अनूपपुर. मध्य प्रदेश का अनूपपुर जिला आदिवासी अंचल क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. यहां पर बसने वाले आदिवासी समाज के लोग जल, जंगल, जमीन से जुड़े हुए हैं. जंगल के आयुर्वेदिक संसाधनों व औषधियों से अपने बच्चों व अपने परिवार का भरण पोषण और इलाज करते हैं. ऐसा नहीं है कि यह आदिवासी समाज आयुर्वेदिक झाड़ फूक पर निर्भर हो बल्कि दूर दराज से अस्पताल पहुंचकर एलोपैथिक दवाई का सहारा लेते हैं. लेकिन आज भी आदिवासी समाज जंगल में मिलने वाले जड़ी बूटीयों व आयुर्वेदिक औषधियों से कई बीमारियों का उपचार कर लेते हैं. जंगल में मिलने वाला गोमची बीज भी ये उपचार में इस्तेमाल करते हैं और इसे जादुई दवा भी कहते हैं.
कमजोरी, बुखार का रामबाण इलाज
अनूपपुर जिले के आदिवासी समाज के बीच रहने वाले जानकार भोपाल सिंह ने बताया कि गोमची का बीज जंगल में पाया जाता है. किसी व्यक्ति को कमजोरी, बुखार, ठंडी लग जाने में इसका उपयोग कर सकते हैं. इसका प्रयोग सरसों के तेल में बीज डालकर किया जाता है. इसे पकाकर पूरे शरीर में मालिश की जाती है या भूंज कर खिलाया जाता है और देखते-देखते कमजोरी, बुखार, ठंडी की समस्या से आराम मिल जाता है.
आदिवासियों में इस बीज का काफी महत्व
आदिवासी समाज के लोग गोमची के बीज का इस्तेमाल शादियों में भी करते हैं. इसे वर-वधु को हाथ में पहनाकर शादी के मंडप में बिठाया जाता है. आदिवासी समाज में मान्यता है कि हाथों में पहनने की वजह से वर-वधु को किसी भी प्रकार का नजर, जादूटोना नहीं लगता. आदिवासी समाज इसे गोमची का बीज कहता है, तो वहीं कहीं-कहीं इसे 'गुंजा' भी कहा जाता है.