ETV Bharat / state

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, राज्य का हर अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन करने को बाध्य - Allahabad High Court order

शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि राज्य का हर अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य है. अदालतों द्वारा कानून घोषित होने के उसके पालन करने के लिए सरकार का अनुमोदन जरूरी नहीं है.

Etv Bharat allahabad-high-court-order-every-officer-of-the-state-is-bound-to-follow-court-order
Etv Bharat इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, राज्य का हर अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन करने को बाध्य
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 26, 2024, 9:24 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि किसी विषय पर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट द्वारा कानून घोषित कर देने के बाद उसके पालन के लिए सरकार या किसी अधिकारी से अनुमति अथवा अनुमोदन की अवश्यकता नहीं होती है. राज्य का हर आधिकारी और कर्मचारी अदालत के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उच्च शिक्षा निदेशक और वित्त नियत्रक द्वारा याची को ग्रेट्यूटी भुगतान के लिए सरकार से अनुमोदन मांगने पर टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने ब्याज के साथ भुगतान का आदेश दिया. याची के अधिवक्ता कमल कुमार केशरवानी का कहना था कि याचिकाकर्ती के पति एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर बरेली कालेज मे कार्यरत थे, जिनकी मृत्यु सेवा काल में 56 वर्ष की आयु मे हो गयी थी.

उनकी मृत्यु के उपरांत परिवारिक पेंशन एवं अन्य देयकों का भुगतान कर दिया गया, लेकिन ग्रेच्युटी का भुगतान मौखिक रूप से यह कह कर नही किया गया कि उन्होंने 60 वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प नहीं भरा था. ग्रेच्युटी का भुगतान न होने से क्षुब्ध होकर याचिका दाखिल की गई. हाई कोर्ट ने शिक्षा निदेशक एंव वित्त नियंत्रक ने व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था. दोनों अधिकारियो ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य बनाम प्रियंका के केस में दिए गए निर्णय के आधार पर राज्य सरकार से अनुमोदन के लिए भेज दिया है.

अनुमोदन मिलते ही निदेशक भुगतान कर सकता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि एक बार उच्च न्यायालय एंव सर्वोच्च न्यायालय से कानून बन जाने के बाद उच्च शिक्षा निदेशक एंव वित्त नियंत्रक उच्च शिक्षा निदेशालय को ग्रेच्युटी भुगतान के लिए राज्य सरकार से किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है. राज्य सरकार का प्रत्येक अधिकारी व कर्मचारी न्यायालय द्वारा पारित आदेश से बंधा है. हाईकोर्ट ने एक माह मे ग्रेच्युटी का भुगतान करने का आदेश दिया. एक माह मे भुगतान न करने पर साधारण ब्याज के साथ भुगतान करना होगा.

ये भी पढ़ें- जैसे छात्र, वैसे गुरुजी! कॉपी में लिखा जय श्रीराम-जय श्रीराम, नंबर मिले फर्स्ट क्लास; जांचने वाले 2 शिक्षक बर्खास्त

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि किसी विषय पर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट द्वारा कानून घोषित कर देने के बाद उसके पालन के लिए सरकार या किसी अधिकारी से अनुमति अथवा अनुमोदन की अवश्यकता नहीं होती है. राज्य का हर आधिकारी और कर्मचारी अदालत के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उच्च शिक्षा निदेशक और वित्त नियत्रक द्वारा याची को ग्रेट्यूटी भुगतान के लिए सरकार से अनुमोदन मांगने पर टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने ब्याज के साथ भुगतान का आदेश दिया. याची के अधिवक्ता कमल कुमार केशरवानी का कहना था कि याचिकाकर्ती के पति एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर बरेली कालेज मे कार्यरत थे, जिनकी मृत्यु सेवा काल में 56 वर्ष की आयु मे हो गयी थी.

उनकी मृत्यु के उपरांत परिवारिक पेंशन एवं अन्य देयकों का भुगतान कर दिया गया, लेकिन ग्रेच्युटी का भुगतान मौखिक रूप से यह कह कर नही किया गया कि उन्होंने 60 वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प नहीं भरा था. ग्रेच्युटी का भुगतान न होने से क्षुब्ध होकर याचिका दाखिल की गई. हाई कोर्ट ने शिक्षा निदेशक एंव वित्त नियंत्रक ने व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था. दोनों अधिकारियो ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य बनाम प्रियंका के केस में दिए गए निर्णय के आधार पर राज्य सरकार से अनुमोदन के लिए भेज दिया है.

अनुमोदन मिलते ही निदेशक भुगतान कर सकता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि एक बार उच्च न्यायालय एंव सर्वोच्च न्यायालय से कानून बन जाने के बाद उच्च शिक्षा निदेशक एंव वित्त नियंत्रक उच्च शिक्षा निदेशालय को ग्रेच्युटी भुगतान के लिए राज्य सरकार से किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है. राज्य सरकार का प्रत्येक अधिकारी व कर्मचारी न्यायालय द्वारा पारित आदेश से बंधा है. हाईकोर्ट ने एक माह मे ग्रेच्युटी का भुगतान करने का आदेश दिया. एक माह मे भुगतान न करने पर साधारण ब्याज के साथ भुगतान करना होगा.

ये भी पढ़ें- जैसे छात्र, वैसे गुरुजी! कॉपी में लिखा जय श्रीराम-जय श्रीराम, नंबर मिले फर्स्ट क्लास; जांचने वाले 2 शिक्षक बर्खास्त

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.