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झंडा फहराने से पहले जानें ये जरूरी नियम, तिरंगे का अपमान पड़ सकता है भारी, एक गलती पहुंचा सकती है जेल - Flag Hoisting Rules

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 14, 2024, 7:45 PM IST

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के अलावा देश भर के स्कूल-कॉलेज, दफ्तर, सरकारी भवनों सहित गली-मुहल्लों में भी तिरंगा फहराकर आजादी का जश्न मनाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है झंडा फहराने के लिए बकायदा नियम भी बनाया गया है और उसका उल्लंघन करने पर सजा का भी प्रावधान है. आपसे भी कहीं ऐसी गलती न हो जाए इसलिए झंडा फहराने के नियमों को जान लीजिए.

FLAG HOISTING RULES
क्या है झंडा फहराने का नियम (ETV Bharat)

भोपाल: स्वतंत्रता दिवस यानी देश की आजादी का जश्न मनाने का दिन. 78 साल पहले 15 अगस्त, 1947 को भारत बरतानिया हुकूमत से आजाद हुआ था. तभी से इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं और लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित भी करते हैं. इस दिन पूरे देश में तिरंगा फहराया जाता है. स्कूल-कॉलेज, कोचिंग संस्थान, दफ्तर, गली-मोहल्ला हर जगह झंडा फहराकर आजादी का जश्न मनाया जाता है. लेकिन कभी-कभी कुछ लोग झंडा फहराने में गलतियां कर देते हैं जो उनके लिए मुसीबत का कारण भी बन जाती है. क्या आपको पता है तिरंगा फहराने के लिए नियम कायदे भी बनाए गए हैं. जिसमें बताया गया है कि तिरंगा फहराते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. जानते हैं आखिर वो नियम क्या हैं.

भारतीय ध्वज संहिता में तय किए गए हैं नियम

भारतीय ध्वज संहिता में झंडा फहराने के नियमों के बारे में बताया गया है. भारतीय ध्वज संहिता 26 जनवरी 2002 को लागू की गई थी. इसको लागू करने के पीछे एकमात्र उद्देश्य देश की आन-बान-शान तिरंगा को किसी भी प्रकार के अपमान से बचाना है. इस संहिता में कई चीजें तय की गई हैं जैसे तिरंगे का साइज, फहराने का स्थान, समय, आदि.

क्या है झंडा फहराने का नियम

  • तिरंगा झंडा फहराने से पहले यह ध्यान देना जरूरी है कि तिरंगा कटा-फटा या गन्दा न हो. अगर ऐसा हो तो उसको नहीं फहराना चाहिए.
  • तिरंगा खादी, सूती या सिल्क का बना होना चाहिए.
  • झंडा आयताकार आकार में होना चाहिए, जिसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 होना चाहिए.
  • सबसे महत्वपूर्ण ध्यान देने वाली बात है कि तिरंगा में केसरिया रंग ऊपर और हरा रंग नीचे होना चाहिए.
  • तिरंगा झंडा कभी भी जमीन को नहीं छूना चाहिए, इसे जमीन पर भी नहीं रखा जाना चाहिए.
  • बिना सरकारी आदेश झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराना चाहिए.
  • तिरंगे को पानी में नहीं डुबाया जाना चाहिए. इस पर कुछ भी लिखा नहीं होना चाहिए.
  • तिरंगा ऐसी जगह पर फहराया जाए जहां से वो सभी को नजर आए.
  • तिरंगे के साथ अगर कोई और झंडा फहराया जाना है तो उसे राष्ट्रीय ध्वज के बराबर नहीं फहराना चाहिए, उसको तिरंगे से नीचे रखना चाहिए.
  • झंडे को विशेष व्यक्तियों को छोड़कर किसी वाहन पर लगाकर नहीं फहराया जाना चाहिए.

क्या कहते हैं जानकार

मध्य प्रदेश के रिटायर्ड डीजी अरुण गुर्टू कहते हैं कि, तिरंगा देश की शान है. इसके प्रति सभी के मन में प्रेम, आदर और निष्ठा होती है. तिरंगे के उपयोग के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा भारतीय झंडा संहिता 2002 लागू किया गया है. इसमें बताया गया है कि तिरंगे को फहराते वक्त क्या-क्या सावधानियां बरतनी हैं और कैसे इसे फहराना है. नियम इसलिए ताकि देश की शान, हमारे तिरंगे का हमारी किसी अज्ञानता की वजह से अपमान न हो. नियमों के मुताबिक झंडा जहां भी फहराया जाए, तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिए. उसे ऐसी जगह पर लगाना चाहिए जहां यह साफ-साफ दिखाई दे.

3 साल की हो सकती है जेल

झंडा संहिता के नियमों का उल्लंघन करने पर सजा का भी प्रावधान किया गया है. अगर आप कटा-फटा या गंदा झंडा फहराते हैं तो आप सजा के भागीदार हैं. इसके अलावा अगर आप तिरंगे के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं तो भी आपको इसके लिए सजा मिल सकती है. इन अपराधों के लिए राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा- 2 के तहत 3 साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है.

यह भी पढ़ें:

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संस्कारधानी में एमपी का सबसे ऊंचा तिरंगा झंडा, क्या है इस जगह का ऐतिहासिक महत्व

झंडा उतारते समय इन बातों का रखें ध्यान

तिरंगा फहराने के बाद जब भी झंडे को उसके स्थान से हटाया जाये तो भी कुछ नियमों को ध्यान में रखना चाहिए. झंडे को अकेले में फहराने वाले स्थान से हटाया जाना चाहिए. इसके बाद उसको नियमों के तहत फोल्ड करने रखना चाहिए. किसी भी झंडे को उतारने के बाद किसी सार्वजनिक स्थान पर ऐसे ही नहीं छोड़ना चाहिए. अगर झंडा किसी प्रकार से कट या फट जाये तो उसे एकांत में जाकर सम्मान पूर्वक उसको मिट्टी में दबा देना चाहिए.

भोपाल: स्वतंत्रता दिवस यानी देश की आजादी का जश्न मनाने का दिन. 78 साल पहले 15 अगस्त, 1947 को भारत बरतानिया हुकूमत से आजाद हुआ था. तभी से इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं और लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित भी करते हैं. इस दिन पूरे देश में तिरंगा फहराया जाता है. स्कूल-कॉलेज, कोचिंग संस्थान, दफ्तर, गली-मोहल्ला हर जगह झंडा फहराकर आजादी का जश्न मनाया जाता है. लेकिन कभी-कभी कुछ लोग झंडा फहराने में गलतियां कर देते हैं जो उनके लिए मुसीबत का कारण भी बन जाती है. क्या आपको पता है तिरंगा फहराने के लिए नियम कायदे भी बनाए गए हैं. जिसमें बताया गया है कि तिरंगा फहराते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. जानते हैं आखिर वो नियम क्या हैं.

भारतीय ध्वज संहिता में तय किए गए हैं नियम

भारतीय ध्वज संहिता में झंडा फहराने के नियमों के बारे में बताया गया है. भारतीय ध्वज संहिता 26 जनवरी 2002 को लागू की गई थी. इसको लागू करने के पीछे एकमात्र उद्देश्य देश की आन-बान-शान तिरंगा को किसी भी प्रकार के अपमान से बचाना है. इस संहिता में कई चीजें तय की गई हैं जैसे तिरंगे का साइज, फहराने का स्थान, समय, आदि.

क्या है झंडा फहराने का नियम

  • तिरंगा झंडा फहराने से पहले यह ध्यान देना जरूरी है कि तिरंगा कटा-फटा या गन्दा न हो. अगर ऐसा हो तो उसको नहीं फहराना चाहिए.
  • तिरंगा खादी, सूती या सिल्क का बना होना चाहिए.
  • झंडा आयताकार आकार में होना चाहिए, जिसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 होना चाहिए.
  • सबसे महत्वपूर्ण ध्यान देने वाली बात है कि तिरंगा में केसरिया रंग ऊपर और हरा रंग नीचे होना चाहिए.
  • तिरंगा झंडा कभी भी जमीन को नहीं छूना चाहिए, इसे जमीन पर भी नहीं रखा जाना चाहिए.
  • बिना सरकारी आदेश झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराना चाहिए.
  • तिरंगे को पानी में नहीं डुबाया जाना चाहिए. इस पर कुछ भी लिखा नहीं होना चाहिए.
  • तिरंगा ऐसी जगह पर फहराया जाए जहां से वो सभी को नजर आए.
  • तिरंगे के साथ अगर कोई और झंडा फहराया जाना है तो उसे राष्ट्रीय ध्वज के बराबर नहीं फहराना चाहिए, उसको तिरंगे से नीचे रखना चाहिए.
  • झंडे को विशेष व्यक्तियों को छोड़कर किसी वाहन पर लगाकर नहीं फहराया जाना चाहिए.

क्या कहते हैं जानकार

मध्य प्रदेश के रिटायर्ड डीजी अरुण गुर्टू कहते हैं कि, तिरंगा देश की शान है. इसके प्रति सभी के मन में प्रेम, आदर और निष्ठा होती है. तिरंगे के उपयोग के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा भारतीय झंडा संहिता 2002 लागू किया गया है. इसमें बताया गया है कि तिरंगे को फहराते वक्त क्या-क्या सावधानियां बरतनी हैं और कैसे इसे फहराना है. नियम इसलिए ताकि देश की शान, हमारे तिरंगे का हमारी किसी अज्ञानता की वजह से अपमान न हो. नियमों के मुताबिक झंडा जहां भी फहराया जाए, तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिए. उसे ऐसी जगह पर लगाना चाहिए जहां यह साफ-साफ दिखाई दे.

3 साल की हो सकती है जेल

झंडा संहिता के नियमों का उल्लंघन करने पर सजा का भी प्रावधान किया गया है. अगर आप कटा-फटा या गंदा झंडा फहराते हैं तो आप सजा के भागीदार हैं. इसके अलावा अगर आप तिरंगे के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं तो भी आपको इसके लिए सजा मिल सकती है. इन अपराधों के लिए राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा- 2 के तहत 3 साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है.

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झंडा उतारते समय इन बातों का रखें ध्यान

तिरंगा फहराने के बाद जब भी झंडे को उसके स्थान से हटाया जाये तो भी कुछ नियमों को ध्यान में रखना चाहिए. झंडे को अकेले में फहराने वाले स्थान से हटाया जाना चाहिए. इसके बाद उसको नियमों के तहत फोल्ड करने रखना चाहिए. किसी भी झंडे को उतारने के बाद किसी सार्वजनिक स्थान पर ऐसे ही नहीं छोड़ना चाहिए. अगर झंडा किसी प्रकार से कट या फट जाये तो उसे एकांत में जाकर सम्मान पूर्वक उसको मिट्टी में दबा देना चाहिए.

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