गैरसैंण: चमोली जिले के गैरसैंण ब्लॉक में मशरूम की खेती में अपार संभावनाओं को देखते हुए खास पहल शुरू की गई है. जिसके तहत आदिबदरी, खेती और थापली को मशरूम उत्पादन में मॉडल गांव के रूप में विकसित करने की कवायद तेज हो गई है. यहां कृषि और उद्यान विभाग की ओर से गांवों में मशरूम शेड का निर्माण शुरू कर दिया गया है. जबकि, काश्तकारों को कंपोस्ट वितरण के साथ ही 10 काश्तकारों को प्रशिक्षण के लिए हरिद्वार भेजा गया है. इस योजना का उद्देश्य जिले में मशरूम उत्पादन बढाना और प्रशिक्षण के लिए बाहरी क्षेत्रों पर निर्भरता कम करना है.
आदिबदरी, खेती और थापली गांव बनेंगे मशरूम उत्पादन के मॉडल विलेज: चमोली के मुख्य कृषि अधिकारी जय प्रकाश तिवाड़ी ने बताया कि डीएम संदीप तिवारी की पहल पर कृषि और उद्यान विभाग की ओर से गैरसैंण के आदिबदरी, खेती और थापली गांवों को मशरूम उत्पादन के मॉडल विलेज बनाने की योजना बनाई गई है. जिसके तहत जिला योजना के साथ ही मनरेगा के सहयोग से गांवों में स्वयं सहायता समूह एवं 28 काश्तकारों के साथ क्रियान्वयन शुरू किया गया है.
विकासखंड गैरसैंण में मशरूम उत्पादन को बढाने के लिए कृषि व उद्यान विभाग के माध्यम से 08 यूनिट लगाने के साथ काश्तकारों को हरिद्वार में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ब्लाक के आदिबद्री, खेती और थापली गांव को मशरूम उत्पादन के लिए मॉडल विलेज बनाया जा रहा है। @DIPR_UK @pushkardhami @ANI pic.twitter.com/gGHPsqaskN
— DM Chamoli (@ChamoliDm) October 24, 2024
मशरूम शेड का किया जा रहा निर्माण, हरिद्वार के बुग्गावा में प्रशिक्षण ले रहे काश्तकार: इस योजना के तहत पहले चरण में मशरूम उत्पादन के लिए क्षेत्र में मशरूम शेड का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है. साथ ही क्षेत्र के काश्तकारों को मशरूम उत्पादन के प्रशिक्षण के लिए हरिद्वार के बुग्गावाला भेजा गया है. इसके साथ ही काश्तकारों को कंपोस्ट वितरण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.
पिछले साल चमोली जिले में 30 क्विंटल मशरूम का हुआ था उत्पादन: उन्होंने बताया कि बीते साल चमोली जिले में एक महिला स्वयं सहायता समूह और 20 काश्तकारों के साथ संचालित योजना से 30 क्विंटल मशरूम का उत्पादन किया गया था. ऐसे में गैरसैंण क्षेत्र में शुरू की गई योजना के बाद जिले में मशरूम का उत्पादन बढ़कर 45 से 50 क्विंटल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि काश्तकार स्थानीय बाजार में 250 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मशरूम बेचकर बेहतर आय अर्जित कर सकेंगे.
क्या बोले चमोली डीएम संदीप तिवारी: वहीं, चमोली जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने कहा कि गैरसैंण क्षेत्र में काश्तकारों की शिकायत थी कि उनकी फसलों को वन्यजीव काफी नुकसान पहुंचाते हैं. जिसे देखते हुए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. जिसके लिए गैरसैंण ब्लॉक के आदिबदरी, खेती और थापली गांवों को मशरूम उत्पादन के मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है. जिससे स्थानीय काश्तकारों की आय में वृद्धि होगी. जबकि, अन्य क्षेत्रों में मशरूम का उत्पादन करने के इच्छुक काश्तकारों भी प्रशिक्षण दिया जा सकेगा.
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