ETV Bharat / state

दूसरी शादी कर चुके पिता को बच्चों की कस्टडी पाने का अधिकार: High court - allahabad high court news

allahabad high court news: दूसरी शादी करने वाले पिता का बच्चों की अभिरक्षा पाने का अधिकार प्रभावित नहीं है. हाईकोर्ट ने यह आदेश एक मामले की सुनवाई में दिया है.

allahabad high court news
allahabad high court news (photo credit: etv bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 18, 2024, 8:05 AM IST

Updated : May 18, 2024, 10:47 AM IST

allahabad high court news: प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी करने मात्र से कोई व्यक्ति अपने बच्चों की संरक्षकता का अधिकार नहीं खो देता.इस मामले में तो पिता ने पारिवारिक न्यायालय में कहा भी है कि वह दूसरी शादी नहीं करेगा. इसी के साथ कोर्ट ने बच्चों की अभिरक्षा के लिए पिता की गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट के तहत पारिवारिक न्यायालय की कार्यवाही पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और नाना की याचिका खारिज कर दी.

हाईकोर्ट ने यह आदेश अशोक पाठक की याचिका पर उसके अधिवक्ता और विपक्षी के अधिवक्ता चंद्र कांत त्रिपाठी को सुनकर दिया है. कोर्ट ने अपर प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश मऊ को तीन माह में मुकदमे का निस्तारण करने का निर्देश दिया है. अधिवक्ता चंद्र कांत त्रिपाठी ने गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट की धारा 125 की कार्यवाही के खिलाफ अनुच्छेद 227 के तहत दाखिल याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की जबकि याची का कहना था कि उसकी बेटी को शादी के बाद दो बच्चे हुए हैं. बेटी की मृत्यु के बाद बच्चे अपने नाना के पास रह रहे हैं. बच्चों के पिता ने बच्चों की अभिरक्षा के लिए पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दी है, जिसे लेकर याचिका की गई. कहा गया कि याची के दामाद ने दूसरी शादी कर ली है इसलिए उसे बच्चों की अभिरक्षा न सौंपी जाए. कोर्ट ने कहा कि यह साबित करने की जिम्मेदारी याची की है कि विपक्षी ने दूसरी शादी की है या नहीं.

allahabad high court news: प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी करने मात्र से कोई व्यक्ति अपने बच्चों की संरक्षकता का अधिकार नहीं खो देता.इस मामले में तो पिता ने पारिवारिक न्यायालय में कहा भी है कि वह दूसरी शादी नहीं करेगा. इसी के साथ कोर्ट ने बच्चों की अभिरक्षा के लिए पिता की गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट के तहत पारिवारिक न्यायालय की कार्यवाही पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और नाना की याचिका खारिज कर दी.

हाईकोर्ट ने यह आदेश अशोक पाठक की याचिका पर उसके अधिवक्ता और विपक्षी के अधिवक्ता चंद्र कांत त्रिपाठी को सुनकर दिया है. कोर्ट ने अपर प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश मऊ को तीन माह में मुकदमे का निस्तारण करने का निर्देश दिया है. अधिवक्ता चंद्र कांत त्रिपाठी ने गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट की धारा 125 की कार्यवाही के खिलाफ अनुच्छेद 227 के तहत दाखिल याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की जबकि याची का कहना था कि उसकी बेटी को शादी के बाद दो बच्चे हुए हैं. बेटी की मृत्यु के बाद बच्चे अपने नाना के पास रह रहे हैं. बच्चों के पिता ने बच्चों की अभिरक्षा के लिए पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दी है, जिसे लेकर याचिका की गई. कहा गया कि याची के दामाद ने दूसरी शादी कर ली है इसलिए उसे बच्चों की अभिरक्षा न सौंपी जाए. कोर्ट ने कहा कि यह साबित करने की जिम्मेदारी याची की है कि विपक्षी ने दूसरी शादी की है या नहीं.

यह भी पढ़ें : कौशांबी में पीएम मोदी के खिलाफ जमकर बरसे ओवैसी, कहा- पिछड़ों और दलित का हक छीनने की कर रहे कोशिश

ये भी पढ़ेंः इटावा लायन सफारी में शेरनी रूपा ने चार शावकों को दिया जन्म, सभी मृत; अफसरों का दावा- समय पूर्व प्रसव से हुई मौत

Last Updated : May 18, 2024, 10:47 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.