जयपुरः राजधानी जयपुर की जोरावर सिंह गेट स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान मानद विश्वविद्यालय में हर साल लाखों लोग आयुर्वेद के प्राचीन तरीकों से अपना इलाज करवाने पहुंचते हैं. आम जनता को आयुर्वेद के प्राचीन तरीको से इलाज मिल सके इसे लेकर भी एक कवायद आयुर्वेद संस्थान ने शुरू की है. संस्थान की ओर से करीब 100 से 700 साल पुराने आयुर्वेद ग्रंथों को सुरक्षित किया जा रहा है. खास बात यह है कि इन ग्रंथों को सुरक्षित करने के लिए डिजिटल तकनीकी का सहारा लिया जा रहा है.
जयपुर की राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में देश का एकमात्र पांडुलिपि इकाई मौजूद हैं, जो इन ग्रंथों को सुरक्षित कर रही है, जिनमें शारदा लिपी, देवनागरी, तुलू, प्राचीन कन्नड़, बंगाली, उड़िया, असमिया, मलयालम आदि आयुर्वेद ग्रंथ शामिल हैं. इन प्राचीन ग्रंथों को सहेज रहे राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्था के प्रोफेसर असित कुमार पांजा का कहना है कि आयुर्वेद से जुड़े प्राचीन ग्रंथों को डिजिटल तरीके से सुरक्षित किया जा रहा है. इस दौरान न केवल खराब और गंदे कागजों को सही किया जाता है, बल्कि उन्हें पूर्ण रूप से सुरक्षित भी किया जा रहा है. संस्थान के विभाग में कागज को जांचने के लिए लैब और ट्रीटमेंट की सुविधा भी उपलब्ध है.
बॉक्स में सुरक्षित रखा जा रहाः प्रोफेसर असित कुमार का कहना है कि पुराने ग्रंथों को स्कैनर द्वारा स्कैन करके हार्ड डिस्क और क्लाउड पर सेव किया जा रहा है. इससे पहले जिन ग्रंथों के कागज खराब हो गए हैं, उनके पन्नों को विशेष प्रकार के कैमिकल का उपयोग करके ठीक किया जा रहा है, जिससे कागज की नमी को दूर किया जा सके. इसके अलावा ग्रंथ को संरक्षित रखने के लिए विशेष प्रकार के गत्ते का उपयोग किया जाता है ताकि उसमें नमी और कीड़े नहीं लगे. इसके बाद ग्रंथ को सूती कपड़े में बांधकर बॉक्स में संरक्षित किया जा रहा है.
![Ayurveda Granth](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/07-02-2025/raj-jpr-ayurved-02-7212271_06022025163350_0602f_1738839830_373.jpeg)
प्राचीन आयुर्वेद के नुस्खे मौजूदः प्रोफेसर असित कुमार का कहना है कि हमारे प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में हर तरह की बीमारी का इलाज मौजूद है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसकी जानकारी नहीं होने के चलते आयुर्वेद के यह नुस्खे भुला दिए गए हैं. ऐसे में हम जिन प्राचीन ग्रंथों को सहेज रहे हैं, उनमे प्राचीन आयुर्वेद के नुस्खे मौजूद हैं और इनके बारे में यहां अध्ययन कर रहे स्टूडेंट्स को भी सिखाया जा रहा है.
![Ayurveda Granth](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/07-02-2025/raj-jpr-ayurved-02-7212271_06022025163350_0602f_1738839830_633.jpeg)
जैन ग्रंथो को किया सुरक्षितः प्रो. असित कुमार पांजा ने बताया की हाल ही में जयपुर स्थित जैन ग्रन्थालय में 600 से अधिक ग्रंथो को संरक्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेदाचार्य के विद्यार्थी वैभव जैन, दीपक कुमार जैन, शुभम जैन, सिद्धांत शाह पुणे, प्रसन्न जैन, धैर्य डांगरा एवं अर्चित जैन ने पांडुलिपि की माइक्रोफिल्मिंग एवं उनको संरक्षित करने का कार्य कर रहे हैं.