अलवर: जिले के मेवात का रामगढ़ क्षेत्र भले ही अपराध के मामले में चर्चित रहा हो, लेकिन इसी रामगढ़ की पहचान प्रदेश व देशवासियों के स्वाद में मिठास घोलने के रूप में होती रही है. इसका कारण यहां की दोमट मिट्टी में पैदा होने वाले बेर हैं. अलवर-दिल्ली मार्ग पर स्थित रामगढ़ से जब भी कोई व्यक्ति गुजरता है, तो यहां सड़क किनारे लगी ठेलियों पर सजे बेर लोगों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींच लेते हैं. लोगों की पसंद के कारण प्रदेश व देश के कई क्षेत्रों में बढ़ती मांग का ही नतीजा है कि रामगढ़ क्षेत्र में किसान परंपरागत खेती को छोड़कर बेर की खेती की ओर मुड़ने लगे हैं.
उद्यान विभाग के सहायक निदेशक मुकेश कुमार चौधरी ने बताया कि अलवर जिले के रामगढ़ क्षेत्र में दोमट मिट्टी पाई जाती है, यह मिट्टी बेर की पैदावार में सहायक रही है. बेर की अच्छी पैदावार और कम लागत में अच्छा मुनाफा होने से क्षेत्र के किसान बेर की खेती करने लगे हैं. उन्होंने बताया कि अभी रामगढ़ क्षेत्र में करीब 2 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में बेर की खेती की जा रही है. यही कारण है कि रामगढ़ क्षेत्र में अब कई स्थानों पर बेरों की बगिया दिखाई पड़ने लगी है.
रामगढ़ के सेब बेर है फेमसः रामगढ़ क्षेत्र में बेर की गोला, खट्टा-मीठा, पेमदी, छुआरा, सेब, मिश्री, काठा, दाना आदि दो दर्जन किस्मों की पैदावार काफी समय पहले से होती रही है. अब क्षेत्र में बेरों के पेड़ों पर सेब बेरों की कलम भी चढ़ाई जाने लगी है. इससे रामगढ़ क्षेत्र में सेव बेरों की पैदावार में करीब बीस गुणा बढ़ोतरी हुई है. स्वाद में मीठे होने के कारण सेव बेर अब लोगों की खास पसंद बन गए हैं. मांग बढ़ने और पैदावारी में सहज होने के कारण किसान अब सेव बेरों के रामगढ़ क्षेत्र में बाग लगाने लगे हैं.
रामगढ़ के नाम से बिकते हैं बेरः बेर की मंडी में रामगढ़ के बेर के नाम से यहां के बेरों की बिक्री होती है. रामगढ़ के बेर के नाम से फेमस होने के कारण मंडी में आड़तिया भी बेरों की बिक्री रामगढ़ के बेर के नाम से बोली लगाकर करते हैं. रामगढ़ के बेरों की मांग दिल्ली, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, गुरुग्राम, सिरसा, गाजियाबाद, नोएडा, सोहना, जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, मथुरा, गुजरात, उदयपुर आदि बाहरी क्षेत्रों तक रही है.
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दाम में ज्यादा महंगे नहींः रामगढ़ में बेर के व्यापारियों का कहना है कि रामगढ़ के सेब बेर खाने में स्वादिष्ट होते हैं. इस कारण सेब बेर की मांग भी बाजार में ज्यादा रहती है. खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही इनके दाम भी ज्यादा नहीं रहते. बाजार में सेब बेर 80 रुपए से 120 रुपए पर प्रति किलोग्राम में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. रामगढ़ में बेर का सीजन 14 जनवरी से शुरू होता है और करीब मई तक रहता है.
उद्यान विभाग के सहायक निदेशक मुकेश कुमार चौधरी ने बताया कि जिले के रामगढ़ क्षेत्र में अच्छी मात्रा में बेर की खेती किसानों द्वारा की जाती है. इसमें किसानों द्वारा मुख्यतः सेब व गोला वैरायटी के बेर की पैदावार ज्यादा की जाती है. उन्होंने बताया कि गोला अगेती किस्म की फसल है, जो कि जनवरी मध्य जनवरी तक फल तैयार हो जाते है. वहीं, सेब वैरायटी के फल फरवरी मध्य से मार्च मध्य के बीच तैयार होते हैं. उन्होंने बताया कि रामगढ़ कस्बे में सेब व गोला वैरायटी के एक बेर के पौधे से किसान अच्छी मात्रा फल ले लेता है. उन्होंने बताया कि उद्यान विभाग की सहायता से काश्तकार अपने खेत में बेर की पौध लगवा सकते हैं, जिस पर उन्हें विभाग की ओर से अनुदान भी दिया जाता है.