रांची: झारखंड में चंपई सोरेन सरकार में कैबिनेट विस्तार के दिन से ही कांग्रेस के 10 से अधिक विधायकों ने कांग्रेस कोटे के मंत्रियों का चेहरा बदलने के लिए विरोध का स्वर तेज किये थे. पहले सर्किट हाउस के कमरा नम्बर 107 में 10 विधायकों के एकजुट होकर मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने राजभवन जाने से इनकार की घोषणा, फिर 17 फरवरी को रांची के बिरसा मुंडा चौक के पास एक होटल में नाराज विधायकों की बैठक के बाद दिल्ली चले जाने के बाद ऐसा लगा कि कांग्रेस के ये विधायक अपनी मांग मंगवा कर ही दम लेंगे. लेकिन दिल्ली कैम्प के चार दिन पूरा होते होते कांग्रेस के बागी विधायकों के स्वर अब मद्धिम पड़ने लगे हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 21 फरवरी की रात या फिर 22 फरवरी को दोपहर तक कांग्रेस के सभी नाराज विधायक दिल्ली से रांची लौट आएंगे और विधानसभा के बजट सत्र में भी हिस्सा लेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस कोटे से चंपई सोरेन सरकार में शामिल मंत्रियों को हटाने की इनकी मुहिम बिना मांग पूरा हुए क्यों मद्धिम या ठंडी पड़ गयी ?
एकजुट नहीं रह पाए सभी विधायक
झारखंड में कांग्रेस और राज्य की राजनीति को लंबे दिनों से कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि शुरुआती समय में ऐसा लग रहा था कि इन विधायकों की बगावत किसी मुकाम तक जरूर पहुंचेगा. लेकिन धीरे-धीरे इनके बीच का भी समन्वय नहीं रहा. 17 कांग्रेस विधायक में से 12 की संख्या दो तिहाई से अधिक बनता है, ऐसे में यह किसी की चिंता बढ़ाने के लिए काफी था लेकिन दिल्ली जाने के फैसले के बाद तीन विधायक शिल्पी नेहा तिर्की, रामचंद्र सिंह चेरो और नमन विक्सल कोंगारी ने कदम पीछे खींच लिया. झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह भी नाराज विधायकों का समर्थन की बात तो कहती रहीं पर कभी इन विधायकों के साथ दिखीं नहीं.
ऐसे में एक नाराज विधायक ने तो नाम नहीं छापने के शर्त पर यहां तक कह दिया कि सभी अगर वीडियो कॉल पर ही अपनी उपस्थिति दर्ज करायेंगे तो फिर कैसे हक की आवाज उठाई जा सकती है.
दिल्ली से आश्वासनों के पिटारा के साथ लौट रहे हैं नाराज विधायक
दिल्ली कैम्प करने वाले विधायक लगातार यह कहते रहे कि वह पार्टी के खिलाफ नहीं हैं लेकिन उनके तेवर बगावती ही थे. इरफान अंसारी और उमाशंकर अकेला ने तो मांग पूरी नहीं होने यानि मंत्रियों के चेहरे नहीं बदलने पर बजट सत्र के बहिष्कार तक की धमकी दे दी थी लेकिन अब सबके स्वर मद्धिम पड़े हुए हैं. दिल्ली में कैम्प किये जिन-जिन विधायकों से फोन पर बात हुई सभी ने कहा कि आलाकमान ने उनकी बात सुनी है और उनकी मांगों पर उचित फैसला लेने का भरोसा दिलाया है.
नाराज विधायक न कुछ पाया और न ही कुछ खोया- राकेश सिन्हा
कांग्रेस में ऑल इज वेल का दावा करते हुए प्रदेश कांग्रेस महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है और किसी भी पार्टी कार्यकर्ता को अपने आलाकमान से बात करने उनसे मिलने का अधिकार है. ऐसे में दिल्ली कैम्प करने वाले किसी भी नेता पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर, समन्वयक उमंग सिंघार और केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर सभी विधायक समय पर रांची लौट आयेंगे और बजट सत्र में हिस्सा लेंगे.
झारखंड के वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार राजेश कुमार कहते हैं कि कुछ हुआ हो या नहीं पर एक बात तो जरूर हुआ है कि कांग्रेस आलाकमान के फैसले के खिलाफ हल्लाबोल कर ये विधायक नेतृत्व के नजर में आ गए हैं. भले ही वर्तमान स्थिति में कांग्रेस राज्य में इन विधायकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की स्थिति में नहीं हो लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव तो जरूर पड़ेगा.
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