श्रीनगर: पौड़ी जनपद के विभिन्न इलाकों में वानाग्नि की घटनाओं पर काबू पाने में वन विभाग नाकाम हो रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद भी विभाग क्विक रिस्पॉन्स में फिसड्डी ही साबित हो रहा है. ताजा मामला सतपुली का है. यहां पिछले दो दिन से जंगल आग की लपटों के कारण धू धू कर जल रहा है. जिससे वन सम्पदा को तो भारी नुकसान हो ही रहा है, साथ मे वन्य जीवों के प्राणों पर भी संकट उत्पन्न हो गया है. आग के कारण आस पास के इलाकों में प्रदूषण के साथ साथ उमस भरी गर्मी भी बढ़ रही है.
सतपुली के जंगल में आग: पौड़ी जिले में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं को लेकर अब स्थानीय ग्रामीण भी चिंतित होने लगे हैं. पूर्व प्रमुख सुरेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इसका एक कारण प्रशासन की ओर से जन जागरूकता अभियानों में कमी आना है. उन्होंने कहा कि वन विभाग की ओर से फायर सीजन से पहले पिरूल हटाने का काम किया जाता था. साथ ही वनाग्नि की रोकथाम को लेकर कंट्रोल बर्निंग भी की जाती थी. लेकिन यह अब मात्र खानापूर्ति के लिए किया जा रहा है. स्थानीय लोग परेशान हैं. उन्हें डर है कि जगलों की आग कहीं आवासीय बस्तियों को भी नुकसान ना पहुंचा दे.
आग लगाने वालों पर कार्रवाई की मांग: सतपुली निवासी जगदंबा प्रसाद डंगवाल ने वनाग्नि तथा मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं के लिए मनुष्यों को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि लोग अच्छी घास के लिए वनों में आग लगा देते हैं. ऐसे लोगों पर विभाग को कार्रवाई करनी चाहिए. पूर्व ब्लॉक प्रमुख पोखड़ा सुरेंद्र रावत ने कहा कि वन विभाग की कार्यशैली भी काफी लचर है. कई बार शिकायत करने के बाद भी विभाग की टीम समय पर आग बुझाने में नाकाम रहती है. इससे स्थानीय वन सम्पदा को भारी नुकसान पहुंचता है.
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