रम छह सत्रों में पूरा हुआ. विशालाक्षी शक्तिपीठ के महंत पंडित राजनाथ तिवारी ने बताया, कि यह आयोजन बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि सनातन धर्मी हमेशा से ही सनातन बोर्ड की मांग कर रहे हैं. यह हमारा मुख्य विषय है. जब अन्य धर्म के लिए बोर्ड हो सकते हैं तो सनातन सबसे पुराना धर्म और उसके लिए बोर्ड होना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि इस दो दिनों के मंथन में कई विषयों पर चर्चा होगी और अंतिम दिन सारे मंथन का एक निष्कर्ष निकाला जाएगा.
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक का कहना है, इस तरह के आयोजन देश को ऊर्जा देने वाले होते हैं. 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के तमाम लोगों के साथ संतों की उपस्थिति निश्चित तौर पर कई बड़े कार्य को पूर्ण करने का काम आगे बढ़ा देगा. वहीं महाकालेश्वर मंदिर से आए पुजारी ने अपनी बातें रखीं. पुजारी समिति के अध्यक्ष लोकेंद्र व्यास का कहना है, इस तरह के आयोजन से निश्चित तौर पर कई तरह की बातें निकलती हैं. अपनी बातों को रखने के बाद समस्याओं का समाधान भी होता है. इस तरह के आयोजन देश भर में समय-समय पर होने आवश्यक हैं, ताकि मंदिरों की जो वर्तमान स्थिति है. उसको सुधारा जा सके.
कुछ शक्तिपीठों के पास अगरबत्ती खरीदने का भी पैसा नहीं: पश्चिम बंगाल के तुगलक मेदनीपुर स्थित शक्तिपीठ मां बरगाभिमा मंदिर से इस आयोजन में शामिल होने आये मंदिर प्रबंध समिति से जुड़े संविधान अधिकारी का कहना है, कि बहुत से ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठों के पास हिसाब का पैसा है. लेकिन, बहुत से शक्तिपीठ ऐसे हैं जिनके पास अगरबत्ती खरीदने का भी पैसा नहीं होता. बहुत से शक्तिपीठों को जानकारी ही नहीं है कि उनको कैसे डेवलप किया जाए. लोग भी वहां तक नहीं पहुंचते हैं.
ऐसे में सरकार को चाहिए कि हर शक्तिपीठ का बराबर से विकास करें. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तो हालात और भी खराब है. कहने को अकेले तेरह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल में है, लेकिन वहां की सरकार किसी भी मंदिर की देखरेख और डेवलपमेंट के लिए कोई प्लान नहीं बनाती, न ही खर्च करती है. ऐसे में जो भी काम करना है हम लोगों को स्वयं करना होता है, जो मुश्किल पैदा करता है.
नेपाल के धरान शक्तिपीठ दंतकाली से आये डॉ. राजेन्द्र शर्मा ने कहा, कि यह बेहद जरूरी है कि सभी शक्तिपीठों को एक बराबर ट्रीटमेंट दिया जाए. बहुत से शक्तिपीठ भारत में और नेपाल समेत अन्य देशों में भी हैं. इसलिए भारत सरकार को चाहिए कि सैलानियों को बराबर संख्या में सभी जगह कैसे पहुंचा जाए. इसका प्लान तैयार करें. शक्तिपीठों के लिए एक जैसा नियम सभी सरकारों को मिलकर बनाना चाहिए.
फिलहाल 2 दिन का आयोजन किया गया है. इस महामंथन में आज पहले दिन अलग-अलग 51 शक्तिपीठों के प्रबंध समिति से जुड़े कई लोगों ने अपनी बातों को मंच से जारी रखा. उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने भी इसे सनातन धर्म के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए ऐसे आयोजनों से मंदिरों के विकास में बड़ी मदद मिलने की बात कही. कल भी इस पूरे आयोजन को लेकर मंथन जारी रहेगा. शाम तक आयोजन पूर्ण होने के बाद मुख्य बिंदुओं पर क्या निर्णय होता है यह स्पष्ट हो जाएगा.
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