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दो साल बाद नन्हे गोडावण की संख्या बढ़ेगी, प्रजनन काल की शुरुआत में ही नजर आने लगे नन्हें गोडावण व अंडे - number of GODAWAN to increase

गोडावण के प्रजनन काल की शुरूआत में ही अच्छी खबर के संकेत मिलने लगे हैं. हाल ही में दो नन्हें गोडावण के साथ ही 6 अंडे नजर आए हैं.

number of GODAWAN to increase
बढ़ेगी गोडावण की संख्या (ETV Bharat Jaisalmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 2, 2024, 3:58 PM IST

Updated : Jun 2, 2024, 5:12 PM IST

नन्हें गोडावण पूरी तरह स्वस्थ (ETV Bharat Jaisalmer)

जैसलमेर. राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण को लेकर लगातार खुशखबरी सामने आ रही है. कुछ साल पहले तक जहां गोडावण पूरी तरह से लुप्त होने के कगार पर पहुंच गए थे. वहीं अब गोडावण की तादाद में लगातार बढ़ोतरी से गोडावण संरक्षण के प्रयासों को पंख लग चुके हैं. हाल ही में वॉटर हॉल पद्धति गणना में सुदासरी व रामदेवरा में 64 गोडावण नजर आए थे. वहीं अब सामने आया कि हाल ही में फील्ड में दो नन्हें गोडावण के अलावा 6 अंडे भी नजर आए हैं. इतना ही नहीं सम ब्रीडिंग सेंटर में 2019 में कलेक्ट किए गए अंडों से निकली मादाएं अब प्रजनन करने लगी हैं. पूर्व में दो मादा गोडावण अंडे दे चुकी है. हाल ही में कैप्टिव पालित मादा शाकी व टोनी ने भी नन्हें गोडावणों को जन्म दिया है. दोनों चूजे पूरी तरह से स्वस्थ बताए जा रहे हैं.

number of GODAWAN to increase
इस बार प्रजनन सीजन की अच्छी शुरूआत, बढ़ सकती है गोडावणों की संख्या (ETV Bharat Jaisalmer)

जानकारी के अनुसार गोडावण का प्रजनन काल अप्रैल से अक्टूबर तक चलता है. दो साल पहले सर्वाधिक 13 नन्हें गोडावण फील्ड में नजर आए थे. इस बार शुरूआत इतनी अच्छी है कि पिछले सारे रिकार्ड टूट सकते हैं. शुरूआती दो माह में फील्ड में 6 अंडे व 2 नन्हें गोडावण नजर आ चुके हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी अक्टूबर तक बड़ी तादाद में नन्हें गोडावण नजर आ सकते हैं. वर्तमान में जो भी गोडावण नजर आ रहे हैं, वे डीएनपी क्षेत्र में हैं. यहीं से अंडे भी ब्रीडिंग सेंटर के लिए कलेक्ट किए जा रहे हैं.

पढ़ें: भीषण गर्मी में राजस्थान के लिए बड़ी खुशखबरी, राज्यपक्षी गोडावण की संख्या में इजाफा के संकेत - Wildlife Census

जानकारी के अनुसार फील्ड फायरिंग रेंज में गोडावण ज्यादा संख्या में हो सकते हैं. पिछले 6 सालों से वहां गणना नहीं हुई है. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से जब भी गोडावण की गणना होगी, तब फायरिंग रेंज में मौजूद गोडावणों की संख्या सामने आएगी. सम ब्रीडिंग सेंटर में 36 गोडावण हैं. तो वहीं रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर में अब गोडावण की संख्या 36 हो गई है. 2019 में सम सेंटर की शुरूआत की गई थी. वहीं जुलाई 2023 में रामदेवरा सेंटर की गई थी. कुल मिलाकर अब गोडावण की तादाद लगातार बढ़ रही है. नन्हें व बड़े गोडावण सम सेंटर में और एक से डेढ़ साल उम्र के गोडावण रामदेवरा सेंटर में रखे जा रहे हैं.

पढ़ें: बुद्ध पूर्णिमा को होगी वन्यजीवों की गणना, गोडावण की संख्या का भी पता लग सकेगा - WILDLIFE COUNTING In Dnp

डीएनपी क्षेत्र में 70 से अधिक क्लोजर: विभाग के अधिकारी बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से क्लोजर में सुरक्षा बंदोबस्त कड़े कर दिए गए हैं. वर्तमान में 70 से ज्यादा क्लोजर बने हुए हैं. इन क्लोजर में मानवीय दखल बिल्कुल नहीं है. ऐसे में मादा गोडावण को सुरक्षित वातावरण मिलने पर वह प्रजनन करती है. लगातार प्रजनन बढ़ने के पीछे की वजह क्लोजर की सुरक्षा ही है. हाल ही में क्लोजर में लुप्त प्राय गोडावण व रेड हेडेट वल्चर एक साथ नजर आ थे. जो कि क्लोजर की आवश्यकता व महत्ता को दर्शाता है.

पढ़ें: राजस्थान के राज्य पक्षी की अनदेखी, 2018 के बाद से अब तक नहीं हुई गोडावण की गणना

डेजर्ट नेशनल पार्क के डीएफओ डॉ आशीष व्यास ने बताया कि गोडावण प्रजाति शर्मीली होती है. यह मानवीय दखल के बीच रहना कम पसंद करते हैं. जहां इन्हें सुरक्षित माहौल मिलता है. वहीं पर ही ये प्रजनन करती है. पिछले कुछ सालों में इनकी प्रजनन दर बढ़ी है. इस बार शुरूआत में ही अच्छी तादाद में नन्हें गोडावण व अंडे दिखाई दिए हैं. यह सुखद संकेत है कि आने वाले बारिश के मौसम के बाद बड़ी संख्या में मादा गोडावण प्रजनन कर सकती हैं. इतना ही नहीं ब्रीडिंग सेंटर में पल रही मादा गोडावण भी प्रजनन करने लगी हैं. यह गोडावण संरक्षण की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है.

उन्होंने बताया कि डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिकों की देखरेख में यहां गोडावण काफी सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और उन्हें फील्ड जैसा माहौल उपलब्ध करवाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि फील्ड में क्लोजर की सुरक्षा इतनी बढ़ा दी गई है कि गोडावण आसानी से यहां विचरण कर रहे हैं. मादा गोडावण जब अंडा देती है, तो वह खुद उसे सुरक्षा प्रदान करती है. लेकिन जब दिन में दो तीन बार वह पानी पीने जाती है, तब अंडे को कोई अन्य पशु या पक्षी नुकसान न पहुंचा दे. इसलिए विभाग का कर्मचारी 24 घंटे दूर से उसकी निगरानी करते हैं. हर एक अंडे पर एक कर्मचारी तैनात किया जाता है.

नन्हें गोडावण पूरी तरह स्वस्थ (ETV Bharat Jaisalmer)

जैसलमेर. राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण को लेकर लगातार खुशखबरी सामने आ रही है. कुछ साल पहले तक जहां गोडावण पूरी तरह से लुप्त होने के कगार पर पहुंच गए थे. वहीं अब गोडावण की तादाद में लगातार बढ़ोतरी से गोडावण संरक्षण के प्रयासों को पंख लग चुके हैं. हाल ही में वॉटर हॉल पद्धति गणना में सुदासरी व रामदेवरा में 64 गोडावण नजर आए थे. वहीं अब सामने आया कि हाल ही में फील्ड में दो नन्हें गोडावण के अलावा 6 अंडे भी नजर आए हैं. इतना ही नहीं सम ब्रीडिंग सेंटर में 2019 में कलेक्ट किए गए अंडों से निकली मादाएं अब प्रजनन करने लगी हैं. पूर्व में दो मादा गोडावण अंडे दे चुकी है. हाल ही में कैप्टिव पालित मादा शाकी व टोनी ने भी नन्हें गोडावणों को जन्म दिया है. दोनों चूजे पूरी तरह से स्वस्थ बताए जा रहे हैं.

number of GODAWAN to increase
इस बार प्रजनन सीजन की अच्छी शुरूआत, बढ़ सकती है गोडावणों की संख्या (ETV Bharat Jaisalmer)

जानकारी के अनुसार गोडावण का प्रजनन काल अप्रैल से अक्टूबर तक चलता है. दो साल पहले सर्वाधिक 13 नन्हें गोडावण फील्ड में नजर आए थे. इस बार शुरूआत इतनी अच्छी है कि पिछले सारे रिकार्ड टूट सकते हैं. शुरूआती दो माह में फील्ड में 6 अंडे व 2 नन्हें गोडावण नजर आ चुके हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी अक्टूबर तक बड़ी तादाद में नन्हें गोडावण नजर आ सकते हैं. वर्तमान में जो भी गोडावण नजर आ रहे हैं, वे डीएनपी क्षेत्र में हैं. यहीं से अंडे भी ब्रीडिंग सेंटर के लिए कलेक्ट किए जा रहे हैं.

पढ़ें: भीषण गर्मी में राजस्थान के लिए बड़ी खुशखबरी, राज्यपक्षी गोडावण की संख्या में इजाफा के संकेत - Wildlife Census

जानकारी के अनुसार फील्ड फायरिंग रेंज में गोडावण ज्यादा संख्या में हो सकते हैं. पिछले 6 सालों से वहां गणना नहीं हुई है. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से जब भी गोडावण की गणना होगी, तब फायरिंग रेंज में मौजूद गोडावणों की संख्या सामने आएगी. सम ब्रीडिंग सेंटर में 36 गोडावण हैं. तो वहीं रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर में अब गोडावण की संख्या 36 हो गई है. 2019 में सम सेंटर की शुरूआत की गई थी. वहीं जुलाई 2023 में रामदेवरा सेंटर की गई थी. कुल मिलाकर अब गोडावण की तादाद लगातार बढ़ रही है. नन्हें व बड़े गोडावण सम सेंटर में और एक से डेढ़ साल उम्र के गोडावण रामदेवरा सेंटर में रखे जा रहे हैं.

पढ़ें: बुद्ध पूर्णिमा को होगी वन्यजीवों की गणना, गोडावण की संख्या का भी पता लग सकेगा - WILDLIFE COUNTING In Dnp

डीएनपी क्षेत्र में 70 से अधिक क्लोजर: विभाग के अधिकारी बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से क्लोजर में सुरक्षा बंदोबस्त कड़े कर दिए गए हैं. वर्तमान में 70 से ज्यादा क्लोजर बने हुए हैं. इन क्लोजर में मानवीय दखल बिल्कुल नहीं है. ऐसे में मादा गोडावण को सुरक्षित वातावरण मिलने पर वह प्रजनन करती है. लगातार प्रजनन बढ़ने के पीछे की वजह क्लोजर की सुरक्षा ही है. हाल ही में क्लोजर में लुप्त प्राय गोडावण व रेड हेडेट वल्चर एक साथ नजर आ थे. जो कि क्लोजर की आवश्यकता व महत्ता को दर्शाता है.

पढ़ें: राजस्थान के राज्य पक्षी की अनदेखी, 2018 के बाद से अब तक नहीं हुई गोडावण की गणना

डेजर्ट नेशनल पार्क के डीएफओ डॉ आशीष व्यास ने बताया कि गोडावण प्रजाति शर्मीली होती है. यह मानवीय दखल के बीच रहना कम पसंद करते हैं. जहां इन्हें सुरक्षित माहौल मिलता है. वहीं पर ही ये प्रजनन करती है. पिछले कुछ सालों में इनकी प्रजनन दर बढ़ी है. इस बार शुरूआत में ही अच्छी तादाद में नन्हें गोडावण व अंडे दिखाई दिए हैं. यह सुखद संकेत है कि आने वाले बारिश के मौसम के बाद बड़ी संख्या में मादा गोडावण प्रजनन कर सकती हैं. इतना ही नहीं ब्रीडिंग सेंटर में पल रही मादा गोडावण भी प्रजनन करने लगी हैं. यह गोडावण संरक्षण की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है.

उन्होंने बताया कि डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिकों की देखरेख में यहां गोडावण काफी सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और उन्हें फील्ड जैसा माहौल उपलब्ध करवाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि फील्ड में क्लोजर की सुरक्षा इतनी बढ़ा दी गई है कि गोडावण आसानी से यहां विचरण कर रहे हैं. मादा गोडावण जब अंडा देती है, तो वह खुद उसे सुरक्षा प्रदान करती है. लेकिन जब दिन में दो तीन बार वह पानी पीने जाती है, तब अंडे को कोई अन्य पशु या पक्षी नुकसान न पहुंचा दे. इसलिए विभाग का कर्मचारी 24 घंटे दूर से उसकी निगरानी करते हैं. हर एक अंडे पर एक कर्मचारी तैनात किया जाता है.

Last Updated : Jun 2, 2024, 5:12 PM IST
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