ETV Bharat / state

ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से उतारा संदल, जायरीनों में किया गया तकसीम - 813TH URS

813वें उर्स के मौके पर मंगलवार को संदल उतारने की परंपरा को निभाया गया. उसके बाद इसे जायरीनों में बांटा गया.

813वां उर्स
813वां उर्स (ETV Bharat Ajmer)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 1, 2025, 6:50 AM IST

Updated : Jan 1, 2025, 8:19 AM IST

अजमेर : विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें उर्स से पहले ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतरने की परंपरा मंगलवार को निभाई गई. खादिम समुदाय से जुड़े लोगों ने मजार पर केवड़ा, गुलाब जल और इत्र से संदल को गीला किया. इसके बाद संदल को आपस में बांट लिया. बाद में बाहर संदल का बेसब्री से इंतजार कर रहे जायरीन को संदल तकसीम किया गया. बता दें कि ख्वाजा गरीब नवाज के मजार पर आम दिनों में हर दिन संदल चढ़ाया जाता है.

उर्स से पहले ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतारने की परंपरा दरगाह में सदियों से चली आ रही है. मंगलवार को दरगाह में खादिम समुदाय की ओर से ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतारने की परंपरा निभाई गई. खादिम समुदाय के लोगों ने देर शाम खिदमत के समय आस्ताने को बंद कर दिया. भीतर खादिमों ने ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर लगे संदल को उतारने से पहले उसमें गुलाब जल, केवड़ा और इत्र मिलाकर उसे पहले गीला किया. इसके बाद मजार से संदल उतार लिया. इसे आपस में बांटने के बाद खादिमों ने मजार से उतरे संदल को जायरीन को भी तकसीम किया. इस दौरान बड़ी संख्या में जायरीन भी दरगाह में मौजूद रहे. जायरीन में संदल पाने की होड़ मची रही. इस बार नए साल का आगाज ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह से करने की मंशा लेकर भी कई जायरीन दरगाह पहुंचे हैं.

ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से उतारा संदल (ETV Bharat Ajmer)

पढ़ें. उर्स की तैयारी: मजार से संदल उतारने की सदियों पुरानी परंपरा, जानिए उर्स से पहले क्यों उतारा जाता है संदल

हर रोज और व्याधि में मिलती है शफा : दरगाह में खादिम सैयद कुतुबुद्दीन सकी ने बताया कि उर्स से पहले ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतारने की परंपरा को निभाया गया. इसके बाद मजार से उतरे हुए संदल को जायरीनों को बांटा गया. मान्यता है कि संदल को पानी के साथ पीने से शारीरिक और मानसिक रोग से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा ऊपरी व्याधियों और जादू टोना से भी राहत मिलती है. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में आने वाले जायरीन मजार से उतरे हुए संदल को जरूर खादिमों से मांगते हैं. लिहाजा खादिम वर्ष भर संदल अपने पास रखते और जायरीन को संदल की पुड़िया बनाकर देते हैं. मंदसौर से दरगाह में जियारत के लिए आए रईस अहमद बताते हैं कि कई वर्षों से वह दरगाह आ रहे हैं. दरगाह आने पर उन्हें सुकून मिलता है. इस बार नए वर्ष की शुरुआत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह से करने की हसरत लेकर आए हैं. यहां ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतारा गया है और वह खुशनसीब हैं कि उन्हें संदल मिला.

संदल को जायरीनों में किया गया तकसीम
संदल को जायरीनों में किया गया तकसीम (ETV Bharat Ajmer)

हर परेशानी होती है दूर : बिहार दरभंगा से मोहम्मद नसीम पिछले 35 वर्षों से हर साल उर्स के मौके पर दरगाह आते हैं. इस बार भी वे अपने परिवार के साथ उर्स में हाजिरी देने के लिए आए हैं. इससे पहले ही वह अजमेर आ जाते हैं ताकि उन्हें ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से उतारे गए संदल को लेने का मौका मिल सके. उनका मानना है कि संदल में रूहानी ताकत है. इससे सभी तरह की परेशानियां दूर होती हैं.

पढे़ं. उर्स 813: इस गेट से होकर ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत करने से मिलती है जन्नत, ऐसे बना पश्चिमी गेट जन्नती दरवाजा.

ख्वाजा की दी जिंदगी जी रहे हैं : दरभंगा से आई अफसाना खानम बताती हैं कि 2016 से वह हर साल दरगाह आ रही हैं. उनका मानना है कि यहां से मिलने वाले संदल के सेवन करने से उन्हें बहुत राहत मिली है. उनकी परेशानियां बहुत हद तक ठीक हो गई हैं और यह जीवन ख्वाजा गरीब नवाज की कृपा से चल रहा है. यहां आकर बहुत ही सुकून महसूस होता है.

जन्नती दरवाजा खुलने पर जायरीनों ने की जियारत
जन्नती दरवाजा खुलने पर जायरीनों ने की जियारत (ETV Bharat Ajmer)

अलसुबह खुला जन्नती दरवाजा : दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतारने की परंपरा का निर्वहन करने के बाद अगले दिन अल सुबह फज्र की नमाज के बाद जायरीन के लिए जन्नती दरवाजा खोल दिया गया है. जन्नती दरवाजे से जियारत करने के लिए जायरीन में सुबह से ही होड़ मची रही. अलसुबह जन्नती दरवाजा खुलने से पहले ही जायरीन की कतार लग गई. जन्नती दरवाजा खुलने के बाद जायरीन ने इसमें दाखिल होकर ख्वाजा गरीब नवाज की मजार की जियारत की.

अजमेर : विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें उर्स से पहले ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतरने की परंपरा मंगलवार को निभाई गई. खादिम समुदाय से जुड़े लोगों ने मजार पर केवड़ा, गुलाब जल और इत्र से संदल को गीला किया. इसके बाद संदल को आपस में बांट लिया. बाद में बाहर संदल का बेसब्री से इंतजार कर रहे जायरीन को संदल तकसीम किया गया. बता दें कि ख्वाजा गरीब नवाज के मजार पर आम दिनों में हर दिन संदल चढ़ाया जाता है.

उर्स से पहले ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतारने की परंपरा दरगाह में सदियों से चली आ रही है. मंगलवार को दरगाह में खादिम समुदाय की ओर से ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतारने की परंपरा निभाई गई. खादिम समुदाय के लोगों ने देर शाम खिदमत के समय आस्ताने को बंद कर दिया. भीतर खादिमों ने ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर लगे संदल को उतारने से पहले उसमें गुलाब जल, केवड़ा और इत्र मिलाकर उसे पहले गीला किया. इसके बाद मजार से संदल उतार लिया. इसे आपस में बांटने के बाद खादिमों ने मजार से उतरे संदल को जायरीन को भी तकसीम किया. इस दौरान बड़ी संख्या में जायरीन भी दरगाह में मौजूद रहे. जायरीन में संदल पाने की होड़ मची रही. इस बार नए साल का आगाज ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह से करने की मंशा लेकर भी कई जायरीन दरगाह पहुंचे हैं.

ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से उतारा संदल (ETV Bharat Ajmer)

पढ़ें. उर्स की तैयारी: मजार से संदल उतारने की सदियों पुरानी परंपरा, जानिए उर्स से पहले क्यों उतारा जाता है संदल

हर रोज और व्याधि में मिलती है शफा : दरगाह में खादिम सैयद कुतुबुद्दीन सकी ने बताया कि उर्स से पहले ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतारने की परंपरा को निभाया गया. इसके बाद मजार से उतरे हुए संदल को जायरीनों को बांटा गया. मान्यता है कि संदल को पानी के साथ पीने से शारीरिक और मानसिक रोग से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा ऊपरी व्याधियों और जादू टोना से भी राहत मिलती है. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में आने वाले जायरीन मजार से उतरे हुए संदल को जरूर खादिमों से मांगते हैं. लिहाजा खादिम वर्ष भर संदल अपने पास रखते और जायरीन को संदल की पुड़िया बनाकर देते हैं. मंदसौर से दरगाह में जियारत के लिए आए रईस अहमद बताते हैं कि कई वर्षों से वह दरगाह आ रहे हैं. दरगाह आने पर उन्हें सुकून मिलता है. इस बार नए वर्ष की शुरुआत ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह से करने की हसरत लेकर आए हैं. यहां ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतारा गया है और वह खुशनसीब हैं कि उन्हें संदल मिला.

संदल को जायरीनों में किया गया तकसीम
संदल को जायरीनों में किया गया तकसीम (ETV Bharat Ajmer)

हर परेशानी होती है दूर : बिहार दरभंगा से मोहम्मद नसीम पिछले 35 वर्षों से हर साल उर्स के मौके पर दरगाह आते हैं. इस बार भी वे अपने परिवार के साथ उर्स में हाजिरी देने के लिए आए हैं. इससे पहले ही वह अजमेर आ जाते हैं ताकि उन्हें ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से उतारे गए संदल को लेने का मौका मिल सके. उनका मानना है कि संदल में रूहानी ताकत है. इससे सभी तरह की परेशानियां दूर होती हैं.

पढे़ं. उर्स 813: इस गेट से होकर ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत करने से मिलती है जन्नत, ऐसे बना पश्चिमी गेट जन्नती दरवाजा.

ख्वाजा की दी जिंदगी जी रहे हैं : दरभंगा से आई अफसाना खानम बताती हैं कि 2016 से वह हर साल दरगाह आ रही हैं. उनका मानना है कि यहां से मिलने वाले संदल के सेवन करने से उन्हें बहुत राहत मिली है. उनकी परेशानियां बहुत हद तक ठीक हो गई हैं और यह जीवन ख्वाजा गरीब नवाज की कृपा से चल रहा है. यहां आकर बहुत ही सुकून महसूस होता है.

जन्नती दरवाजा खुलने पर जायरीनों ने की जियारत
जन्नती दरवाजा खुलने पर जायरीनों ने की जियारत (ETV Bharat Ajmer)

अलसुबह खुला जन्नती दरवाजा : दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से संदल उतारने की परंपरा का निर्वहन करने के बाद अगले दिन अल सुबह फज्र की नमाज के बाद जायरीन के लिए जन्नती दरवाजा खोल दिया गया है. जन्नती दरवाजे से जियारत करने के लिए जायरीन में सुबह से ही होड़ मची रही. अलसुबह जन्नती दरवाजा खुलने से पहले ही जायरीन की कतार लग गई. जन्नती दरवाजा खुलने के बाद जायरीन ने इसमें दाखिल होकर ख्वाजा गरीब नवाज की मजार की जियारत की.

Last Updated : Jan 1, 2025, 8:19 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.