कोटा. कोचिंग सिटी में एक और छात्र के सुसाइड का मामला सामने आया है. यह कोचिंग छात्र मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी की तैयारी करने के लिए झारखंड से कोटा आकर दादाबाड़ी थाना इलाके में रह रहा था. छात्र 12वीं की पढ़ाई के साथ मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी भी निजी कोचिंग संस्थान से कर रहा था. सुबह जब परिजनों का फोन छात्र ने नहीं उठाया, तो इसके बाद उसके हॉस्टल मालिक को परिजनों ने फोन किया. मालिक ने जब दरवाजा खटखटाया तो उसने नहीं खोला. इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई. मौके पर जब पुलिस पहुंची, तो छात्र मृत अवस्था में कमरे में मिला.
दादाबाड़ी थाना अधिकारी नरेश मीणा ने बताया कि छात्र झारखंड के देवघर का निवासी 17 वर्षीय ऋषित अग्रवाल है. छात्र के सुसाइड के संबंध में उन्होंने उच्च अधिकारियों को सूचना दी है. उनके दिशा-निर्देश मिलने पर के शव को एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में शिफ्ट करवाया. एफएसएल टीम ने भी कमरे की जांच पड़ताल की है. इसके संबंध में उसके परिजनों को भी सूचना दे दी गई है. परिजन भागलपुर से कोटा के लिए रवाना हो गए हैं.
इसे भी पढ़ें- बिहार से कोटा में इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी करने आए छात्र ने की आत्महत्या
इस साल का 10वां सुसाइड : थाना अधिकारी ने बताया कि प्रथम दृष्टया किसी तरह का कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. ऐसे में परिजनों के आने के बाद पूरे मामले की पड़ताल होगी. उसके बाद ही सुसाइड के कारण सामने आ सकेंगे. बता दें कि कोटा में यह इस साल की दसवीं सुसाइड की घटना है.
एक से दो दिन पुरानी लग रही है बॉडी : दादाबाड़ी थाने के एएसआई शंभू दयाल का कहना है कि सुसाइड संभव होता एक से दो दिन पहले हुआ है, क्योंकि शव एक से दो दिन पुराना लग रहा है. इस संबंध में आसपास के कमरे में रहने वाले स्टूडेंट्स को भी जानकारी नहीं मिली थी. ये हॉस्टल भी वंडर मार्ट के ऊपर ही चार-पांच कमरे का बना हुआ है, वहां पर ही यह घटनाक्रम हुआ है. सीआई नरेश मीणा का कहना है कि बच्चों को 2 दिन पहले सुबह देखा गया, जिसके बाद किसी ने नहीं देखा है.
नहीं लगा था एंटी हैंगिंग डिवाइस : जिस अनय रेजीडेंसी हॉस्टल में सुसाइड हुआ है, उसमें प्रशासन की जारी की गई गाइडलाइन के पलना भी नहीं हो रही थी. कमरे में कोई एंटी हैंगिंग डिवाइस पंखे पर नहीं लगा था. दूसरी तरफ कोचिंग भी यह लड़का नहीं जा रहा था. इस संबंध में भी हॉस्टल संचालक ने जानकारी नहीं दी, जबकि नाइट अटेंडेंस से लेकर कई प्रावधान प्रशासन की ओर से किए गए हैं. इस हॉस्टल का संचालन कर रहे आशीष बिरला का कहना है कि हॉस्टल में हैंगिंग डिवाइस लगाने का काम जारी था, जिस कमरे में सुसाइड हुआ है, उसमें फिलहाल नहीं लगी थी. जबकि शेष कमरों में लगाई जा रही है. एंटी सुसाइड रॉड नहीं मिल पाना सबसे बड़ा कारण है. हॉस्टल के मैनेजर का कहना है कि बच्चों को 2 दिन पहले गार्ड में बात की थी और पूछा था कि तुम कोचिंग क्यों नहीं जा रहे हो. तब उसने तबीयत खराब होने का जिक्र किया था.