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दस साल बाद नर्सिंग होम की लापरवाही पर लगाया 30 लाख का जुर्माना - Varanasi news

राज्य उपभोक्ता आयोग ने नर्सिंग होम पर 30 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. बता दें कि नर्सिंग होम में प्रसव में लापरवाही से महिला की मौत हुई थी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 24, 2024, 8:51 AM IST

वाराणसी: जिले के गांधी नगर सिगरा में स्थित नर्सिंग होम में प्रसव में लापरवाही से हुई महिला की मौत पर बड़ी कार्रवाई की गई है. दरअसल दस साल बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने नर्सिंग होम पर 30 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. नर्सिंग होम को यह रकम 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ पीड़िता के परिजनों को देना होगा. इस पैसे को बैंक में 10 साल के लिए जमा किया जाएगा और मृतका के पुत्र के वयस्क होने पर उसके शिक्षा और रख-रखाव पर खर्च किया जाएगा. बता दें कि पोस्टमार्टम में डाॅक्टर और नर्सिंग होम द्वारा बरती गई संवेदनहीनता का खुलासा हुआ है.

उपचार न होने पर प्रिया की मृत्यु हो गई थी
आपको को बता दें कि वाराणसी के विजय बहादुर सिंह की बेटी प्रिया सिंह गर्भवती होने पर जून 2012 में वाराणसी में डॉ सरोज पांडेय को उनके नर्सिंग होम गांधी नगर सिगरा में दिखाया. उन्होंने कई परीक्षण कराए. 30 जनवरी 2013 को प्रसव पीड़ा होने पर डॉ. सरोज ने अपनी नर्सिंग होम में भर्ती कर लिया. ऑपरेशन सेे एक पुत्र को जन्म दिया और फिर उसे प्राइवेट रूम में रखा. रात में हालत गम्भीर हो गई. उचित उपचार न होने पर अगले दिन प्रिया की मृत्यु हो गई. उसी दिन उसका पोस्टमार्टम हुआ, जिसमें यह पाया गया पेट में अत्यधिक रक्तस्राव हुआ और खून के थक्के बनने के कारण मृत्यु हुई. बता दें कि दस साल पहले हुई इस घटना की सुनवाई राज्य उपभोक्ता आयोग में हो रही थी. दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग के सदस्य राजेन्द्र सिंह और विकास सक्सेना ने डाॅक्टर व नर्सिंग होम पर हर्जाना लगाया. इस मामले में यह भी पाया गया कि ऑपरेशन के बाद देखभाल निम्न स्तर का था. तत्काल अस्पताल और डॉक्टर यह जान ही नहीं सके कि मरीज को क्या शिकायत थी और एक ही दिन के अन्दर उसकी मृत्यु हो गई.

आयोग ने डॉक्टर सरोज को दिए पांच आदेश

  • परिवादी को चिकित्सीय व्यय के रूप में 50,000 रुपये दिए जाएं.
  • चिकित्सीय उपेक्षा के लिए 30 लाख रुपये दिया जाए, इसकी आधी राशि किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में 10 वर्ष के लिए जमा की जाएगी, जो मृतका के पुत्र के वयस्क होने पर दी जाएगी.
  • मानसिक यंत्रणा और अवसाद के मद में 10 लाख दिया जाए.
  • परिवादी को 30 लाख दिया जाए. इसकी भी आधी राशि किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में 10 वर्ष के लिए जमा की जाएगी, जो मृतका के पुत्र के वयस्क होने पर दी जाएगी.
  • सेवा में कमी के संबंध में 30 लाख दिया जाए. (इन सभी देयों पर 2013 से 12 प्रतिशत सालाना ब्याज देना होगा)

ये भी पढ़ेंः काशी में सात करोड़ के गबन के आरोप में लेखाकार गिरफ्तार

ये भी पढ़ेंः युवा महाकुंभ सम्मेलन की अनुमति रद्द होने पर हंगामा, छावनी में तब्दील हुआ महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ

वाराणसी: जिले के गांधी नगर सिगरा में स्थित नर्सिंग होम में प्रसव में लापरवाही से हुई महिला की मौत पर बड़ी कार्रवाई की गई है. दरअसल दस साल बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने नर्सिंग होम पर 30 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. नर्सिंग होम को यह रकम 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ पीड़िता के परिजनों को देना होगा. इस पैसे को बैंक में 10 साल के लिए जमा किया जाएगा और मृतका के पुत्र के वयस्क होने पर उसके शिक्षा और रख-रखाव पर खर्च किया जाएगा. बता दें कि पोस्टमार्टम में डाॅक्टर और नर्सिंग होम द्वारा बरती गई संवेदनहीनता का खुलासा हुआ है.

उपचार न होने पर प्रिया की मृत्यु हो गई थी
आपको को बता दें कि वाराणसी के विजय बहादुर सिंह की बेटी प्रिया सिंह गर्भवती होने पर जून 2012 में वाराणसी में डॉ सरोज पांडेय को उनके नर्सिंग होम गांधी नगर सिगरा में दिखाया. उन्होंने कई परीक्षण कराए. 30 जनवरी 2013 को प्रसव पीड़ा होने पर डॉ. सरोज ने अपनी नर्सिंग होम में भर्ती कर लिया. ऑपरेशन सेे एक पुत्र को जन्म दिया और फिर उसे प्राइवेट रूम में रखा. रात में हालत गम्भीर हो गई. उचित उपचार न होने पर अगले दिन प्रिया की मृत्यु हो गई. उसी दिन उसका पोस्टमार्टम हुआ, जिसमें यह पाया गया पेट में अत्यधिक रक्तस्राव हुआ और खून के थक्के बनने के कारण मृत्यु हुई. बता दें कि दस साल पहले हुई इस घटना की सुनवाई राज्य उपभोक्ता आयोग में हो रही थी. दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग के सदस्य राजेन्द्र सिंह और विकास सक्सेना ने डाॅक्टर व नर्सिंग होम पर हर्जाना लगाया. इस मामले में यह भी पाया गया कि ऑपरेशन के बाद देखभाल निम्न स्तर का था. तत्काल अस्पताल और डॉक्टर यह जान ही नहीं सके कि मरीज को क्या शिकायत थी और एक ही दिन के अन्दर उसकी मृत्यु हो गई.

आयोग ने डॉक्टर सरोज को दिए पांच आदेश

  • परिवादी को चिकित्सीय व्यय के रूप में 50,000 रुपये दिए जाएं.
  • चिकित्सीय उपेक्षा के लिए 30 लाख रुपये दिया जाए, इसकी आधी राशि किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में 10 वर्ष के लिए जमा की जाएगी, जो मृतका के पुत्र के वयस्क होने पर दी जाएगी.
  • मानसिक यंत्रणा और अवसाद के मद में 10 लाख दिया जाए.
  • परिवादी को 30 लाख दिया जाए. इसकी भी आधी राशि किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में 10 वर्ष के लिए जमा की जाएगी, जो मृतका के पुत्र के वयस्क होने पर दी जाएगी.
  • सेवा में कमी के संबंध में 30 लाख दिया जाए. (इन सभी देयों पर 2013 से 12 प्रतिशत सालाना ब्याज देना होगा)

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