ETV Bharat / state

अलवर का बाजरा बन रहा पंजाब व हरियाणा की मुर्गियों की पसंद, किसानों को भी मिल रहे अच्छे दाम - Millet In Alwar

अलवर जिले में बाजरा पैदा करने वाले किसानों के लिए राहत की खबर है. उनका बोया बाजारा पंजाब व हरियाणा में पसंद किया जा रहा है. वहां इसे मुर्गिंयों के दाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं.

Millet In Alwar
अलवर का बाजरा बन रहा पंजाब व हरियाणा की पसंद (Photo ETV Bharat Alwar)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 27, 2024, 6:30 PM IST

अलवर: प्याज व सरसों ही नहीं, बल्कि बाजरा भी अलवर का नाम देश के अन्य राज्यों तक पहुंचा रहा है. इस साल मानसून के दौरान लगातार बारिश के चलते बाजरा फसल के रंग में भले ही अंतर आया हो, लेकिन किसानों को पिछले साल की तुलना में 100 रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा मिल रहे हैं, इससे किसान भी खुश हैं.

अलवर का बाजरा पंजाब एवं हरियाणा में बड़ी मात्रा में जा रहा है, इसका कारण है कि वहां पोल्ट्री फार्म में अलवर के बाजरे की मांग ज्यादा है. वहीं, बहरोड एवं अन्य स्थानों पर शराब फैक्टी में भी बाजरे की खूब मांग है. अलवर जिले में इस साल 1 लाख 46 हजार 460 हैक्टेयर क्षेत्र में बाजरे की बुवाई की गई थी, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा एक लाख 47 हजार 791 हैक्टेयर था. राजस्थान खाद्य पदार्थ संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश जलालपुरिया का कहना था कि इस साल मंडी में बाजरे की फसल अन्य सालों की तुलना में करीब 15 दिन से देरी आई है. इसका कारण अलवर जिले में बारिश का लगातार बरसना रहा.

अलवर का बाजरा बन रहा पंजाब व हरियाणा की पसंद (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें: सावन के बाद हुई तेज बारिश ने फसलों पर ढाया कहर, बाजरे की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान

पिछले कुछ दिनों से जिले में बारिश का दौर धीमा पड़ा है, इस कारण किसान खेतों से बाजरे की फसल निकालकर मंडी में पहुंचा रहे हैं. किसानों की इस जल्दबाजी के पीछे बाजरे के अभी मंडी में दाम अच्छा होना कारण है. अभी अलवर कृषि उपजमंडी में प्रतिदिन 15 से 20 हजार कट्टे बाजरे की आमद हो रही है.

पीला पड़ा बाजरे का रंग: इस साल बारिश ज्यादा होने से बाजरे का रंग भी पीला पड़ गया है. वर्तमान में 70 प्रतिशत पीला और 30 फीसदी सफेद बाजरे की आवक हो रही है. जबकि पिछली बार मंडी में 80 प्रतिशत सफेद और 20 प्रतिशत डिस्कलर बाजरे की आवक हुई थी. अभी अलवर कृषि उपजमंडी में बाजरे का भाव 1900 से 2400 रुपए प्रति क्विटंल चल रहा है, इनमें नमी वाले बाजरे के भाव कम और सफेद बाजरे के भाव ज्यादा मिल रहे हैं.

अलवर: प्याज व सरसों ही नहीं, बल्कि बाजरा भी अलवर का नाम देश के अन्य राज्यों तक पहुंचा रहा है. इस साल मानसून के दौरान लगातार बारिश के चलते बाजरा फसल के रंग में भले ही अंतर आया हो, लेकिन किसानों को पिछले साल की तुलना में 100 रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा मिल रहे हैं, इससे किसान भी खुश हैं.

अलवर का बाजरा पंजाब एवं हरियाणा में बड़ी मात्रा में जा रहा है, इसका कारण है कि वहां पोल्ट्री फार्म में अलवर के बाजरे की मांग ज्यादा है. वहीं, बहरोड एवं अन्य स्थानों पर शराब फैक्टी में भी बाजरे की खूब मांग है. अलवर जिले में इस साल 1 लाख 46 हजार 460 हैक्टेयर क्षेत्र में बाजरे की बुवाई की गई थी, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा एक लाख 47 हजार 791 हैक्टेयर था. राजस्थान खाद्य पदार्थ संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश जलालपुरिया का कहना था कि इस साल मंडी में बाजरे की फसल अन्य सालों की तुलना में करीब 15 दिन से देरी आई है. इसका कारण अलवर जिले में बारिश का लगातार बरसना रहा.

अलवर का बाजरा बन रहा पंजाब व हरियाणा की पसंद (ETV Bharat Alwar)

पढ़ें: सावन के बाद हुई तेज बारिश ने फसलों पर ढाया कहर, बाजरे की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान

पिछले कुछ दिनों से जिले में बारिश का दौर धीमा पड़ा है, इस कारण किसान खेतों से बाजरे की फसल निकालकर मंडी में पहुंचा रहे हैं. किसानों की इस जल्दबाजी के पीछे बाजरे के अभी मंडी में दाम अच्छा होना कारण है. अभी अलवर कृषि उपजमंडी में प्रतिदिन 15 से 20 हजार कट्टे बाजरे की आमद हो रही है.

पीला पड़ा बाजरे का रंग: इस साल बारिश ज्यादा होने से बाजरे का रंग भी पीला पड़ गया है. वर्तमान में 70 प्रतिशत पीला और 30 फीसदी सफेद बाजरे की आवक हो रही है. जबकि पिछली बार मंडी में 80 प्रतिशत सफेद और 20 प्रतिशत डिस्कलर बाजरे की आवक हुई थी. अभी अलवर कृषि उपजमंडी में बाजरे का भाव 1900 से 2400 रुपए प्रति क्विटंल चल रहा है, इनमें नमी वाले बाजरे के भाव कम और सफेद बाजरे के भाव ज्यादा मिल रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.