देहरादून: उत्तराखंड में राज्य भर के तमाम नगर निगम और दूसरे निकायों की संपत्ति को लीज पर दिया जाता रहा है. इसके अलावा लीज खत्म होने की स्थिति में उनका नवीनीकरण भी किया जाता है. हैरानी की बात यह है तमाम निकायों द्वारा अपनी विभिन्न संपत्तियों को बाजार दर से भी कम पर लीज के लिए दिया जा रहा है. इससे भले ही लीज लेने वाले व्यक्ति को फायदा हो रहा है, लेकिन निकाय को अपने इन फैसलों से राजस्व हानि का सामना करना पड़ रहा है. इसी को देखते हुए अब शासन ने इस पर हस्तक्षेप करते हुए निकायों के लिए आदेश जारी कर दिए हैं.
जारी किए गए आदेश के अनुसार शासन ने निकाय स्तर पर दी जा रही लीज को बाजार दर से कम होने पर गंभीर स्थिति बताया है और इसे निकायों के आर्थिक रूप से सशक्त होने को लेकर उचित नहीं बताया है. इसी स्थिति को देखते हुए अब शासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में निकायों द्वारा संपत्तियां की लीज की स्थिति में बाजार मूल्य से कम नहीं होनी चाहिए. इतना ही नहीं नवीनीकरण के दौरान भी इन शर्तों का पालन होना जरूरी होगा.
शासन ने लीज के मामलों पर शासन स्तर से अनुमोदन को भी जरूरी कर दिया है. यानी अब निकायों में कोई भी संपत्ति लीज पर दिए जाने के दौरान शासन से भी मंजूरी लेनी होगी. इस तरह प्रदेश में निकायों की संपत्तियों की लीज पर अब शासन सीधे तौर से नजर रखेगा. शहरी विकास सचिव नितेश झा ने इस संदर्भ में आदेश जारी किए हैं.
संपत्तियों की लीज पर किसी तरह की कोई दर लागू नहीं है और इसी स्थिति के चलते बाजार मूल्य से भी कम पर तमाम संपत्तियों को दिया जा रहा था. इतना ही नहीं जिन संपत्तियों की लिस्ट खत्म हो रही थी उन्हें भी बाजार मूल्य से कम पर ही दोबारा नवीनीकरण किया जा रहा था. शासन के आदेश जारी होने के बाद अब निकायों को तमाम संपत्तियों की लीज पर अधिक मूल्य प्राप्त हो सकेगा और इससे निकायों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.
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