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अकबरनगर ध्वस्तीकरण मामला: याचिका दाखिल न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एलडीए स्वतंत्र, हाईकोर्ट का फैसला

अकबरनगर ध्वस्तीकरण मामले (Akbarnagar Demolition Case) में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (High Court Lucknow Bench) ने कहा कि जिन कब्जेदारों ने याचिका दाखिल नहीं की है, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए एलडीए स्वतंत्र है. साथ ही कोर्ट ने गरीबी रेखा के नीचे वाले याचियों से भी दस्तावेज मांगे हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 20, 2024, 8:21 PM IST

लखनऊ: अकबरनगर में ध्वस्तीकरण मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्पष्ट किया कि कब्जेदारों में से जिन लोगों ने याचिकाएं या हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र नहीं दाखिल किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए एलडीए स्वतंत्र है. इसी के साथ न्यायालय ने उन याचियों को जो गरीबी रेखा के नीचे होने का दावा कर रहे हैं, उन्हें बीपीएल सर्टिफिकेट अथवा राशन कार्ड दाखिल करने का आदेश दिया है. ऐसे याचियों के मामलों की सुनवाई 26 फरवरी को होगी. वहीं, जीएसटी और आयकर भरने वाले कब्जेदारों के मामलों की सुनवाई बुधवार को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अकबर नगर के तमाम निवासियों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया.

न्यायालय के पूर्व के आदेश के अनुपालन में जीएसटी या आयकर भरने वाले याचियों की ओर से पूरक शपथ पत्र दाखिल किया गया. न्यायालय ने पाया कि टैक्स भरने वाले कुल 13 लोगों ने अब तक अपने दस्तावेज दाखिल किए हैं, जबकि टैक्स भरने वाले अन्य याचियों की ओर से अपने दस्तावेज दाखिल करने के लिए बुधवार तक समय देने की मांग की गई. न्यायालय ने कहा कि टैक्स भरने वाले या लखनऊ शहर में दूसरी संपत्तियों के मालिक याचियों की संख्या अच्छी खासी है. लिहाजा न्यायालय ने बाकी के याचियों को भी आदेश दिया कि वे भी अपने पैन नम्बर या आईटीआर इत्यादि की जानकारी दें.

उल्लेखनीय है कि याचियों की ओर से मलिन बस्ती पुनर्विकास नीति 2021 का हवाला देते हुए दलील दी गई कि उक्त नीति के प्रावधानों के तहत याचियों का पुनर्वास नहीं किया जा रहा है. वहीं, न्यायालय ने 13 फरवरी को मामले की सुनवाई करते हुए याचियों समेत राज्य सरकार व एलडीए को उन कब्जेदारों की सूची देने का आदेश दिया है, जो जीएसटी या आयकर भर रहे हैं.

लखनऊ: अकबरनगर में ध्वस्तीकरण मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्पष्ट किया कि कब्जेदारों में से जिन लोगों ने याचिकाएं या हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र नहीं दाखिल किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए एलडीए स्वतंत्र है. इसी के साथ न्यायालय ने उन याचियों को जो गरीबी रेखा के नीचे होने का दावा कर रहे हैं, उन्हें बीपीएल सर्टिफिकेट अथवा राशन कार्ड दाखिल करने का आदेश दिया है. ऐसे याचियों के मामलों की सुनवाई 26 फरवरी को होगी. वहीं, जीएसटी और आयकर भरने वाले कब्जेदारों के मामलों की सुनवाई बुधवार को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अकबर नगर के तमाम निवासियों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया.

न्यायालय के पूर्व के आदेश के अनुपालन में जीएसटी या आयकर भरने वाले याचियों की ओर से पूरक शपथ पत्र दाखिल किया गया. न्यायालय ने पाया कि टैक्स भरने वाले कुल 13 लोगों ने अब तक अपने दस्तावेज दाखिल किए हैं, जबकि टैक्स भरने वाले अन्य याचियों की ओर से अपने दस्तावेज दाखिल करने के लिए बुधवार तक समय देने की मांग की गई. न्यायालय ने कहा कि टैक्स भरने वाले या लखनऊ शहर में दूसरी संपत्तियों के मालिक याचियों की संख्या अच्छी खासी है. लिहाजा न्यायालय ने बाकी के याचियों को भी आदेश दिया कि वे भी अपने पैन नम्बर या आईटीआर इत्यादि की जानकारी दें.

उल्लेखनीय है कि याचियों की ओर से मलिन बस्ती पुनर्विकास नीति 2021 का हवाला देते हुए दलील दी गई कि उक्त नीति के प्रावधानों के तहत याचियों का पुनर्वास नहीं किया जा रहा है. वहीं, न्यायालय ने 13 फरवरी को मामले की सुनवाई करते हुए याचियों समेत राज्य सरकार व एलडीए को उन कब्जेदारों की सूची देने का आदेश दिया है, जो जीएसटी या आयकर भर रहे हैं.

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