कुचामनसिटी. आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर करने वाले 7 पुलिसकर्मियों पर अब हत्या का मुकदमा चलेगा. इसके साथ ही आनंदपाल के भाई मंजीत पाल ने इन सभी पुलिस वालों को पद मुक्त करने की मांग की है. इसके अलावा उन्होंने अब सुरक्षा की भी मांग की है. मंजीतपाल सिंह ने कहा है कि कोर्ट का यह फैसला आने के बाद परिजनों पर खतरा और बढ़ गया है.
उन्होंने बताया कि दिसंबर 2022 से हमारी तरफ से परिवार की सुरक्षा की मांग की जा रही है. इसको लेकर हमने डीएम, एसपी सहित अन्य सुरक्षा एजेंसियों को लिखित में पत्र भी दिया, लेकिन फिर भी सुरक्षा नहीं दी गई. पुलिस कर्मियों को अपने कार्य से पदमुक्त किया जाना जरुरी है. उनको दिए गए गैलेंट्री अवार्ड वापस लिए जाने चाहिए.
जानिए कैसे फिर से सुर्खियों में आया यह मामला -
दरअसल, आनंदपाल के भाई रूपेन्द्रपाल ने अपने बयानों में बताया था कि उसे बोलेरो कैंपर में बैठाकर श्रवण सिंह के घर के बिल्कुल पास ले जाया गया, जहां सीओ विद्याप्रकाश ने उससे कहा कि आनंदपाल से सरेंडर करवाओ. इसके बाद आनंदपाल ने दोनों हाथ ऊपर कर सरेंडर कर दिया था. सरेंडर करते ही पुलिस वालों ने आनंदपाल को गिरा दिया. इसके बाद बिल्कुल पास से गोलियां चला दी.
इसे भी पढ़ें : आनंदपाल एनकाउंटर में ट्विस्ट, कोर्ट ने गोली मारने के तरीके पर उठाया सवाल तो पुलिस की 'कहानी' पर फिरा पानी - Anand pal Encounter Case
एक दिन पहले कोर्ट ने दिए थे आदेश : कोर्ट ने कहा था कि यह सही है आनंदपाल सिंह इनामी बदमाश था, लेकिन उसे पकड़े जाने के बाद उसकी हत्या को सही नहीं ठहराया जा सकता. इसलिए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट अस्वीकार की जाती है. तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारठ, तत्कालीन कुचामन सीओ विद्या प्रकाश, तत्कालीन से सूर्यवीर सिंह, तत्कालीन हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र, कॉन्स्टेबल सोहन सिंह, धर्मपाल व धर्मवीर के खिलाफ धारा 147, 148, 302, 326, 325, 324 और 149 के तहत अपराध का संज्ञान लिया जाता है.
सीओ की पिस्टल की गोली का खोल छत पर कैसे ? : तत्कालीन सीओ विद्याप्रकाश की ग्लोक पिस्टल से चली गोली का खाली खोल आनंदपाल एनकाउंटर के दौरान घर की छत पर मिला था. बयानों के अनुसार, आनंदपाल की मौत होने तक विद्याप्रकाश छत पर और सीढ़ियों पर मौजूद नहीं थे. ऐसे में पिस्टल का खाली खोखा छत पर कैसे पहुंचा.
पुलिस की फायरिंग के खाली खोल छत पर मिले : छत पर न सिर्फ विद्या प्रकाश बल्कि सूर्यवीर सिंह और कैलाश की राइफल और पिस्टल से चली गोलियों के खोखे मौजूद थे. वहीं आनंदपाल के जिंदा रहते हुए फायरिंग करते वक्त किसी का भी छत पर पहुंचना संभव नहीं था. एपी की मौत से पहले ही पुलिस छत पर पहुंच गई थी.
इसे भी पढ़ें : कोर्ट के फैसले को आनंदपाल के परिवार ने बताया न्याय की जीत, छोटे भाई ने कही ये बड़ी बात - CBI ACJM Court Verdict
असमंजस - कांस्टेबल सोहन के बयान दूसरी बार में बदल गए : जांच में सामने आया था कि कान्स्टेबल सोहन सीढ़ियों पर सबसे आगे था. आमने-सामने की फायरिंग में आनंदपाल मारा गया. यही बयान सोहन सिंह ने दिए लेकिन 7 फरवरी 2018 को अपने बयान बदल लिए और कहा कि आनंदपाल के बर्स्ट फायर की गोली दीवार में टकराकर पीठ में लगी.
खुलासा - दूसरे पोस्टमार्टम के बाद दो और गोलियां मिली : एपी की मौत के बाद उसका दो बार पोस्टमॉर्टम हुआ. पहली बार 25 जून को पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में उसके शरीर पर 41 चोटों के निशान थे. 11 गोलियां लगने की बात थी. 30 जून को जब दूसरी बार पोस्टमॉर्टम हुआ तो दो गोलियां और बरामद हुई. यानी की 6 फीट की दूरी से फायर किए गए थे, जो मुठभेड़ में संभव नहीं है.