जयपुर : जिला न्यायालय जयपुर जिला ने 11 केवी बिजली के तार से करंट लगने के चलते अपने दोनों हाथ गंवाने वाली पांच साल की बच्ची को 99 लाख रुपए का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने जयपुर डिस्कॉम को मुआवजा राशि के अलावा मुकदमे में खर्च 2.2 लाख रुपए भी अदा करने को कहा है. अदालत ने यह आदेश पीड़िता पायल के परिवाद पर दिए.
पीठासीन अधिकारी अजीत कुमार हिंगर ने अपने आदेश में कहा कि बेटियां घर की रौनक होती है. वो एक रंगीन किरण की तरह होती है, जो पूरे घर को जगमग कर देती है. अदालत ने कहा कि परिवाद में मुआवजा राशि के तौर पर 50 लाख रुपए और ब्याज मांगा गया है, लेकिन केस करीब आठ साल पहले दायर किया गया था और इस अवधि में रुपए का अवमूल्यन भी हुआ है. इसके अलावा इलाज में खर्च, जीवन भर सहायक की जरूरत और भविष्य में होने वाले इलाज के खर्च को देखते हुए 99 लाख रुपए का मुआवजा उचित है. अदालत ने मुआवजा राशि पर केस दायर करने की तिथि से छह फीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है.
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परिवाद में अधिवक्ता बसंत सैनी ने अदालत को बताया कि अलवर के मुंडावर निवासी पांच साल की परिवादी 27 मार्च, 2015 को अपने घर के पीछे खेल रही थी. इस दौरान 11 केवी बिजली लाइन का तार टूटकर उस पर गिर गया. जिससे वह बुरी तरह झुलस गई. वहीं इलाज के दौरान उसका एक हाथ कंधे से और दूसरा हाथ कोनी से नीचे से काटना पडा. वहीं पूरे शरीर में जगह-जगह घाव हो गए. बिजली के पुराने तार नहीं बदलने और उनकी सार-संभाल नहीं होने से यह दुर्घटना हुई है. ऐसे में उसे घातक दुर्घटना अधिनियम, 1855 के तहत मुआवजा दिलाया जाए.
इसका विरोध करते हुए डिस्कॉम के वकील ने कहा कि घटना के दिन आंधी आने से पोल पर लगे डिस्क इंसुलेटर से निकलने के कारण तार खंभे से जमीन पर आ गए. तार के जमीन से स्पर्श नहीं करने से अर्थिंग नहीं बना, जिससे ब्रेकर ट्रिप नहीं हुआ. इसके अलावा पीडिता खेलते समय तारों को हाथों से उठाकर उसके नीचे से निकलने की कोशिश कर रही थी. वहीं दुर्घटना में मौत नहीं हुई है. ऐसे में घातक दुर्घटना अधिनियम के तहत केस नहीं चल सकता. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने जयपुर डिस्कॉम पर हर्जाना लगाया है.