आराः लोकसभा चुनाव के 6 चरणों की वोटिंग संपन्न हो चुकी है और अब बिहार की बची हुई 8 सीटों पर आखिरी चरण में 1 जून को वोटिंग होगी. इन 8 सीटों में आरा लोकसभा सीट भी है. जहां से केंद्रीय मंत्री आर के सिंह लगातार तीसरी बार जीतने के लिए मैदान में उतरे हैं तो उन्हें चुनौती दे रहे हैं सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद. इसके साथ ही जीत-हार की रणनीतियां अब अपने अंतिम दौर में हैं.. तो चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं आरा लोकसभा सीट का इतिहास और ताजा समीकरण
आरा सीट का इतिहासः 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में ये सीट पाटलिपुत्र सह शाहाबाद लोकसभा सीट के नाम से जानी जाती थी. 1957 से 1976 तक ये शाहाबाद लोकसभा सीट के रूप में अस्तित्व में रही. 1952 से 1971 तक हुए सभी चुनावों में कांग्रेस के बलिराम भगत इस सीट से सांसद रहे. फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और पिछले दो चुनावों से जीत दर्ज कर रहे आर के सिंह पर पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया है.
NDA और महागठबंधन के बीच सीधी टक्करः बिहार की अधिकतर सीटों की तरह आरा लोकसभा सीट पर भी NDA और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर है. NDA ने बीजेपी के मौजूदा सांसद आर के सिंह को फिर से मैदान में उतारा है तो महागठबंधन की ओर से सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद चुनौती पेश कर रहे हैं. सुदामा प्रसाद आरा लोकसभा सीट के अंतर्गत आनेवाली तरारी विधानसभा सीट से विधायक हैं.
NDA का नया गढ़ बन रहा है आराः आरा लोकसभा सीट कभी कांग्रेस के बलिराम भगत के नाम से जानी जाती थी. 1952 से लेकर 1971 तक इस सीट से बलिराम भगत ने जीत का परचम लहराया तो 1977 और 1980 में चंद्रदेव प्रसाद वर्मा आरा के सांसद रहे. हालांकि 1984 में बलिराम भगत ने फिर जीत दर्ज की और छठी बार सांसद बने, लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं.2009, 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर NDA जीत की हैट्रिक लगा चुका है.
आरा लोकसभा सीटः2009 से अब तकः 2009 में हुए चुनाव में इस सीट से NDA समर्थित जेडीयू की मीना सिंह ने एलजेपी के रामाकिशोर सिंह को हराकर जीत दर्ज की. 2014 के चुनाव में जेडीयू ने NDA से नाता तोड़ लिया और तब बीजेपी के आर के सिंह ने आरजेडी के श्रीभगवान कुशवाहा को हराकर पहली बार आरा में कमल खिलाया. 2019 में भी आर के सिंह ने पिछली सफलता दोहराई और सीपीआईएमएल के राजू यादव को हराया.
आराः 80 साल की उम्र में अपने शौर्य से अंग्रेजों को चकाचौंध कर देनेवाले बाबू वीर कुंवर सिंह की धरती के रूप में मशहूर आरा एक ऐतिहासिक शहर है. इसका उल्लेख पौराणिक कथाओं में भी मिलता है. सनातन धर्मावलंबियों के लिए जहां अरण्य माता का मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है तो यहां कई जैन मंदिर भी इसकी प्राचीन गौरवगाथा के गवाह हैं. गंगा और सोन नदियों से घिरा ये जिला अपनी लोक संस्कृति और भोजपुरी भाषा के लिए भी पूरी दुनिया में मशहूर है.
आरा में 7 विधानसभा सीटः आरा लोकसभा सीट बिहार की उन चुनिंदा लोकसभा सीटों में हैं जिसके अंतर्गत विधानसभा की 7 सीटें हैं. इनमें- आरा और बड़हरा विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है तो संदेश, जगदीशपुर और शाहपुर में आरजेडी के विधायक हैं. इसके अलावा तरारी से सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद विधायक हैं. अगियांव से भी सीपीआईएमएल के मनोज मंजिल विधायक चुने गये थे लेकिन एक हत्याकांड में दोषी करार दिए जाने के बाद उनकी विधायकी छिन गयी और फिलहाल इस सीट पर उपचुनाव होना है.
आरा में जातिगत समीकरणः सासाराम लोकसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 20 लाख 55 हजार 316 है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 25 हजार 328 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 9 लाख 29 हजार 835 है. इसके अलावा 153 वोटर्स थर्ड जेंडर के हैं. जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा वोटर्स यादव जाति के हैं. वहीं दूसरे नंबर पर राजपूत मतदाता हैं. इसके अलावा मुस्लिम मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं जो जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं. साथ ही कुशवाहा और ब्राह्मण वोटर्स भी अच्छी खासी संख्या में हैं.
क्या लगेगी बीजेपी की हैट्रिक ?: आरा लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव की तरह ही बीजेपी और सीपीआईएमएल में सीधा मुकाबला है. बीजेपी ने जहां आर के सिंह पर भरोसा जताते हुए उन्हें तीसरी बार मैदान में उतारा है तो सीपीआईएमएल ने राजू यादव की जगह इस बार सुदामा प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है. जहां तक मुकाबले की बात है तो आर के सिंह की ईमानदार छवि और विकास के कई काम उनके मजबूत पक्ष हैं जबकि सुदामा प्रसाद को सीपीआईएमएल के कैडर वोटर्स के साथ-साथ यादव और मुस्लिम मतदाताओं का भरोसा है.
"लड़ाई बहुत टफ है. इस बार ऐसा कहा नहीं जा सकता है कि NDA प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित है. हालांकि आम जनता कह रही है कि यहां काफी विकास हुआ है. आरा में कई ट्रेनों का ठहराव हुआ है और पटना-बक्सर फोरलेन भी बन रहा है." सोनू सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
"माहौल क्या है ? NDA प्रत्याशी आर के सिंह जीतेंगे, क्योंकि इस इलाके में काम हुआ है, विकास हुआ है. नीतीशजी विकास पुरुष हैं, मोदीजी ने भी काम किया है. आर के सिंह का अपना एक काम करने का जज्बा है. विपक्ष है कहां ? टूटा-फूटा विपक्ष है." विश्वनाथ सिंह, नेता, जेडीयू
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