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सांप के डसने से 9 साल के मासूम की मौत, IGMC में तोड़ा दम - Shimla Snake Bite Case

9 year old Child died due to Snake Bite: आईजीएमसी शिमला में आज सुबह एक 9 साल के मासूम बच्चे की सांप के काटने से मौत हो गई. बच्चे को परिजन पहले नजदीकी पीएचसी ले गए. जहां से उसे आईजीएमसी रेफर किया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही मासूम ने दम तोड़ दिया.

9 year old Child died due to Snake Bite in Shimla
सांप के डसने से 9 साल के बच्चे की मौत (File Photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 17, 2024, 2:18 PM IST

शिमला: हिमाचल में हर साल कई लोगों की सर्पदंश से मौत होती है. ताजा मामला आईजीएमसी शिमला से सामने आया है. यहां एक 9 साल के बच्चे की सांप के काटने से मौत हो गई. 9 साल का हर्षित सोलन के सायरी में रहता था. मंगलवार सुबह 4 बजे जब वो अपने घर में बेड पर सोया हुआ था, तभी एक सांप ने उसे डस लिया. जब हर्षित ने जोर से आवाज लगाई तो उसके परिजन फौरन उसे इलाज के लिए पीएचसी सायरी ले गए. जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद उसे आईजीएमसी रेफर कर दिया, लेकिन आईजीएमसी अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी. आईजीएमसी कैजुअल्टी में सीएमओ कर्नल महेश ने मासूम की मौत की पुष्टि की है.

बरसात में बढ़ता है सर्पदंश का खतरा

स्वास्थ्य विभाग में निदेशक डॉक्टर गोपाल वेरी ने बताया कि प्रदेश में सर्पदंश के मामले बरसात में ज्यादा आते हैं. आईजीएमसी और टांडा में लगातार सर्पदंश के मामले सामने आ रहे हैं. सांपों का सबसे ज्यादा प्रकोप कांगड़ा में रहता है. स्नेक बाइट के सबसे ज्यादा मामलों में मरीजों को 108 एंबुलेंस के जरिए से ही अस्पताल पहुंचते हैं. पिछले पांच सालों में 108 एंबुलेंस के तहत करीब 2 हजार स्नेक बाइट के शिकार लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया. अगर इन लोगों को समय रहते अस्पताल न पहुंचाया जाता तो इनकी मौत भी हो सकती थी. एंटी स्नेक वेनम ने सर्पदंश के शिकार लोगों को नई जिंदगी प्रदान की है.

सबसे ज्यादा मामले कांगड़ा में

डॉ. गोपाल वेरी ने बताया कि पिछले पांच सालों में कांगड़ा में 356 लोगों को सांप ने अपना शिकार बनाया है. जबकि मंडी जिले में 179 लोग और हमीरपुर में 175 लोग सांप के शिकार हुए हैं. इसी तरह से बिलासपुर में 141 मामले, चंबा में 166 मामले, किन्नौर में 16 मामले, कुल्लू में 62, लाहौल-स्पीति में एक, शिमला में 144, सिरमौर में 89, सोलन में 126 और ऊना में 82 मामले सामने आए हैं. इन सब लोगों को समय रहते 108 एंबुलेंस के जरिए नजदीकी अस्पताल में लाया गया. इसके बाद भी हर साल करीब 500 मामले स्नेक बाइट के अस्पतालों में पहुंच जाते हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में सर्पदंश से मौत पर परिवार को 4 लाख देने पर विचार करेगी सरकार, PHC और एंबुलेंस में मिलेगी एंटी स्नेक वेनम

ये भी पढ़ें: हिमाचल में पाई जाती हैं सांपों की करीब 21 प्रजातियां, इनमें तीन सबसे ज्यादा जहरीली

शिमला: हिमाचल में हर साल कई लोगों की सर्पदंश से मौत होती है. ताजा मामला आईजीएमसी शिमला से सामने आया है. यहां एक 9 साल के बच्चे की सांप के काटने से मौत हो गई. 9 साल का हर्षित सोलन के सायरी में रहता था. मंगलवार सुबह 4 बजे जब वो अपने घर में बेड पर सोया हुआ था, तभी एक सांप ने उसे डस लिया. जब हर्षित ने जोर से आवाज लगाई तो उसके परिजन फौरन उसे इलाज के लिए पीएचसी सायरी ले गए. जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद उसे आईजीएमसी रेफर कर दिया, लेकिन आईजीएमसी अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी. आईजीएमसी कैजुअल्टी में सीएमओ कर्नल महेश ने मासूम की मौत की पुष्टि की है.

बरसात में बढ़ता है सर्पदंश का खतरा

स्वास्थ्य विभाग में निदेशक डॉक्टर गोपाल वेरी ने बताया कि प्रदेश में सर्पदंश के मामले बरसात में ज्यादा आते हैं. आईजीएमसी और टांडा में लगातार सर्पदंश के मामले सामने आ रहे हैं. सांपों का सबसे ज्यादा प्रकोप कांगड़ा में रहता है. स्नेक बाइट के सबसे ज्यादा मामलों में मरीजों को 108 एंबुलेंस के जरिए से ही अस्पताल पहुंचते हैं. पिछले पांच सालों में 108 एंबुलेंस के तहत करीब 2 हजार स्नेक बाइट के शिकार लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया. अगर इन लोगों को समय रहते अस्पताल न पहुंचाया जाता तो इनकी मौत भी हो सकती थी. एंटी स्नेक वेनम ने सर्पदंश के शिकार लोगों को नई जिंदगी प्रदान की है.

सबसे ज्यादा मामले कांगड़ा में

डॉ. गोपाल वेरी ने बताया कि पिछले पांच सालों में कांगड़ा में 356 लोगों को सांप ने अपना शिकार बनाया है. जबकि मंडी जिले में 179 लोग और हमीरपुर में 175 लोग सांप के शिकार हुए हैं. इसी तरह से बिलासपुर में 141 मामले, चंबा में 166 मामले, किन्नौर में 16 मामले, कुल्लू में 62, लाहौल-स्पीति में एक, शिमला में 144, सिरमौर में 89, सोलन में 126 और ऊना में 82 मामले सामने आए हैं. इन सब लोगों को समय रहते 108 एंबुलेंस के जरिए नजदीकी अस्पताल में लाया गया. इसके बाद भी हर साल करीब 500 मामले स्नेक बाइट के अस्पतालों में पहुंच जाते हैं.

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